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'قصوروار وکلاء کے خلاف کارروائی کی جائے'

دارالحکومت دہلی میں وکلاء اور پولیس کے درمیان تنازع پر اترپردیش آئی پی ایس اور پی پی ایس ایسو سی ایشن بھی دہلی پولیس کی حمایت میں کھڑی نظر آرہی ہے۔

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Published : Nov 6, 2019, 12:35 AM IST

'قصوروار وکلاء کے خلاف کارروائی کی جائے'

اس سلسلے میں اترپردیش کے سابق ڈی جی پی سلکھانت سنگھ نے ای ٹی وی بھارت کے نمائندے کے ساتھ ٹیلی فونک بات چیت کرتے ہوئے بدسلوکی کرنے والے وکلاء کے خلاف سخت کارروائی کا مطالبہ کیا۔

خیال رہے کہ دار الحکومت دہلی کے تیس ہزاری کورٹ کے سامنے وکلاء اور پولیس کے مابین تنازع کے بعد دہلی پولیس کے اہلکاروں نے سیاہ پٹی باندھ کر مظاہرہ کیے، جس پر پولیس کی کارکردگی پر بھی سوالات اٹھ رہے ہیں کہ جن ہاتھوں میں نظم وضبط کا محکمہ ہے وہ آج اپنے لیے حفاظت کا مطالبہ کررہے ہیں۔؟

اس ڈرامے کے بعد اب ایک سوال یہ پید ہوتا ہے کہ آخر اس تنازع کے حل کیا ہے؟ ایسے حالات میں کیا عوام محفوظ ہے؟

بہر کیف اس سلسلے میں ای ٹی وی بھارت کے نمائندے نے اترپردیش کے سابق ڈی جی پی سے رابطہ کیا اور ان سے رائے جاننے کی کوشش کی۔
انہوں نے کہا کہ' وکالت کے پیشے میں کچھ مجرمانہ ذہنیت کے لوگ شامل ہوگئے ہیں جس کی وجہ سے ایک ایسا ماحول بن گیا کہ وکیل بات بات پر ہاتا پائی پر اتر آتے ہیں، اس پر لگام لگانے کی سخت ضرورت ہے'۔

انہوں نے کہا کہ' حکومت کو اور ہائی کورٹ کو اس معاملے میں سنجیدگی سے لینا چاہیے، اور قصواروں کے خلاف سخت کارروائی ہونی چاہیے'۔

اس سلسلے میں اترپردیش کے سابق ڈی جی پی سلکھانت سنگھ نے ای ٹی وی بھارت کے نمائندے کے ساتھ ٹیلی فونک بات چیت کرتے ہوئے بدسلوکی کرنے والے وکلاء کے خلاف سخت کارروائی کا مطالبہ کیا۔

خیال رہے کہ دار الحکومت دہلی کے تیس ہزاری کورٹ کے سامنے وکلاء اور پولیس کے مابین تنازع کے بعد دہلی پولیس کے اہلکاروں نے سیاہ پٹی باندھ کر مظاہرہ کیے، جس پر پولیس کی کارکردگی پر بھی سوالات اٹھ رہے ہیں کہ جن ہاتھوں میں نظم وضبط کا محکمہ ہے وہ آج اپنے لیے حفاظت کا مطالبہ کررہے ہیں۔؟

اس ڈرامے کے بعد اب ایک سوال یہ پید ہوتا ہے کہ آخر اس تنازع کے حل کیا ہے؟ ایسے حالات میں کیا عوام محفوظ ہے؟

بہر کیف اس سلسلے میں ای ٹی وی بھارت کے نمائندے نے اترپردیش کے سابق ڈی جی پی سے رابطہ کیا اور ان سے رائے جاننے کی کوشش کی۔
انہوں نے کہا کہ' وکالت کے پیشے میں کچھ مجرمانہ ذہنیت کے لوگ شامل ہوگئے ہیں جس کی وجہ سے ایک ایسا ماحول بن گیا کہ وکیل بات بات پر ہاتا پائی پر اتر آتے ہیں، اس پر لگام لگانے کی سخت ضرورت ہے'۔

انہوں نے کہا کہ' حکومت کو اور ہائی کورٹ کو اس معاملے میں سنجیدگی سے لینا چاہیے، اور قصواروں کے خلاف سخت کارروائی ہونی چاہیے'۔

