حادثہ تب پیش آیا جب چار برس کی ایشیکا جنماشٹمی کے موقع پر اپنے رشتے داروں کے ساتھ مندر جارہی تھی۔جہاں مانجھے کی گرفت میں آنے سے اسکی گردن کٹنے سےموت ہوگئی۔
چینی مانجھے سے چار برس کی بچی کی موت
دارلحکومت دہلی کے شمال مغربی حصے کے کروال نگر کے کجھوری علاقے میں چینی مانجھے کی گرفت میں آنے سے ایک چار برس کی بچی کی موت واقع ہوگئی۔
چینی مانجھے سے چار برس کی بچی کی موت
حادثہ تب پیش آیا جب چار برس کی ایشیکا جنماشٹمی کے موقع پر اپنے رشتے داروں کے ساتھ مندر جارہی تھی۔جہاں مانجھے کی گرفت میں آنے سے اسکی گردن کٹنے سےموت ہوگئی۔
Intro:राजधानी दिल्ली में चाइनीस मांजे से होने वाली मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है ताजा मामला उत्तर पूर्वी जिले के करावल नगर खजूरी खास इलाके में सामने आया है जहां परिवार के साथ जन्माष्टमी पर मंदिर जा रही साढे 4 साल की इशिका की इसी मांझे की चपेट में आकर गर्दन कटने से दर्दनाक मौत हो गई.त्यौहार के समय अचानक हुए इस हादसे से परिवार में मातम का माहौल बना हुआ है,स्थानीय लोगों में चाइनीज मांझे की खुलेआम बिक्री को लेकर खासा रोष है.
Body:जानकारी के मुताबिक निजी कंपनी में नौकरी करने वाले गिरीश कुमार अपने परिवार के साथ पांचवा पुश्ता, सोनिया विहार इलाके में रहते हैं, परिवार में गिरीश के अलावा पत्नी पुष्पा देवी, दो बेटियां हैं, गिरीश के भाई भी यही रहते हैं. बताया जाता है कि गिरीश शनिवार को अपने परिवार के साथ जमुना बाजार स्थित हनुमान मंदिर जाने के लिए बाइक पर घर से निकले थे, अभी यह लोग खजूरी चौक, वजीराबाद रोड पर पहुंचे ही थे, कि तभी अचानक से मांझा बाइक के आगे आ गया और न जाने कब यह मांझा इशिका की गर्दन की काटता हुआ निकल गया, गिरीश का ध्यान जैसे ही अपने कपड़ों पर पड़े खून की तरफ गया उसके होश ही उड़ गए. गिरीश के मुताबिक इशिका के सारे कपड़े खून से लथपथ थे और उसकी गर्दन लटकी हुई थी. गिरीश ने तुरंत ही अपनी गाड़ी रोकी और वह इशिका को लेकर शास्त्री पार्क स्थित जग प्रवेश अस्पताल पहुंचा,जहां मौजूद डॉक्टरों ने खून ज्यादा बहने और इशिका की सांस नहीं होने की बात कही.
मासूम की आकस्मिक मौत से इलाके में कोहराम
अचानक हुए हादसे में साढ़े चार साल की मासूम इशिका की दर्दनाक मौत से जहां परिज सदमे में हैं वहीं आसपास के लोग इस घटना से स्तब्ध हैं, हर किसी का यही कहना था कि सरकार को इस तरह के मांझे पर तगकाल ही रोक लगानी चाहिए. अगर कोई यह मांझा बेचता मिले तो उनके खिलाफ भी सख्त से सख्त कार्रवाई करनी चाहिए.
बेमानी आ लगता है चाइनीज मांझे पर सरकारी बैन
कहने को दिल्ली सरकार ने चायनीज मांझे पर बैन लगाया हुआ है, लेकिन उसके बावजूद इस तरह के मांझे न केवल धड़ल्ले से बेचे जा रहे हैं बल्कि उनका इस्तमाल भी लोग पतंगबाजी में कर रहे हैं. सड़कों पर यह चाइनीज मांझा आपको यदा कदा पड़ा हुआ मिल जाएगा जो पैदल लोगों के साथ ही कई बार वहां चालकों के लिए भी जानलेवा बन जाता है.
