दिवाली का माहौल है तो बाजार तो मिठाई और पकवानों से सजाएंगे ही. वहीं हमारे देश में घरों में त्योहारों पर एक से एक स्वादिष्ट व्यंजन और पकवान बनाने की परंपरा है, यानी खाने की मेज पर तीखा, मीठा, नमकीन हर तरह का स्वाद मौजूद होता है. अब इस तरह के भोजन को देख कर मन तो ललचाता ही है लेकिन स्वाद का यह लालच उन लोगों की सेहत पर भारी पड़ सकता है, ऐसे लोग रहें ज्यादा सावधान (How diabetics can celebrate a healthy and safe Diwali) जो मधुमेह जैसी समस्याओं से पीड़ित हो. Health precautions in diwali . Diwali 2022 . diwali celebration . diwali food and recipes . Dipawali 2022 . Diwali precautions .
क्या कहते हैं चिकित्सक : चिकित्सकों की मानें तो दिवाली के बाद मधुमेह के रोगियों में शुगर के शूट (sugar shoots in diabetic patients) होने की समस्या बहुत ज्यादा देखने में आती है. यही नहीं इसके अलावा भी और भी तरह की परेशानियां होती हैं जिनका मधुमेह रोगियों को आहार में लापरवाही करने के चलते सामना करना पड़ता है. जयपुर के जनरल फिजीशियन डॉ समीर सिंह (Dr Sameer Singh General Physician Jaipur) बताते हैं कि दिवाली के मौके पर लोगों में मिलने जुलने तथा मिठाइयों व पकवानों के आदान-प्रदान कि परंपरा है. एक तो वैसे ही त्यौहार के मौके पर सामान्य भोजन में भी पकवान ज्यादा बढ़ जाते हैं, वहीं दूसरों के घर मिलने जुलने के लिए जाने पर या अपने घर पर मेहमानों के आने पर ज्यादातर लोगों कि आहार दिनचर्या में चाय, कोल्ड ड्रिंक मिठाई या पकवानों की मात्रा बढ़ जाती है. यह सब चीजे जब स्वस्थ व्यक्ति की सेहत बिगड़ सकती है तो मधुमेह रोगियों के लिए तो खासी गंभीर स्थिति उत्पन्न कर सकती हैं.
आमतौर पर देखा जाता है कि त्योहारों के मौके पर मधुमेह जैसी समस्या से पीड़ित लोग, विशेषकर बुजुर्ग तथा बच्चे खाने पीने को लेकर अनदेखी करने लगते हैं . जिसका नतीजा उनमें रक्त शर्करा के स्तर में बढ़ोतरी के रूप में देखा जाता है. Dr Sameer Singh General Physician Jaipur बताते हैं कि दिवाली एक ऐसा अवसर है जब मौसम में बदलाव , प्रदूषण तथा अन्य कई कारणों से कई प्रकार के रोगों तथा संक्रमण के होने की आशंका भी ज्यादा रहती है. ऐसा होने पर मधुमेह पीड़ितों की समस्याएं अपेक्षाकृत ज़्यादा बढ़ सकती है. ऐसे में मधुमेह रोगियों को इस तरह के आयोजनों पर ज्यादा सचेत रहने की जरूरत होती है. यह सचेतता सिर्फ खान-पान से जुड़ी ही नहीं होनी चाहिए बल्कि दिनचर्या, शारीरिक सक्रियता तथा अन्य शारीरिक गतिविधियों को लेकर भी मधुमेह पीड़ितों को ज्यादा सावधान रहने कि जरूरत होती है.
कैसा हो आहार : Dr Sameer Singh बताते हैं कि मधुमेह रोगियों के लिए रिफाइंड शुगर और मैदे का सेवन काफी नुकसानदायक होता है. लेकिन त्योहार के अवसर पर अधिकांश मिठाइयां रिफाइंड शुगर से ही बनी हुई होती है. वहीं मठरी, पकवानों का निर्माण भी मैदे से होता है. ऐसे में जहां तक संभव हो इस तरह के आहार से परहेज करना चाहिए. मैदे की बजाय गेहूं या अन्य साबुत अनाज (multigrain) से बने ऐसे पकवान जिन्हें बनाने में ना के बराबर तेल का इस्तेमाल किया गया हो, का सेवन बेहतर होता है.
इसके अलावा रिफाइंड शुगर में बनी मिठाइयों की बजाय गुड, खजूर या अंजीर से बनी मिठाइयों को प्राथमिकता देना ज्यादा बेहतर रहता है. लेकिन मधुमेह पीड़ित इनका सेवन कर सकते हैं या नहीं, यदि हां तो कितनी मात्रा में इन्हे खाया जा सकता है इसका निर्णय हमेशा अपने चिकित्सक से सलाह लेने के बाद ही करना चाहिए. क्योंकि यह पीड़ित की गंभीरता तथा उसकी इन चीजों को लेकर संवेदनशीलता पर निर्भर करता है. मिठाई तथा पकवान के स्थान पर यदि सूखे मेवों तथा फलों का सेवन किया जाए तो यह हमेशा ही ज्यादा बेहतर तथा ज्यादा सुरक्षित रहता है.