Intro:अपडेट दिल्ली में वकील व पुलिस के बीच हुई हिंसा के बाद उत्तर प्रदेश आईपीएस और पीपीएस एसोसिएशन भी पुलिस कर्मचारियों के सपोर्ट में खड़ी नजर आ रही है आईपीएस एसोसिएशन का कहना है कि ड्यूटी के दौरान पुलिस कर्मचारियों के साथ अभद्रता बर्दाश्त नहीं की जाएगी हम न्यायालय से अभद्रता करने वाले वकीलों के खिलाफ कठोर कार्यवाही की मांग करते हैं। सुलखान सिंह के साथ फोटो भी खबर के साथ भेजा जा रहा है पैकेज में जोड़ दीजिए एंकर लखनऊ। राजधानी दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट के सामने वकीलों व पुलिस के बीच हुई हिंसा की चर्चाएं पूरे देश में हो रही हैं जिस तरीके से वकीलों ने थाने में पहुंचकर मारपीट की व आग लगा दी उसको लेकर पुलिस कर्मचारियों में काफी आक्रोश है। मंगलवार को दिल्ली पुलिस के जवानों ने हाथ में काली पट्टी बांधकर प्रदर्शन किया। पुलिस कर्मचारी द्वारा किए गए प्रदर्शन को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं एक अनुशासित विभाग होने के बावजूद इस तरीके का प्रदर्शन को सही नहीं ठहराया जा रहा है क्योंकि पुलिस के इस तरीके के प्रदर्शन से जनता असुरक्षित महसूस करती है। इस सबके बीच एक सवाल यह खड़ा होता है कि आखिर इस तरीके के विवादों का हल क्या है? दिल्ली ही नहीं उत्तर प्रदेश की बात करें तो उत्तर प्रदेश में भी पिछले समय वकीलों की झड़प की कई घटनाएं सामने आती हैं ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर वकील पेशा लगातार इतना हिंसक व आक्रामक क्यों होता जा रहा है? क्यों मारपीट की घटनाओं में वकीलों के ऊपर ठोस कार्यवाही नहीं हो पाती हैं?


Body:वियो पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह का कहना है की वकालत के पेशे में कुछ आपराधिक प्रवृत्ति के लोग भी शामिल हो गए हैं जिसके चलते एक माहौल सा बन गया है और वकील बात बात पर मारपीट करने पर उतारू रहते हैं इस पर लगाम लगाने की आवश्यकता है सरकार को व हाई कोर्ट को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही करनी चाहिए। इसी के साथ ही बार एसोसिएशन को भी ऐसे वकीलों को चिन्हित करना करना होगा जो अपराधी प्रवृत्ति के हैं और उनके खिलाफ कार्यवाही करनी होगी। एक सवाल के जवाब में पूर्व डीजीपी व वकील सुलखान ने कहा कि पुलिस विभाग में कुछ कर्मचारी भले ही आमजन से अभद्रता करते हो लेकिन वकील पेशे से पुलिस अभद्रता नहीं करती इस मामले में वकील पेशा पुलिस पर हावी रहता है जिसका कारण बार एसोसिएशन कि राजनीति है। क्योंकि बड़े पैमाने पर रहते वकील है जो प्रैक्टिस नहीं करते लेकिन काला कोट पहन के कई अन्य कामों में संलिप्त रहते हैं इन्हें वोट देने का अधिकार होता है लिहाजा यह अपने संख्या बल के दम पर बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों पर दबाव बनाने में कामयाब हो जाते हैं जिसका फायदा इनको आगे की कानूनी कार्यवाही में मिलता है जिससे इनका मनोबल बढ़ता है और इस तरीके की घटनाएं सामने आती हैं। यह है घटना दिल्ली उत्तर के अतिरिक्त डीसीपी हरेंद्र सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि शनिवार को तीस हजारी कोर्ट में पुलिस व वकील के बीच पार्किंग को लेकर विवाद हो गया था जिसके बाद भारी संख्या में वकील इकट्ठा हो गए और वह लॉकअप में जाने का प्रयास करने लगे जब वकील लॉकअप के अंदर नहीं पहुंच सके तो उन्होंने लॉकअप को तोड़ना चाहा लेकिन जब वह लोग लॉकअप को तोड़ने में नाकामयाब रहे तो उन्होंने गेट के पास दो बाइक में आग लगा दी कुछ गाड़ियों में तोड़फोड़ भी की जिसके बाद जमकर हंगामा हुआ हालांकि दिल्ली के वकील पुलिस की इस बात से सहमत नहीं है। मंगलवार सुबह पुलिस विभाग के को जवानों ने हाथ पर काली पट्टी बांधकर आरटीओ स्थित दिल्ली पुलिस हेड क्वार्टर के बाहर प्रदर्शन किया। जिसके बाद कर्मचारियों को शांत कराने के लिए पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक को मौके पर आना पड़ा और उन्होंने कर्मचारियों को संबोधित कर शांत रहने की बात कही इसके बाद भी काफी देर तक पुलिस कर्मचारी शांत नहीं हुए और उन्होंने जमके नारेबाजी की। नारेबाजी के दौरान पुलिस कर्मचारियों ने कहा कि 'दिल्ली पुलिस कमिश्नर कैसा हो किरण बेदी जाता हो' पुलिस कर्मचारियों के इस रवैया से अंदाजा लगाया जा सकता है कि कर्मचारियों में वकीलों के सवैया को लेकर कितना आक्रोश है दिल्ली ही नहीं कई अन्य क्षेत्रों से भी पुलिस के विरोध के मामले सामने आ रहे हैं। बाइट- पूर्व डीजीपी व वर्तमान में वकील सुलखान सिंह


Conclusion:संवाददाता प्रशांत मिश्रा 90 2639 25 26
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