Conclusion:दिल्ली में सरकार के बैन के बावजूद कथित चाइनीज मांझे का इस्तेमाल हो रहा है, जिसकी वजह से आये दिन लोग इस खूनी मांझे का शिकार बन रहे हैं, रक्षाबंधन वाले दिन बहन के साथ स्कूटी पर जा रहे सिविल इंजीनियर युवक की गले मव अचानक से मांझा फंसने आए दर्दनाक मौत हो गई और अब मासूम इशिका इसी खूनी प्रतिबंधित मांझे की चपेट में आकर आमय काल के मुंह मे समा गई.सवाल यह है कि आखिर मासूम इशिका की मौत का जिम्मेदार कौन है.
बाईट 1
गिरीश कुमार
इशिका के पिता
बाईट 2
सुषमा मिश्रा
निगम पार्षद, सोनिया विहार
इसके साथ ही मृतक मासूम इशिका और स्थानीय लोहों के साथ बातचीत का वॉक थ्रू भी है.
Body:जानकारी के मुताबिक निजी कंपनी में नौकरी करने वाले गिरीश कुमार अपने परिवार के साथ पांचवा पुश्ता, सोनिया विहार इलाके में रहते हैं, परिवार में गिरीश के अलावा पत्नी पुष्पा देवी, दो बेटियां हैं, गिरीश के भाई भी यही रहते हैं. बताया जाता है कि गिरीश शनिवार को अपने परिवार के साथ जमुना बाजार स्थित हनुमान मंदिर जाने के लिए बाइक पर घर से निकले थे, अभी यह लोग खजूरी चौक, वजीराबाद रोड पर पहुंचे ही थे, कि तभी अचानक से मांझा बाइक के आगे आ गया और न जाने कब यह मांझा इशिका की गर्दन की काटता हुआ निकल गया, गिरीश का ध्यान जैसे ही अपने कपड़ों पर पड़े खून की तरफ गया उसके होश ही उड़ गए. गिरीश के मुताबिक इशिका के सारे कपड़े खून से लथपथ थे और उसकी गर्दन लटकी हुई थी. गिरीश ने तुरंत ही अपनी गाड़ी रोकी और वह इशिका को लेकर शास्त्री पार्क स्थित जग प्रवेश अस्पताल पहुंचा,जहां मौजूद डॉक्टरों ने खून ज्यादा बहने और इशिका की सांस नहीं होने की बात कही.
मासूम की आकस्मिक मौत से इलाके में कोहराम
अचानक हुए हादसे में साढ़े चार साल की मासूम इशिका की दर्दनाक मौत से जहां परिज सदमे में हैं वहीं आसपास के लोग इस घटना से स्तब्ध हैं, हर किसी का यही कहना था कि सरकार को इस तरह के मांझे पर तगकाल ही रोक लगानी चाहिए. अगर कोई यह मांझा बेचता मिले तो उनके खिलाफ भी सख्त से सख्त कार्रवाई करनी चाहिए.
बेमानी आ लगता है चाइनीज मांझे पर सरकारी बैन
कहने को दिल्ली सरकार ने चायनीज मांझे पर बैन लगाया हुआ है, लेकिन उसके बावजूद इस तरह के मांझे न केवल धड़ल्ले से बेचे जा रहे हैं बल्कि उनका इस्तमाल भी लोग पतंगबाजी में कर रहे हैं. सड़कों पर यह चाइनीज मांझा आपको यदा कदा पड़ा हुआ मिल जाएगा जो पैदल लोगों के साथ ही कई बार वहां चालकों के लिए भी जानलेवा बन जाता है.
Conclusion:दिल्ली में सरकार के बैन के बावजूद कथित चाइनीज मांझे का इस्तेमाल हो रहा है, जिसकी वजह से आये दिन लोग इस खूनी मांझे का शिकार बन रहे हैं, रक्षाबंधन वाले दिन बहन के साथ स्कूटी पर जा रहे सिविल इंजीनियर युवक की गले मव अचानक से मांझा फंसने आए दर्दनाक मौत हो गई और अब मासूम इशिका इसी खूनी प्रतिबंधित मांझे की चपेट में आकर आमय काल के मुंह मे समा गई.सवाल यह है कि आखिर मासूम इशिका की मौत का जिम्मेदार कौन है.
बाईट 1
गिरीश कुमार
इशिका के पिता
बाईट 2
सुषमा मिश्रा
निगम पार्षद, सोनिया विहार
इसके साथ ही मृतक मासूम इशिका और स्थानीय लोहों के साथ बातचीत का वॉक थ्रू भी है.
Last Updated : Sep 28, 2019, 7:41 AM IST