Dr Sameer Singh बताते हैं कि मधुमेह रोगी जब किसी के घर त्योहार मिलन के लिए जाते हैं तो वहां बार-बार मीठी चाय या कोल्डड्रिंक जैसे पेय पदार्थ जिनमें शुगर की मात्रा काफी ज्यादा होती है, पीने से बचना चाहिए. इसके अलावा घर में तथा बाहर, जहां तक संभव हो मीठे पेय पदार्थों की बजाए सामान्य तापमान वाला या हल्का गर्म पानी, नारियल पानी, बिना मीठे का नींबू पानी या बहुत कम मात्रा में शुगर फ्री मिला हुआ नींबू पानी का सेवन एक एक बेहतर विकल्प हो सकता है. वह बताते हैं कि इसके अलावा मधुमेह के रोगियों को सफेद चावल खाने से भी परहेज करना चाहिए दरअसल सफेद चावल में ग्लाइसेमिक इंडेक्स ज्यादा होता है, जिससे ब्लड शुगर का स्तर शूट हो सकता है.
निबलिंग ज्यादा बेहतर (Nibbling much better)
डॉ समीर बताते हैं कि सिर्फ आहार का प्रकार ही नहीं बल्कि आप किस समय तथा किस तरह से आहार कर रहें हैं, इस बात का ध्यान रखना भी बहुत जरूरी होता है. मधुमेह रोगियों को हमेशा एक ही बार में बहुत सारा भोजन करने से बचना चाहिए. दरअसल दो समय के भोजन के बीच में लंबी अवधि का अंतराल रक्त में शर्करा के स्तर को बढ़ा सकता है. इसलिए मधुमेह पीड़ितों के लिए दिन में तीन मील कि बजाय दिन में चार से पांच बार (Four to five meals a day) अल्पाहार यानी थोड़ी-थोड़ी देर बाद थोड़ी-थोड़ी मात्रा में भोजन करना ज्यादा सुरक्षित रहता है. यहां इस बात का ध्यान रखना भी जरूरी है कि आहार में पोषण की मात्रा भरपूर हो. इससे शरीर में रक्त शर्करा का स्तर नियंत्रित रहता है. इसके अलावा आहार में सब्जियों, फलों और ऐसे आहार जिनमें प्रोटीन की मात्रा ज्यादा हो को शामिल करना ज्यादा बेहतर रहता है
शरीर हो हाइड्रेट (Body hydrated): वह बताते हैं कि विशेषतौर पर मधुमेह पीड़ितों के लिए शरीर में पानी की कमी होने से बचना भी बहुत जरूरी है. दरअसल शरीर में पानी की कमी भी रक्त में शर्करा के स्तर को प्रभावित कर सकती है.लेकिन यहां यह जानना भी जरूरी है कि शरीर में पानी की कमी को पूरा करने के नाम पर कोल्ड ड्रिंक या ज्यादा मीठे शरबत व अन्य पेय पदार्थों का सेवन शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकता है. इसकी बजाय ताजा फलों या सब्जियों का जूस जिसमें ऊपरी तौर पर किसी प्रकार की शक्कर नहीं मिलाई गई हो तथा नमकीन छाछ व नारियल पानी का सेवन करना ज्यादा बेहतर होता है.
सक्रिय दिनचर्या जरूरी (Active Life) : मधुमेह रोगियों के लिए जीवन शैली में अनुशासन तथा सक्रिय दिनचर्या का पालन करना बहुत जरूरी है. व्यायाम शरीर में रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित रखने का सबसे अच्छा तरीका है, साथ ही यह शरीर में इंसुलिन के स्तर को नियंत्रित रखने में भी मददगार हो सकते हैं. इसलिए सिर्फ त्यौहार ही नहीं बल्कि सामान्य जीवन में भी मधुमेह पीड़ितों को सक्रिय जीवन शैली जैसे सुबह समय पर उठना, रात को समय पर सोना, समय पर भोजन करना ,ऐसे कार्यों में प्रतिभाग करना जिनमें शारीरिक सक्रियता की ज्यादा जरूरत हो तथा नियमित व्यायाम करना बहुत जरूरी होता है.
शराब तथा धूम्रपान से दूरी जरूरी (Abstinence from alcohol and smoking)
आमतौर पर दिवाली के मौके पर लोगों के घरों में दिवाली पार्टी तथा मेल जोल के आयोजन होते रहते हैं. ऐसे में शराब तथा अन्य प्रकार के कम या ज्यादा मात्रा के अल्कोहल ड्रिंक भी इस मौके पर सर्व किए जाते हैं. लोगों को लगता है कि अल्कोहल पार्टी का मजा बढ़ा सकता है लेकिन इसका ज्यादा मात्रा में तथा लगातार सेवन करना सेहत के लिए काफी हानिकारक हो सकता है. विशेष तौर पर मधुमेह रोगियों को इसके सेवन से जहां तक संभव हो परहेज करना चाहिए या इसका कम से कम मात्रा में सेवन करना चाहिए. डॉ समीर बताते हैं कि त्योहार के इस मौसम में इन छोटी-छोटी बातों को अपनी दिनचर्या में तथा आहार में शामिल करने से त्यौहार के दौरान तथा उसके बाद होने वाली कई प्रकार की शारीरिक समस्याओं से बचा जा सकता है इसलिए दिवाली तो मनाएं, लेकिन सेहत वाली दिवाली मनाएं.
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