तिरुवनंतपुरम: राजीव गांधी सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी- RGCB के शोधकर्ताओं ने कहा है कि जानलेवा बीमारी डेंगू को फैलाने वाला वायरस उच्च तापमान में और ज्यादा खतरनाक हो जाता है. यह शोध डेंगू की गंभीरता और उग्रता का अनुमान लगाने और उसे कम करने में मदद कर सकता है. शोध प्रति वर्ष 390 मिलियन मामलों पर ग्लोबल वार्मिंग प्रभावों की ओर इशारा करता है. यह अध्ययन हाल ही में अमेरिका के 'द फेडरेशन ऑफ अमेरिकन सोसाइटीज ऑफ एक्सपेरिमेंटल बायोलॉजी' जर्नल में प्रकाशित हुआ था.
शोध दल का नेतृत्व करने वाले डॉ. ईश्वरन श्रीकुमार ने कहा कि मच्छरों के शरीर का तापमान अन्य जानवरों की तरह स्थिर नहीं होता है. यह पर्यावरणीय तापमान के साथ बढ़ता या घटता रहता है. अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि उच्च तापमान वृद्धि की स्थिति क्या होगी जो वायरस की उग्रता को प्रभावित करते हैं. उन्होंने कहा कि पहली बार हमारे हालिया अध्ययन से पता चलता है कि मच्छर कोशिकाओं में वायरस उच्च तापमान में काफी अधिक खतरनाक था.
-
#Citizen participation is integral in keeping our surroundings free of any #mosquito larval breeding sites and fighting #dengue.
— Tata Institute for Genetics and Society, India (@TIGS_India) August 23, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
⬇️ Below is #Aedes mosquito larvae in a plant pot tray with, a prime breeding habitat among many such sources created in urban areas!@fishtiaq pic.twitter.com/3K8FLj1Lu8
">#Citizen participation is integral in keeping our surroundings free of any #mosquito larval breeding sites and fighting #dengue.
— Tata Institute for Genetics and Society, India (@TIGS_India) August 23, 2023
⬇️ Below is #Aedes mosquito larvae in a plant pot tray with, a prime breeding habitat among many such sources created in urban areas!@fishtiaq pic.twitter.com/3K8FLj1Lu8#Citizen participation is integral in keeping our surroundings free of any #mosquito larval breeding sites and fighting #dengue.
— Tata Institute for Genetics and Society, India (@TIGS_India) August 23, 2023
⬇️ Below is #Aedes mosquito larvae in a plant pot tray with, a prime breeding habitat among many such sources created in urban areas!@fishtiaq pic.twitter.com/3K8FLj1Lu8
श्रीकुमार के अलावा शोध दल के अन्य सदस्यों में अयान मोदक, सृष्टि राजकुमार मिश्रा, मानसी अवस्थी, श्रीजा श्रीदेवी, अर्चना सोभा, आर्य अरविंद और क्रिथिगा कुप्पुसामी शामिल थे. शोधकर्ताओं ने कहा कि बढ़े हुए पर्यावरणीय तापमान में रुक-रुक कर होने वाली बारिश से मच्छरों की वृद्धि को बढ़ावा मिलता है, जिससे अधिक खतरनाक Dengue Virus में गंभीर स्थिति पैदा होने की संभावना होती है. देश के विभिन्न हिस्सों में हो रहे Dengue के प्रकोप में इस पहलू पर कभी ध्यान नहीं दिया गया है. उन्हाेंने कहा कि हमारा अध्ययन ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते प्रभावों और संक्रामक रोग गतिशीलता पर इसके संभावित प्रभावों की ओर इशारा करता है.
-
डेंगू के मामले बरसात के दिनों में बढ़ जाते हैं इसलिए घर में और आस-पास एडीज मच्छरों के पनपनें वाली जगहों जैसे कूलर, पानी से भरे बर्तन, टायर एवं अन्य पात्रों की खास निगरानी करें I एडीज मच्छर साफ पानी में पनपतें हैं इसलिए जलभराव न होने दें और नियमित साफ-सफाई करें #Dengue pic.twitter.com/2pG8IBoeLf
— Ministry of Health (@MoHFW_INDIA) August 16, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
">डेंगू के मामले बरसात के दिनों में बढ़ जाते हैं इसलिए घर में और आस-पास एडीज मच्छरों के पनपनें वाली जगहों जैसे कूलर, पानी से भरे बर्तन, टायर एवं अन्य पात्रों की खास निगरानी करें I एडीज मच्छर साफ पानी में पनपतें हैं इसलिए जलभराव न होने दें और नियमित साफ-सफाई करें #Dengue pic.twitter.com/2pG8IBoeLf
— Ministry of Health (@MoHFW_INDIA) August 16, 2023डेंगू के मामले बरसात के दिनों में बढ़ जाते हैं इसलिए घर में और आस-पास एडीज मच्छरों के पनपनें वाली जगहों जैसे कूलर, पानी से भरे बर्तन, टायर एवं अन्य पात्रों की खास निगरानी करें I एडीज मच्छर साफ पानी में पनपतें हैं इसलिए जलभराव न होने दें और नियमित साफ-सफाई करें #Dengue pic.twitter.com/2pG8IBoeLf
— Ministry of Health (@MoHFW_INDIA) August 16, 2023
प्रभावी टीका या एंटीवायरल नहीं
पहले यह देखा गया था कि अपेक्षाकृत उच्च पर्यावरणीय तापमान मच्छरों में वायरस की अवधि को कम कर देता है, जिसके परिणामस्वरूप मानव संचरण में वृद्धि होती है. RGCB के निदेशक प्रोफेसर चंद्रभास नारायण ने कहा कि शोधकर्ता यह समझने का प्रयास कर रहे हैं कि Dengue कभी-कभी गंभीर क्यों हो जाता है. लेकिन, दशकों के शोध के बाद भी बार-बार होने वाली बीमारी को नियंत्रित करने या रोकने के लिए अभी भी कोई प्रभावी टीके या एंटीवायरल नहीं हैं.
ये भी पढ़ें डेंगू से बचना है तो मच्छरों से रहें सावधान . न करें इन लक्षणों को नजरअंदाज, ये हैं बचाव के तरीके |
यह अध्ययन Dengue के प्रकोप की गंभीरता की भविष्यवाणी करने के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा. अध्ययन एक माउस मॉडल पर आधारित है. शोध में पाया गया कि उच्च तापमान वृद्धि से प्राप्त विषाक्त तनाव के कारण रक्त में वायरस की उपस्थिति बढ़ गई, जिससे रक्तस्राव हुआ, हृदय और गुर्दे जैसे महत्वपूर्ण अंगों में गंभीर परिवर्तन हुए जो मौत का कारण बन सकते हैं. Dengue एक वायरल संक्रमण है जो डीईएनवी- DENV के कारण होता है और संक्रमित मच्छरों के काटने से मनुष्यों में फैलता है. विश्व स्तर पर डेंगू की घटनाएं पिछले कुछ वर्षों में बढ़ रही हैं, साथ ही रोग की गंभीरता और मृत्यु दर में भी वृद्धि हुई है. जबकि अधिकांश रोगियों में यह रोग हल्का और सीमित होता है. वहीं कुछ रोगियों में यह जीवन घातक थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (रक्त में बेहद कम प्लेटलेट गिनती) और शॉक सिंड्रोम का कारण बनता है.
(आईएएनएस)