ETV Bharat / bharat

آسٹریلیائی نیشنل گیلری سے تین بھارتی مورتیوں کولایا جائے گا

وزارت ثقافت بھارتی فن اور ثقافت کے ورثے کو بیرون ملک سے واپس بھارت لائے گا۔ اس کے تحت تین بھارتی مورتیوں کو جو خفیہ طور پر بیرون ملک لے گئے تھے انہیں بھی واپس لایا جائے گا۔

آسٹریلیائی نیشنل گیلری سے تین بھارتی مورتیوں کولایا جائے گا
آسٹریلیائی نیشنل گیلری سے تین بھارتی مورتیوں کولایا جائے گا
author img

By

Published : Dec 18, 2019, 12:14 PM IST

آثار قدیمہ کا سروے آف انڈیا (اے ایس آئی) جلد ہی آسٹریلیائی نیشنل گیلری میں موجود تین بھارتی مورتیوں کو واپس لائے گا۔ ان مورتیوں میں تمل ناڈو کے ویرنگلور سے چوری شدہ دروپال (جئے-وجے) کی دو مورتی اور راجستھان مدھیہ پردیش سے ناگراج کی مورتی شامل ہیں۔

وزارت ثقافت کے ماتحت اے ایس آئی افسروں کے مطابق ، ان تینوں مورتیوں کو بھارت لانے کا عمل شروع کردیا گیا ہے۔ آسٹریلیائی وزیر اعظم کے بھارت کے دورہ سے قبل ان مجسموں کو لایا جاسکتا ہے۔ افسروں نے بتایا کہ تینوں مورتیوں کو 18 دسمبر تک لایا جانا تھا ، لیکن کچھ تکنیکی وجوہات کی وجہ سے ان کو لانے میں تاخیر ہو رہی ہے۔ فی الحال یہ مجسمے آسٹریلیا کی نیشنل گیلری میں موجود ہیں۔

بھگوان وشنو کے دربان کا پتھر کا مجسمہ 10 ویں صدی کا تھا۔ انہیں 1995 میں تمل ناڈو کے ویرنگلور سے چوری کرکے بیچ دیا گیا تھا۔ دوسرا بت ناگراج کا ہے ، جو راجستھان یا مدھیہ پردیش سے چوری کیا گیا تھا۔ ناگراج کا بت بھی ساتویں یا آٹھویں صدی کا ہے۔ جسے نیویارک سے آسٹریلیائی نیشنل گیلری نے 2006 میں خریدا تھا۔

آثار قدیمہ کا سروے آف انڈیا (اے ایس آئی) جلد ہی آسٹریلیائی نیشنل گیلری میں موجود تین بھارتی مورتیوں کو واپس لائے گا۔ ان مورتیوں میں تمل ناڈو کے ویرنگلور سے چوری شدہ دروپال (جئے-وجے) کی دو مورتی اور راجستھان مدھیہ پردیش سے ناگراج کی مورتی شامل ہیں۔

وزارت ثقافت کے ماتحت اے ایس آئی افسروں کے مطابق ، ان تینوں مورتیوں کو بھارت لانے کا عمل شروع کردیا گیا ہے۔ آسٹریلیائی وزیر اعظم کے بھارت کے دورہ سے قبل ان مجسموں کو لایا جاسکتا ہے۔ افسروں نے بتایا کہ تینوں مورتیوں کو 18 دسمبر تک لایا جانا تھا ، لیکن کچھ تکنیکی وجوہات کی وجہ سے ان کو لانے میں تاخیر ہو رہی ہے۔ فی الحال یہ مجسمے آسٹریلیا کی نیشنل گیلری میں موجود ہیں۔

بھگوان وشنو کے دربان کا پتھر کا مجسمہ 10 ویں صدی کا تھا۔ انہیں 1995 میں تمل ناڈو کے ویرنگلور سے چوری کرکے بیچ دیا گیا تھا۔ دوسرا بت ناگراج کا ہے ، جو راجستھان یا مدھیہ پردیش سے چوری کیا گیا تھا۔ ناگراج کا بت بھی ساتویں یا آٹھویں صدی کا ہے۔ جسے نیویارک سے آسٹریلیائی نیشنل گیلری نے 2006 میں خریدا تھا۔

Intro:भारतीय कला और संस्कृति की स्मृद्ध विरासत को सहेजने में जुटे संस्कृति मंत्रालय ने विदेशों में बिखरे सांस्कृतिक खजाने को भारत लाने की योजना बनाई है जिसके तहत धार्मिक महत्त्व की तीन भारतीय मूर्तियों को वापस लाया जाएगा। ये बहुमूल्य मूर्तियां चोरी छिपे विदेश पहुंचा दी गईं थीं।
Body:1 फ़ोटो, विष्णु और द्वारपाल की प्रतीकात्मक मूर्ति
2 फ़ोटो, जय विजय के दूसरे जन्म में रावण-कुम्भकर्ण की प्रतीकात्मक फोटो
3 फ़ोटो, जय विजय के तीसरे जन्म में हिरण्याक्ष- हिरण्यकशिपु की प्रतीकात्मक फोटो


