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دنیا کے بلند ترین ریلوے بریج کی تعمیر جاری

جموں و کشمیر کے ضلع ریاسی میں دریائے چناب پر تعمیر کیا جا رہا ریلوے پل بھارتی انجینیئرنگ کی ایک بہتر مثال ہوگا۔ اس پل کا تقریبا 60 فیصد حصہ مکمل ہوچکا ہے۔

دنیا کے بلند ترین ریلوے بریج کی تعمیر جاری
دنیا کے بلند ترین ریلوے بریج کی تعمیر جاری
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Published : Jan 13, 2020, 3:31 PM IST

کوکن ریلوے کارپوریشن لمیٹیڈ کے جنرل مینیجر سنجے گپتا کا کہنا ہے کہ 'پل پر ریل ٹریفک کا آغاز ہوتے ہی دسمبر 2021 تک وادی کشمیر ریل راستے کے ذریعہ بقیہ ملک سے مل جائے گی۔'

ریاسی کے کھوڑی علاقے میں دنیا کے بلند ترین ریلوے پل کی تعمیر کے بارے میں انہوں نے بتایا کہ 'یہ تقریباً 150 برس قدیم بھارتی ریلوے کے زریعہ تعمیر کیا گیا پل ہے۔'

دنیا کے بلند ترین ریلوے بریج کی تعمیر جاری

اس پل کی تعمیر کے لیے 24 ہزار ٹن لوہے کا استعمال کیا جائے گا۔ پل کی تعمیر میں 1200 کروڑ کی لاگت آئے گی اور اگلے برس تک یہ پل تیار ہوجائے گا۔

پروجیکٹ سے وابستہ عہدیداروں نے بتایا کہ پل کا تعمیراتی کام شروع کرنے سے قبل 20 کلومیٹر سے زیادہ کی سڑک اور 400 میٹر کی غار تیار کی گئی۔

کوکن ریلوے کارپوریشن لمیٹیڈ کے جنرل مینیجر سنجے گپتا کا کہنا ہے کہ 'پل پر ریل ٹریفک کا آغاز ہوتے ہی دسمبر 2021 تک وادی کشمیر ریل راستے کے ذریعہ بقیہ ملک سے مل جائے گی۔'

ریاسی کے کھوڑی علاقے میں دنیا کے بلند ترین ریلوے پل کی تعمیر کے بارے میں انہوں نے بتایا کہ 'یہ تقریباً 150 برس قدیم بھارتی ریلوے کے زریعہ تعمیر کیا گیا پل ہے۔'

دنیا کے بلند ترین ریلوے بریج کی تعمیر جاری

اس پل کی تعمیر کے لیے 24 ہزار ٹن لوہے کا استعمال کیا جائے گا۔ پل کی تعمیر میں 1200 کروڑ کی لاگت آئے گی اور اگلے برس تک یہ پل تیار ہوجائے گا۔

پروجیکٹ سے وابستہ عہدیداروں نے بتایا کہ پل کا تعمیراتی کام شروع کرنے سے قبل 20 کلومیٹر سے زیادہ کی سڑک اور 400 میٹر کی غار تیار کی گئی۔

Intro:इंजीनियरिंग का नायाब नमूना अब लेने लगा आकार; दुनिया के सबसे ऊंचे आर्क पुल का 60 फीसद निर्माण कार्य पूरा


प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि पुल का निर्माण कार्य शुरू करने से पहले 20 किलोमीटर से अधिक लंबी सड़क और 400 मीटर की गुफा का निर्माण किया गया।...

जम्मू कश्मीर राज्य के ज़िला रियासी में चिनाब दरिया पर बन रहा रेलवे पुल भारतीय इंजीनियरिंग का बेहतर नमूना होगा। पुल के करीब 60 फीसद हिस्से का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। पुल के निर्माण पर 1200 करोड़ की लागत आएगी। अगले साल के मध्य तक यह पुल बनकर तैयार हो जाएगा।

पुल पर रेल यातायात शुरू होते ही दिसंबर 2021 में कश्मीर घाटी रेल मार्ग के जरिए शेष देश से जुड़ जाएगा। यह दावा कोंकण रेलवे कारपोरेशन लिमिटेड के महाप्रबंधक संजय गुप्ता ने किया है। जिला रियासी के कौड़ी इलाके में बन रहे विश्व के सबसे ऊंचे रेलवे पुल के बारे में उन्होंने बताया कि यह करीब 150 वर्ष पुराने भारतीय रेलवे द्वारा निर्मित सबसे कठिन पुल है। चिनाब दरिया से 359 मीटर की ऊंचाई तक पिलर बना पाना संभव नहीं था, इसलिए भारतीय रेलवे ने लोहे की फाउंडेशन को तैयार किया है। इस पुल के निर्माण पर 24 हजार टन इस्पात का इस्तेमाल किया जाएगा। दुर्गम क्षेत्र में बन रहे इस पुल के निर्माण के लिए साजोसामान पहुंचाने के लिए सड़क भी नहीं थी।





