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गर्भवती महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर कोरोना का प्रभाव

कोरोना वायरस महामारी के दौरान हर व्यक्ति कही न कही इस समस्या से जूझ रहा है. ये समय उन लोगों के लिए बेहद मुश्किल है जिनकी प्रतिरक्षा कमजोर है, खासकर गर्भवती महिलाओं में इस बात का गहरा असर पड़ रहा है. इस स्थिति में शिशु के शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए जरूरी है कि गर्भवती महिलाएं सकारात्मक चीजें पढ़े और देखें.

pregnancy during corona
कोरोना के दौरान गर्भावस्था
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Published : Jul 17, 2020, 3:10 PM IST

Updated : Jul 18, 2020, 9:51 AM IST

कोरोना वायरस के साये में गर्भवती महिलाओं का शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के अलावा मानसिक रूप से स्वस्थ रहना भी बहुत जरूरी है. क्योंकि गर्भ में पल रहे शिशु के लिए दोनों बातों का होना महत्वपूर्ण है. किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (क्वीन मेरी) लखनऊ की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. सुजाता देव का मानना है कि कोरोना संकट के समय गर्भवती महिलाओं का मानसिक रूप से स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है. ऐसे समय में महिलाएं कोविड-19 के बारे में समाचार कम देखें, पढ़ें और सुनें.

वायरस के बारे में चिंता सामान्य है, लेकिन गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास के लिए महिला का मानसिक तौर पर स्वस्थ रहना ज्यादा महत्वपूर्ण है. केवल विश्वसनीय स्रोतों से जानकारी प्राप्त करें ताकि अपनी योजनाएं तैयार करने के लिए व्यवहारिक कदम उठा सकें.

मासिक जांच कराएं

उन्होंने कहा कि इस दौरान सकारात्मक और उत्साह बढ़ाने वाली कहानियां पढ़ें, जैसे कि हाल ही में मां बनीं महिलाओं और कोविड विजेताओं की कहानियां संबल प्रदान करेंगी. इसके अलावा हर महीने की नौ तारीख को स्वास्थ्य केन्द्रों पर आयोजित होने वाले प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान दिवस पर प्रसव पूर्व जांच अवश्य कराएं, ताकि पता चल सके उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था (एचआरपी) का कोई मामला तो नहीं है.

वातावरण अनुकूल रखें

बता दें कि गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिलाओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है. ऐसे में उनमें संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है और इससे बच्चे पर भी बुरा असर पड़ सकता है. गर्भवती महिलाओं को जितना हो सके सकारात्मक चीजों के बारे में पढ़ना और सुनना चाहिए. इससे बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा. सिर्फ महिलाएं ही नहीं बल्कि उनके परिवार के लोग भी ध्यान रखें कि उनका वातावरण अनुकूल रहें.

खानपान का रखें ध्यान

डॉ. सुजाता का कहना है कि गर्भवती को घर पर नियमित रूप से हाथ की सफाई करते रहना चाहिए, अपने चिकित्सक से घर पर स्वच्छता के तौर-तरीकों के बारे में भी जानकारी प्राप्त करनी चाहिए, हरी सब्जियों, प्रोटीन और काबोर्हाइड्रेट सहित पर्याप्त और पौष्टिक आहार का सेवन करना चाहिए. यदि गर्भावस्था को लेकर किसी भी तरह की चिंता में हैं, तो फोन पर अपने क्षेत्र की आशा या एएनएम या प्रसूति विशेषज्ञ से संपर्क कर सकती हैं. इसके साथ ही अगर प्रसव का समय करीब है, तो अपना मदर कार्ड और आपातकालीन एम्बुलेंस का नंबर तैयार रखिये. परिवार वालों को भी इस बारे में जानकारी अवश्य दे दीजिए. अस्पताल जाने पर अपने चिकित्सक के निर्देशों का पूरी तरह से पालन करें.

सौजन्य: आईएएनएस

कोरोना वायरस के साये में गर्भवती महिलाओं का शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के अलावा मानसिक रूप से स्वस्थ रहना भी बहुत जरूरी है. क्योंकि गर्भ में पल रहे शिशु के लिए दोनों बातों का होना महत्वपूर्ण है. किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (क्वीन मेरी) लखनऊ की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. सुजाता देव का मानना है कि कोरोना संकट के समय गर्भवती महिलाओं का मानसिक रूप से स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है. ऐसे समय में महिलाएं कोविड-19 के बारे में समाचार कम देखें, पढ़ें और सुनें.

वायरस के बारे में चिंता सामान्य है, लेकिन गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास के लिए महिला का मानसिक तौर पर स्वस्थ रहना ज्यादा महत्वपूर्ण है. केवल विश्वसनीय स्रोतों से जानकारी प्राप्त करें ताकि अपनी योजनाएं तैयार करने के लिए व्यवहारिक कदम उठा सकें.

मासिक जांच कराएं

उन्होंने कहा कि इस दौरान सकारात्मक और उत्साह बढ़ाने वाली कहानियां पढ़ें, जैसे कि हाल ही में मां बनीं महिलाओं और कोविड विजेताओं की कहानियां संबल प्रदान करेंगी. इसके अलावा हर महीने की नौ तारीख को स्वास्थ्य केन्द्रों पर आयोजित होने वाले प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान दिवस पर प्रसव पूर्व जांच अवश्य कराएं, ताकि पता चल सके उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था (एचआरपी) का कोई मामला तो नहीं है.

वातावरण अनुकूल रखें

बता दें कि गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिलाओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है. ऐसे में उनमें संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है और इससे बच्चे पर भी बुरा असर पड़ सकता है. गर्भवती महिलाओं को जितना हो सके सकारात्मक चीजों के बारे में पढ़ना और सुनना चाहिए. इससे बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा. सिर्फ महिलाएं ही नहीं बल्कि उनके परिवार के लोग भी ध्यान रखें कि उनका वातावरण अनुकूल रहें.

खानपान का रखें ध्यान

डॉ. सुजाता का कहना है कि गर्भवती को घर पर नियमित रूप से हाथ की सफाई करते रहना चाहिए, अपने चिकित्सक से घर पर स्वच्छता के तौर-तरीकों के बारे में भी जानकारी प्राप्त करनी चाहिए, हरी सब्जियों, प्रोटीन और काबोर्हाइड्रेट सहित पर्याप्त और पौष्टिक आहार का सेवन करना चाहिए. यदि गर्भावस्था को लेकर किसी भी तरह की चिंता में हैं, तो फोन पर अपने क्षेत्र की आशा या एएनएम या प्रसूति विशेषज्ञ से संपर्क कर सकती हैं. इसके साथ ही अगर प्रसव का समय करीब है, तो अपना मदर कार्ड और आपातकालीन एम्बुलेंस का नंबर तैयार रखिये. परिवार वालों को भी इस बारे में जानकारी अवश्य दे दीजिए. अस्पताल जाने पर अपने चिकित्सक के निर्देशों का पूरी तरह से पालन करें.

सौजन्य: आईएएनएस

Last Updated : Jul 18, 2020, 9:51 AM IST
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