चोरी छिपे विदेश पहुंची सांस्कृतिक विरासत को भारत लाएगा संस्कृति मंत्रालय

-सालों बाद स्वदेश लौटेंगे जय विजय, मूर्ति तस्कर ले गए थे विदेश

-ऑस्ट्रेलिया से भारत लाई जाएंगी 7वीं-10वीं शताब्दी की तीन बहुमूल्य मूर्तियां

नई दिल्ली, 17 दिसम्बर।

भारतीय कला और संस्कृति की स्मृद्ध विरासत को सहेजने में जुटे संस्कृति मंत्रालय ने विदेशों में बिखरे सांस्कृतिक खजाने को भारत लाने की योजना बनाई है जिसके तहत धार्मिक महत्त्व की तीन भारतीय मूर्तियों को वापस लाया जाएगा। ये बहुमूल्य मूर्तियां चोरी छिपे विदेश पहुंचा दी गईं थीं।

इस संबंध में भारतीय पुरात्तव सर्वेक्षण (एएसआई) जल्दी ही ऑस्ट्रेलिया के नेशनल गैलरी में मौजूद तीन भारतीय मूर्तियों को वापस लेकर आएगा। इन मूर्तियों में तमिलनाडु के वीरांगल्लूर से चुराई गई द्वारपाल की दो मूर्तियां और राजस्थान- मध्यप्रदेश से चुराई गई नागराज की एक मूर्ति शामिल है।

ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री के भारत दौरे से पहले आने की उम्मीद:

संस्कृति मंत्रालय तहत आने वाले एएसआई के अधिकारियों के मुताबिक तीनों मूर्तियों को भारत लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री के भारत दौरे से पहले इन मूर्तियों को स्वदेश लाया जा सकता है। अधिकारी ने बताया कि तीनों मूर्तियों को 18 दिसंबर तक लाया जाना था, लेकिन कुछ तकनीकी कारणों के चलते इन्हें लाने में कुछ देर हो रही है। मौजूदा समय में ये मूर्तियां ऑस्ट्रेलिया के नेशनल गैलरी में मौजूद हैं।

7वीं से 10वीं शताब्दी की हैं तीनों मूर्तियां:

भगवान विष्णु के द्वारपाल की मूर्ति पत्थर की हैं और 10वीं शताब्दी की हैं। इन्हें तमिलनाडु के वीरांगल्लूर से 1995 में चोरी कर बाहर बेचा गया था। इसके चोरी होने की सूचना होने के कारण ही इसे खोजा जा सका। दूसरी मूर्ति नागराज की है जो राजस्थान या मध्यप्रदेश से चोरी की गई थी। यह मूर्ति 7वीं से आठवीं शताब्दी की हैं। इसे साल 2006 में ऑस्ट्रेलिया के नेशनल गैलरी ने न्यूयॉर्क से खरीदा था।

कौन थे जय-विजय:

एक समय ब्रह्मा जी के चारों पुत्र सनक, सनंदन, सनातन, सनत्कुमार (सनकादि) भगवान विष्णु के दर्शन करने के लिए वैकुण्ठ पहुंचे। वहां, उनकी नजर दो महाबलशाली द्वारपाल जय और विजय पर पड़ी। जैसे ही वे आगे बढ़े दोनों द्वारपालों ने मुनियों को धृष्टतापूर्वक रोक दिया। इस पर सदा शांत रहने वाले सनकादि मुनियों को क्रोध आ गया और उन्होंने द्वारपालों को श्राप देते हुए कहा, "अरे! बड़ा आश्चर्य है। वैकुण्ठ के निवासी होकर भी तुम्हारा विषम स्वभाव नहीं समाप्त हुआ? तुम यहाँ रहने योग्य नहीं, तुम्हारा पतन हो जाए।"

तभी भगवान विष्णु का आगमन हुआ। मुनियों नें भगवान को प्रणाम किया। श्री भगवान बोले, "हे ब्रह्मन्! ब्राह्मण सदैव मेरे आराध्य हैं। मैं आपसे मेरे द्वारपालों द्वारा अनुचित व्यवहार के लिए क्षमा चाहता हूँ।" उन्होंने द्वारपालों से कहा "यद्यपि मैं इस श्राप को समाप्त कर सकता हूँ परंतु मैं ऐसा नहीं करुंगा। यह परीक्षा है इसे ग्रहण करो।

इसी श्राप के कारण ये दोनों द्वारपाल (जय-विजय) तीन जन्मों तक राक्षस बने। प्रथम जन्म में ये दोनों हिरण्याक्ष तथा हिरण्यकश्यपु बनें, द्वितीय में रावण तथा कुम्भकर्ण तथा तृतीय जन्म में ये ही शिशुपाल तथा दन्तवक्र बने।Conclusion:7वीं से 10वीं शताब्दी की हैं तीनों मूर्तियां:

भगवान विष्णु के द्वारपाल की मूर्ति पत्थर की हैं और 10वीं शताब्दी की हैं। इन्हें तमिलनाडु के वीरांगल्लूर से 1995 में चोरी कर बाहर बेचा गया था। इसके चोरी होने की सूचना होने के कारण ही इसे खोजा जा सका। दूसरी मूर्ति नागराज की है जो राजस्थान या मध्यप्रदेश से चोरी की गई थी। यह मूर्ति 7वीं से आठवीं शताब्दी की हैं। इसे साल 2006 में ऑस्ट्रेलिया के नेशनल गैलरी ने न्यूयॉर्क से खरीदा था।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.