प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि पुल का निर्माण कार्य शुरू करने से पहले 20 किलोमीटर से अधिक लंबी सड़क और 400 मीटर की गुफा का निर्माण किया गया। चिनाब पुल में ऐसी तकनीक व उपकरण इस्तेमाल किए जा रहे हैं, जो पूरे विश्व में अपनी तरह का प्रथम प्रयोग है। पहली बार इतने ऊंचे पुल के निर्माण में मेहराब तकनीक (लांचिंग आर्क) को आधार बनाया गया है। पिछले साल ही इसका मजबूत मेहराब बनकर तैयार हुआ है। पुल का एक छोर रियासी के कौड़ी तो दूसरा सिरा बक्कल में है।

1200 करोड़ हुई पुल की लागत

चिनाब दरिया पर बन रहे रेल पुल के निर्माण में देरी का असर पुल की कीमत पर पड़ रहा है। वर्ष 2014 में इस पुल के निर्माण पर 512 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान था, जो अब 1200 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। पुल के निर्माण को लेकर कभी कोर्ट में स्थानीय लोगों द्वारा दायर किए गए मामलों से देरी हुई तो कभी कठिन परिस्थितियों और विपरीत मौसम के चलते निर्माण कार्य धीमा हो गया। कुशल श्रमिकों का न मिलना भी देरी का सबब बन गया था, लेकिन अब प्रधानमंत्री के आह्वान के बाद इस पुल के निर्माण में पूरी ताकत झोंकी जा रही है।

कटड़ा-बनिहाल सेक्शन किसी चुनौती से कम नहीं

कटड़ा से बनिहाल तक रेल सेक्शन 111 किलोमीटर लंबी है। जम्मू-ऊधमपुर और ऊधमपुर-कटड़ा सेक्शन भी अधिक चुनौतीपूर्ण कटड़ा-बनिहाल रेल सेक्शन है। इस क्षेत्र में होने वाले निर्माण कार्य के लिए 160 किलोमीटर का सड़क मार्ग बनाया गया है। यह सड़क दूरदराज के गांवों को मुख्यधारा से जोड़ते हुए बेहतर ङ्क्षलक उपलब्ध करवा रहा है। इस सेक्शन पर कार्य करने वाले इंजीनियरों को बेहद कठिन, दुर्गम क्षेत्र, तकनीकी समस्याओं और आतंकी गतिविधियों के कारण प्रतिकूल सुरक्षा व्यवस्था का भी सामना करना पड़ा है।



पांच सौ वर्ष है पुल की आयु

चिनाब दरिया पर बन रहे पुल का निर्माण कार्य वर्ष 2004 में शुरू हुआ था। अब कोंकण रेलवे ने अफकान कंपनी को इसका जिम्मा सौंप दिया है। निर्माण करने वाली कंपनी ने पुल की मजबूती को लेकर 120 साल की वारंटी दी है, जबकि उसका दावा है कि पुल 500 साल तक टिका रहेगा। पुल की चौड़ाई 13 मीटर है, जिसमें 150 मीटर ऊंचे 18 पिलर होंगे। पुल पर रेलगाड़ी और ढांचे से पुल की नींव और पिलर पर 10 एमएम वर्ग मीटर जगह में 120 टन वजन पड़ेगा। पुल की भार वहन करने की क्षमता 500 टन होगी। यह पुल 260 किलोमीटर प्रति घंटे की गति की हवाओं का वेग सहन कर सकेगा।

पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

रेल यातायात से कश्मीर घाटी शेष देश से जुड़ जाती है तो राज्य की अर्थ व्यवस्था पर खासा असर पडऩे की उम्मीद है। जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग 12 माह तक खुला नहीं रहता है। ऐसे में रेल यातायात पर्यटकों व स्थानीय लोगों के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा। राज्य में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।

पुल की खासियत

चिनाब से ऊंचाई : 359 मीटर
निर्माण पर 24 हजार टन इस्पात का होगा इस्तेमाल
1200 करोड़ हुई कुल लागत, पहले था 512 करोड़ का अनुमान
500 साल तक मजबूती से टिका रहेगा पुल
पुल की चौड़ाई 13 मीटर, 150 मीटर ऊंचे 18 पिलर होंगे
पुल की भार वहन करने की क्षमता 500 टन होगी।
260 किलोमीटर प्रति घंटे की गति की हवाओं का वेग सहन कर सकेगा।

बाइट

कोंकण रेलवे कारपोरेशन लिमिटेड के महाप्रबंधक संजय गुप्ताBody:World's biggest Railways Bridge Conclusion:World's biggest Railways Bridge

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