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'کشمیر کی آنے والی نسل کو حکومت نے کیا پیغام دیا ہے؟' - جموں کشمیر کے خصوصی موقف دفعہ تین سو ستر اور 35 اے کو پارلیمینٹ میں قانون سازی کے ذریعہ ختم کردیا تھا

کانگریس کی جنرل سکریٹری پرینکا گاندھی نے کشمیر کے حوالے سے جمعہ کے روز ٹیوٹ کرتے ہوئے حکومت کو تنقید کا نشانہ بنایا۔

'کشمیر کی آنے والی نسل کو حکومت نے کیا پیغام دیا ہے؟'
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Published : Oct 4, 2019, 3:03 PM IST

انھوں نے اپنے ٹویٹ میں لکھا کہ دو ماہ سے جموں کشمیر میں جاری بندشوں اور قدغنوں کا سب سے زیادہ اثر وہاں کے بچوں پر پڑا ہے۔ انھوں نے لکھا کہ 'کیا آپ نے ایسی کوئی حکومت دیکھی ہے جو بات ترقی کی کرتی ہے مگر بچوں کو سکول سے دور رکھنے کا اقدام کرتی ہے۔

انھوں نے سوال کیا کہ بی جے پی حکومت نے کشمیر کی آنے والی نسل کو یہ کس طرح کا پیغام دیا ہے۔

واضح رہے کہ پانچ اگست کو مرکز نے جموں و کشمیر کے خصوصی حیثیت دفعہ 370 اور 35 اے کو پارلیمینٹ میں قانون سازی کے ذریعہ ختم کردیا تھا، جس کے بعد سے کشمیر میں بند اور کرفیو جاری ہے۔

انھوں نے اپنے ٹویٹ میں لکھا کہ دو ماہ سے جموں کشمیر میں جاری بندشوں اور قدغنوں کا سب سے زیادہ اثر وہاں کے بچوں پر پڑا ہے۔ انھوں نے لکھا کہ 'کیا آپ نے ایسی کوئی حکومت دیکھی ہے جو بات ترقی کی کرتی ہے مگر بچوں کو سکول سے دور رکھنے کا اقدام کرتی ہے۔

انھوں نے سوال کیا کہ بی جے پی حکومت نے کشمیر کی آنے والی نسل کو یہ کس طرح کا پیغام دیا ہے۔

واضح رہے کہ پانچ اگست کو مرکز نے جموں و کشمیر کے خصوصی حیثیت دفعہ 370 اور 35 اے کو پارلیمینٹ میں قانون سازی کے ذریعہ ختم کردیا تھا، جس کے بعد سے کشمیر میں بند اور کرفیو جاری ہے۔

Intro:जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने को लेकर आयोजित टॉक शो में बतौर मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह मौजूद रहे. इस दौरान उनका भाषण कवर करने के लिए ईटीवी भारत के संवाददाता भी जेएनयू परिसर पहुंचे. इस दौरान टॉक शो का विरोध करने के लिए छात्रों का एक गुट उसी भीड़ में इकट्ठा हो गया और आर्टिकल 370 के विरोध में नारेबाजी और पोस्टर के जरिए विरोध प्रदर्शन करने लगा. वहीं प्रदर्शनकारियों से बातचीत करने की कोशिश करने पर उन्होंने मीडिया के साथ बदसलूकी की.

Body:इस कार्यक्रम को कवर करने पहुंचे ईटीवी भारत के संवाददाता ने जब उनसे इस प्रदर्शन को लेकर बयान लेने की कोशिश की तो छात्रों ने उनके साथ हाथापाई की, उनका कैमरा छीनने की कोशिश की और बार-बार उन्हें धमकी देकर कवरेज रोकने के लिए कहा. अपनी देशद्रोही वामपंथी विचारधारा को लेकर छात्रों का वह गुट केंद्रीय मंत्री के भाषण का विरोध तो कर रहे थे लेकिन कैमरे के सामने आने से कतरा रहा थे. यही कारण था कि संवाददाता और कैमरा को देखते ही उन्होंने अपने चेहरे पोस्टर से ढक लिए और हाथापाई करते हुए कवरेज रोकने की पूरी कोशिश की. उन्होंने ईटीवी भारत के संवाददाता के साथ अभद्र भाषा का प्रयोग किया और उन्हें मोदी सरकार का नुमाइंदा बताया. इतना ही नहीं मोजो किट, माइक भी छीनने की कोशिश की और धक्का-मुक्की भी की और किसी भी तरह का बयान देने से साफ तौर पर मना कर दिया. कहा जाता है कि जेएनयू में हर मुद्दे पर डिबेट होती है लेकिन क्या इस तरह से डिबेट की जाती है जब एक आधिकारिक कार्यक्रम में ईटीवी भारत का संवाददाता आधिकारिक तौर पर कार्यक्रम को कवर करने के लिए पहुंचता है तो उसके साथ किस तरह से दुर्व्यवहार और कार्यक्रम को कवर करने के दौरान हाथापाई की जाती है .

Conclusion:ऐसे में सवाल यह उठता है कि यह वहीं जेएनयू के छात्र हैं जो कहते फिरते हैं कि अभिव्यक्ति की आजादी होनी चाहिए लेकिन यह कैसी अभिव्यक्ति की आजादी है जो लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कही जाने वाली मीडिया के साथ बदसलूकी करने का अधिकार देती है. जेएनयू प्रशासन द्वारा आधिकारिक तौर पर मीडिया को यह कार्यक्रम कवर करने के लिए बुलाने पर अगर संवाददाता के साथ इस तरह का दुर्व्यवहार किया जाता है ऐसे में समझा जा सकता है कि संकीर्ण मानसिकता वाले इन छात्रों का व्यवहार जेएनयू में पढ़ रहे उन आम छात्रों के साथ कैसा होगा जो केवल शिक्षा लेने के लिए यहां आए हैं ना कि राजनीति का हिस्सा बनने.
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