नवी दिल्ली - 'डॉ. बाबासाहेब आंबेडकरांनीही आर्टिकल ३७० ला विरोधच केला होता. ते सर्व नागरिकांना समान दर्जा दिला जावा आणि देशामध्ये एकता व अखंडता कायम असावी, याच मताचे होते. त्यामुळे ते जम्मू-काश्मीरला विशेष दर्जा देण्याच्या विरोधात होते. यामुळेच बसपने आर्टिकल ३७० हटवण्याचे समर्थन केले,' असे ट्विट बसप अध्यक्ष मायावती यांनी केले आहे.
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1. जैसाकि विदित है कि बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर हमेशा ही देश की समानता, एकता व अखण्डता के पक्षधर रहे हैं इसलिए वे जम्मू-कश्मीर राज्य में अलग से धारा 370 का प्रावधान करने के कतई भी पक्ष में नहीं थे। इसी खास वजह से बीएसपी ने संसद में इस धारा को हटाये जाने का समर्थन किया।
— Mayawati (@Mayawati) August 26, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
">1. जैसाकि विदित है कि बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर हमेशा ही देश की समानता, एकता व अखण्डता के पक्षधर रहे हैं इसलिए वे जम्मू-कश्मीर राज्य में अलग से धारा 370 का प्रावधान करने के कतई भी पक्ष में नहीं थे। इसी खास वजह से बीएसपी ने संसद में इस धारा को हटाये जाने का समर्थन किया।
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मायावती यांनी या ट्विटमधून आर्टिकल ३७० हटवण्याचे समर्थन करण्याचे कारण स्पष्ट केले आहे. बसपने भाजप सरकारला या मुद्द्यावर संसदेत पाठिंबा दिला होता. तसेच, 'विरोधी पक्षांनी थोडे सबुरीने घ्यावे. सध्या जम्मू-काश्मीरमधील वातावरण तणावपूर्ण आहे. तेथील स्थिती सामान्य होण्यासाठी वेळ द्यावा लागेल, असे सर्वोच्च न्यायालयानेही मान्य केले आहे. तेव्हा तिथे जाण्यापूर्वी काँग्रेस आणि अन्य पक्षाच्या नेत्यांनी विचार करायला हवा होता,' असेही मायावतींनी म्हटले आहे. यामुळे मायावतींनी एक प्रकारे मोदी सरकारला पाठिंबाच दिला आहे. लोकसभा निवडणुकीपूर्वी बसपने महाआघाडीमध्ये अनेक भाजपविरोधी पक्षांच्या गटात सहभाग घेतला होता. मात्र, काही काळातच महाआघाडी मोडीत निघाली. आता बसपने काश्मीरविषयीच्या धोरणासाठी भाजप सरकारला पाठिंबा दिला आहे.
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3. ऐसे में अभी हाल ही में बिना अनुमति के कांग्रेस व अन्य पार्टियों के नेताओं का कश्मीर जाना क्या केन्द्र व वहां के गवर्नर को राजनीति करने का मौका देने जैसा इनका यह कदम नहीं है? वहाँ पर जाने से पहले इस पर भी थोड़ा विचार कर लिया जाता, तो यह उचित होता।
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— Mayawati (@Mayawati) August 26, 20193. ऐसे में अभी हाल ही में बिना अनुमति के कांग्रेस व अन्य पार्टियों के नेताओं का कश्मीर जाना क्या केन्द्र व वहां के गवर्नर को राजनीति करने का मौका देने जैसा इनका यह कदम नहीं है? वहाँ पर जाने से पहले इस पर भी थोड़ा विचार कर लिया जाता, तो यह उचित होता।
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