पुरोला: मोरी विकासखंड सिगतुर पट्टी के लगभग एक दर्जन गांव स्वावलंबन की ओर आगे बढ़ रहे हैं. ग्रामीणों ने बिना किसी सरकारी मदद के अपने दम पर कृषि भूमि पर सेब के पौध लगाये हैं. जिससे प्रति वर्ष लगभग 3 लाख सेब के बॉक्स बाजारों में बिकने के लिए तैयार हो रहे हैं. इससे गांव की आर्थिक स्थिति में लगातार सुधार देखने को मिल रहा है. वहीं कभी रोजगार के लिए इधर-उधर भटक रहे ग्रामीणों ने अपने गांव को ही सेब का हब बनाकर बड़ी संख्या में युवाओं को रोजगार दिया है.
मोरी ब्लॉक के सिगतुर पट्टी के देवरा, गेन्चवाण गांव, हलटाड़ी, गुराड़ि, पाशा, पोखरी, कुंनारा सहित एक दर्जन गांव के बुजुर्गों ने अपनी पुश्तैनी जमीन को हिमाचल के लोगों को बेच दिया था. जिसपर हिमाचल के लोगों ने सेब के बगान तैयार कर दिए हैं. गांव के नौजवान दिहाड़ी मजदूरी करने लगे. लेकिन बदलते वक्त से नौजवानों ने सीख लेकर अपनी बची हुई जमीन पर सेब के बाग तैयार कर 10 से 12 सालों की मेहनत में ही पूरे कृषि भूमि को सेब के पौधों से भर दिया. जिसका परिणाम यह हुआ कि गांव वाले इन बागों से करोड़ों रुपए के सेब निर्यात कर रहे हैं.
गांव छोड़कर रोजगार की तलाश में बाहर निकले युवा अपने गांव में आकर सेब के जरिए स्वरोजगार कर बाहरी राज्यों के लोगों को रोजगार दे रहे हैं. आलम यह है कि हर परिवार एक सीजन में चार से पांच सौ बॉक्स सेब मंडी भेजकर लाखों रुपए की आमदनी कर रहा है. इसके साथ ही कभी हिमाचल से सेब के पौधे लाकर बाग तैयार करने वाले ये युवा अपनी सेब की नर्सरी तैयार कर हिमाचल को ही सेब के पौध बेच रहे हैं. ग्रामीणों ने सरकार से मांग की है कि उन्हें सड़क, मोबाइल नेटवर्क, सेब की दवाइयां और खाद समय पर उपलब्ध कराये. जिससे इस क्षेत्र को राज्य के सेब हब के रूप में विकसित कर राज्य के लिए एक रोल मॉडल बन सकें.
पढ़ें- केदारनाथ में वैज्ञानिकों की बात अनसुनी करने की भी क्या माफी मांगेंगे हरीश रावत: सतपाल महाराज
इन युवाओं की मेहनत और लगन आसपास के ग्रामीणों के साथ ही राज्य के उन नौजवानों के लिए भी नजीर है, जो रोजगार की तलाश में अपने घर गांव को छोड़कर दूसरे राज्यों में रोजी-रोटी के लिए निकलते हैं. ऐसे में सरकार इन क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाएं बढ़ाकर युवाओं को प्रोत्साहित करे. जिससे बागवानी से अन्य क्षेत्र के लोगों को जोड़कर प्रति व्यक्ति आय में सुधार के साथ ही राज्य की आर्थिक स्थिति भी सुधारी जा सके.