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غربت نے بچی کو چوری پر اکسایا

ساتوی کلاس میں پڑھنے والی بچی پر تین سال سے اہل خانہ کا کھانا بنانے کی زمہ داری ہے۔

غربت نے بچی کو چوری کرنے پر اکسایا
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Published : Oct 1, 2019, 3:35 PM IST

Updated : Oct 2, 2019, 6:30 PM IST

مدھیہ پردیش میں ساگر کے مشہور مذہبی مقام ٹکیٹوریا مندر میں ہوئی چوری کے معاملہ میں پولیس نے بارہ سال کی ایک بچی کو گرفتار کیا ہے۔ جسے بچوں کی عدالت میں پیش کرنے کے بعد بچوں کے اصلاحی کیمپ شہڈول بھیجا گیا۔

غربت نے بچی کو چوری پر اکسایا

بچی کا جرم محض یہ تھا کہ اس نے گیہوں خریدنے کے لئے مندر کی دان پیٹی سے ڈھائی سو روپے نکالے تھے۔ بچی کے اصلاحی کیمپ جانے سے اسکے اہل خانہ کافی غمگین ہیں۔ کیوکہ اس کے بھائی بہن کے لئے وہی والدہ کی طرح تھی۔ انہیں ایسا لگ رہا ہے کہ انکے سر سے والدہ کا سایہ ہی اٹھ گیا۔

حالانکہ مندر کی اس چوری کا انکشاف بچی کی نادانی سے ہی ہوا ہے۔ ورنہ کچھ روز قبل شری دیو پنڈری ناتھ مندر میں نقب لگانے والے اب بھی پولیس کی گرفت سے باہر ہیں۔

ٹکیٹوریا مندر میں بھی پہلے کئی دفعہ چوریاں ہو چکی ہیں لیکن ان چوروں تک پولیس نہیں پہنچ سکی۔

رہلی نگر کی باہری سرحد پر ساڑھے چار سو فٹ اونچی پہاڑی پر دان پیٹی سے روپے نکالنے کا معاملہ سامنے آنے پر مندر انتظامیہ نے پولیس تھانے میں شکایت درج کرائی۔

مندر میں لگے کیمرے سے پولیس نے بچی سے پوچھ گچھ کی۔ تو اس نے اپنا جرم قبول کر لیا۔ جب بچی کے والد نے اسکا اسکول بیگ دیکھا تو اسمیں ستر روپے نکلے۔ اور باقی 180 روپے کے اس نے گیہوں خرید لیے۔

ساتوی کلاس میں پڑھنے والی بچی پر چار لوگوں کی ذمہ داری تین سال سے ہے۔ در اصل تین سال قبل اسکی والدہ کا انتقال ہوگیا تھا تب سے گھر کی ذمہ داری اسی کے سر پر آن پڑی ہے۔

گھر کے حالات انتہائی خراب ہیں۔ جس کے نتیجے اسے یہ قدم اٹھانا پڑا۔

مدھیہ پردیش میں ساگر کے مشہور مذہبی مقام ٹکیٹوریا مندر میں ہوئی چوری کے معاملہ میں پولیس نے بارہ سال کی ایک بچی کو گرفتار کیا ہے۔ جسے بچوں کی عدالت میں پیش کرنے کے بعد بچوں کے اصلاحی کیمپ شہڈول بھیجا گیا۔

غربت نے بچی کو چوری پر اکسایا

بچی کا جرم محض یہ تھا کہ اس نے گیہوں خریدنے کے لئے مندر کی دان پیٹی سے ڈھائی سو روپے نکالے تھے۔ بچی کے اصلاحی کیمپ جانے سے اسکے اہل خانہ کافی غمگین ہیں۔ کیوکہ اس کے بھائی بہن کے لئے وہی والدہ کی طرح تھی۔ انہیں ایسا لگ رہا ہے کہ انکے سر سے والدہ کا سایہ ہی اٹھ گیا۔

حالانکہ مندر کی اس چوری کا انکشاف بچی کی نادانی سے ہی ہوا ہے۔ ورنہ کچھ روز قبل شری دیو پنڈری ناتھ مندر میں نقب لگانے والے اب بھی پولیس کی گرفت سے باہر ہیں۔

ٹکیٹوریا مندر میں بھی پہلے کئی دفعہ چوریاں ہو چکی ہیں لیکن ان چوروں تک پولیس نہیں پہنچ سکی۔

رہلی نگر کی باہری سرحد پر ساڑھے چار سو فٹ اونچی پہاڑی پر دان پیٹی سے روپے نکالنے کا معاملہ سامنے آنے پر مندر انتظامیہ نے پولیس تھانے میں شکایت درج کرائی۔

مندر میں لگے کیمرے سے پولیس نے بچی سے پوچھ گچھ کی۔ تو اس نے اپنا جرم قبول کر لیا۔ جب بچی کے والد نے اسکا اسکول بیگ دیکھا تو اسمیں ستر روپے نکلے۔ اور باقی 180 روپے کے اس نے گیہوں خرید لیے۔

ساتوی کلاس میں پڑھنے والی بچی پر چار لوگوں کی ذمہ داری تین سال سے ہے۔ در اصل تین سال قبل اسکی والدہ کا انتقال ہوگیا تھا تب سے گھر کی ذمہ داری اسی کے سر پر آن پڑی ہے۔

