उत्तरकाशीः हाथों में कुदाल, फावड़ा और गैंती लिये ये ग्रामीण सड़क बनाने के लिए निकले हैं. सड़क निर्माण करने का जोश और इसे पूरा करने की बेकरारी ग्रामीणों की आंखों में साफ देखी जा सकती है. दरअसल, सरकार के लापरवाह रवैये के कारण नाराज ग्रामीणों ने खुद ही सालों से लटकी सड़क बनाने का फैसला लिया है.
जसपुर सिल्याण के ग्रामीण कहते हैं, क्या करें धरना प्रदर्शन कर लिया, ज्ञापन सौंप दिया... लेकिन न तो प्रशासन सुन रहा है और न ही शासन कोई कदम उठा रहा है. ऐसे में सड़क निर्माण की राह देखने से तो अच्छा है कि खुद ही गांव तक जाने का रास्ता बना लिया जाए. शासन प्रशासन की अनदेखी से परेशान ग्रामीणों की मजबूरी पर देखिये ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट...
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रविवार को शासन प्रशासन की अनदेखी से मजबूर जसपुर-सिल्याण, निराकोट के ग्रामीण कूटेटी देवी के समीप मोड़ पर पहुंचे. जहां से लोक निर्माण विभाग भटवाड़ी खंड ने तीनों गांव के लिए 8 किमी सड़क का सर्वे किया था. यहां पहुंचकर गांववासियों ने स्वयं भूमि पूजन किया और सड़क खोदनी शुरू कर दी.
सिल्याण गांव के पूर्व प्रधान गब्बर सिंह ने बताया कि जिला मुख्यालय के समीप होने के बाद भी गांव में सड़क नहीं पहुंची है. इस वजह से स्थानीय लोगों को समय पर उपचार नहीं मिल पाता है, जिस कारण गांव में कई मौतें हो चुकी हैं. ग्रामीणों का कहना है कि कई बार धरना, जुलूस प्रदर्शन के माध्यम से शासन प्रशासन को परेशानी बताई गयी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. स्थानीय निवासियों ने बताया कि अब ग्रामीण तबतक सड़क निर्माण में जुटे रहेंगे, जब तक विभाग की जेसीबी सड़क खोदने के लिए मौके पर नहीं पहुंचती.
ग्रामीण किशन सिंह ने बताया कि साल 2007 में जसपुर-सिल्याण-निराकोट तीनों गांव को जोड़ने के लिए 8 किमी सड़क का सर्वे हुआ और तत्कालीन सीएम निशंक ने शिलान्यास भी किया. लेकिन, 12 साल बीत जाने के बाद भी सड़क निर्माण शुरू नहीं किया गया. अब ग्रामीणों के पास खुद ही सड़क निर्माण करने के लिए अलावा और कोई चारा नहीं है, क्योंकि शासन-प्रशासन तो सुनवाई को तैयार ही नहीं है.
वहीं, लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता आरएस खत्री ने बताया कि जसपुर सिल्याण निराकोट मोटर मार्ग की स्वीकृति के लिए वन मंत्रालय भारत सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है. वहां से स्वीकृति मिलने के बाद ही आगे की कार्य शुरू किया जाएगा.