گھر کے حالات انتہائی خراب ہیں۔ جس کے نتیجے اسے یہ قدم اٹھانا پڑا۔

Intro:सागर। सागर के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल टिकीटोरिया मंदिर में हुई चोरी के मामले में पुलिस ने बारह वर्षीय बालिका को गिरफतार कर किशोर न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे बाल सुधार गृह शहडोल भेजा गया है। बालिका ने महज दस किलो गेंहू खरीदने के लिए मंदिर की दानपेटी से ढाई सौ रूपए निकाले थे। बालिका के बाल सुधारगृह जाने के उसके आठ वर्षीय भाई और छह वर्षीय बहिन मायूस हैं, क्योंकि बालिका सहित इन भाई बहिनों के सर से मां का साया भी उठ चुका है। ऐसे में बहिन की आंखों में ही उन्हें ममता दिखती थी। हालांकि मंदिर के इस चोरी का खुलासा नादान बालिका की नादानी से ही हो सका है वरना कुछ दिन पहले ही श्रीदेव पंढरीनाथ मंदिर में सेंध लगाने वाले अब भी पुलिस की गिरफत से बाहर हैं। तथा टिकीटोरिया मंदिर में इसके पहले भी चोरी के मामले सामने आए लेकिन इन चोरों तक पुलिस नहीं पहुंच सकी। Body:रहली नगर की बाहरी सीमा स्थित साढ़े चार सौ फीट उंची पहाड़ी पर विगत शनिवार को दानपेटी से रूप्ए निकाले जाने का मामला सामने आने पर मंदिर प्रबंधन की रिपोर्ट पर पुलिस थाने में चोरी का मामला दर्ज कराया गया था। मंदिर में लगे सीसीटीव्ही कैमरे के आधार पर पुलिस ने बारह वर्षीय किशोरी से पूंछताछ की। किशोरी ने दानपेटी से रूप्ए निकाले जाना कबूल किया। जब बालिका के पिता ने किशोरी का स्कूल बेग देखा तो उसमें सत्तर रूप्ए निकले तथा किशोरी द्वारा एक सौ अस्सी रूप्ए के दस किलो गेहूं घर में लाए गए थे। किशोरी ने अपने पिता केा बताया था कि मंदिर की पेटी का कुंदा जरा सा घुमाने पर पेटी खुल गई जिसमें से मैंने सौ रूप्ए का एक नोट तथा एक सौ पचास रूप्ए के सिक्के निकाले थे। वो भी इसलिए कि किशोरी गेहूं पिसाने गई थी। आटा चक्की पर उसके दस किलो गेहूं गुम हो गए। घर मे पिता गुस्सा के घर से एक दिन तो उसने गेहूं या आटा चक्की पर ही रखे होने की बात कहकर टाल दी लेकिन दूसरे दिन गेहूं खरीदने के लिए पैसे जुटाने की सोची और बिना चप्पल के पैदल ही मंदिर पहुंच गई। जहां पर उसने मौका देखकर मंदिर की दानपेटी से कुल ढाई सौ रूपए निकाल लिए। जिसमें से 180 रूप्ए के गेहूं खरीदकर बाकी 70 रूपए स्कूल बैग में रख लिए।
यह है परिवार की हालत-
कक्षा सातवीं में पढ़ने वाली बारह वर्षीय किशोरी पर भले ही परिवार के भरण पोषण का जिम्मा न हो लेकिन चार सदस्यीय परिवार के भोजन बनाने का जिम्मा तीन साल से है। दरअसल तीन साल पहले प्रसव के दौरान किशोरी की मां का निधन हो गया था। जिसके बाद से पिता के उपर खाना बनाने का जिम्मा आ गया। आठ वर्षीय भाई और छह वर्षीय बहिन किशोरी से ही खाने को मांगते हैं। किशोरी के पिता बताते हैं कि सब्जी मै बनाता हूं उससे अभी ठीक से रोटी बनाते तो नहीं बनती लेकिन खाने लायक रोटी बना देती है।
न दरबाजा न दीवारेें-
गरीब परिवार की किशोरी जिस प्रकार के मकान में रहती है उससे अच्छी जगह तो मवेशियों के रहने की होती है। किसी दूसरी व्यक्ति दस वाय दस की जगह में घासपूस का मकान बना हुआ है। जिसमें किशोरी अपने भाई बहिन और पिता के साथ हंसती खेलती रहती थी लेकिन अचानक आई परिस्थिति के कारण छोटे भाई बहिनों की मां समान बड़ी बहिन दूर होने से दोनो मायूस हैं। हालांकि किशोरी की इस प्रकार की परिस्थिति सामने से आने से कई लोगों ने मदद की बात कही है लेकिन शायद शासन की योजनाएं ही इतनी अधिक हैं कि यदि जिम्मेवार लोग अपने कत्र्तव्य का निर्वहन करते हुए किशोरी के परिवार की मदद कर दे ंतो न केवल उन्हें आशियाना मिल जाएगा बल्कि दो वक्त की रोटी भी आसानी से मिलती रहेगी।
Conclusion:
Last Updated : Oct 2, 2019, 6:30 PM IST
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