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उत्तरकाशी: बर्फ से ढक चुके हैं जंगल, मवेशियों के चारापत्ती के लिए जूझ रहे ग्रामीण - Uttarakhand weather news

उत्तरकाशी में भारी बर्फबारी के चलते जंगल बर्फ से ढक चुके हैं. जिसके चलते जनपद के ऊंचाई वाले गांवों में मवेशियों के लिए चारापत्ती भी नहीं मिल रहा है. वहीं, ग्रामीण पिछले साल एकत्रित किए गए चारापत्ती से ही मवेशियों का काम चला रहे हैं. लेकिन अब वो भी खत्म होने की कगार पर है.

Villagers battling for cattle feed in uttarkashi
बर्फबारी से ढके जंगल
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Published : Jan 7, 2020, 11:11 PM IST

Updated : Jan 7, 2020, 11:21 PM IST

उत्तरकाशी: जिले में भारी बर्फबारी से जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है. वहीं, दूसरी ओर मवेशियों पर भी इस बर्फबारी का असर पड़ने लगा है. भारी बर्फबारी के चलते जंगल बर्फ से ढक चुके हैं. ऐसे में ऊंचाई वाले गांवों में मवेशियों के लिए हरी चारापत्ती भी नहीं मिल रही है. जिसके चलते मवेशियों को भोजन उपलब्ध करवाने में भी ग्रामीणों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

मवेशियों के चारापत्ती के लिए जूझ रहे ग्रामीण.

बर्फबारी के चलते उत्तरकाशी जनपद के ग्रामीणों को सबसे ज्यादा दिक्कतें मूलभूत सुविधाएं जुटाने में हो रही है. जिले के ऊंचाई वाले इलाकों सुक्की, झाला, जसपुर, पुराली, सरनौल, खरसाली और जानकी चट्टी में पानी के पाइप जम चुके हैं. जिसके चलते ग्रामीणों को पेयजल के लिए भी जूझना पड़ रहा है.

ये भी पढ़ें: एसडीएम कार्यालय में किसानों ने किया धरना-प्रदर्शन, मुआवजे की मांग

ग्रामीणों का कहना है कि सबसे ज्यादा दिक्कतें मवेशियों के लिए चारापत्ती जुटाने में हो रही है. क्योंकि भारी बर्फबारी से ज्यादातर जंगल बर्फ से ढक चुके हैं. ऐसे में मवेशियों के लिए हरी घास नहीं मिल रही है. वहीं, ग्रामीणों को पिछले साल एकत्रित किए गए सूखे चारापत्ती से काम चलाना पड़ रहा है लेकिन, अब वो भी अब खत्म होने की कगार पर है.

उत्तरकाशी: जिले में भारी बर्फबारी से जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है. वहीं, दूसरी ओर मवेशियों पर भी इस बर्फबारी का असर पड़ने लगा है. भारी बर्फबारी के चलते जंगल बर्फ से ढक चुके हैं. ऐसे में ऊंचाई वाले गांवों में मवेशियों के लिए हरी चारापत्ती भी नहीं मिल रही है. जिसके चलते मवेशियों को भोजन उपलब्ध करवाने में भी ग्रामीणों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

मवेशियों के चारापत्ती के लिए जूझ रहे ग्रामीण.

बर्फबारी के चलते उत्तरकाशी जनपद के ग्रामीणों को सबसे ज्यादा दिक्कतें मूलभूत सुविधाएं जुटाने में हो रही है. जिले के ऊंचाई वाले इलाकों सुक्की, झाला, जसपुर, पुराली, सरनौल, खरसाली और जानकी चट्टी में पानी के पाइप जम चुके हैं. जिसके चलते ग्रामीणों को पेयजल के लिए भी जूझना पड़ रहा है.

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ग्रामीणों का कहना है कि सबसे ज्यादा दिक्कतें मवेशियों के लिए चारापत्ती जुटाने में हो रही है. क्योंकि भारी बर्फबारी से ज्यादातर जंगल बर्फ से ढक चुके हैं. ऐसे में मवेशियों के लिए हरी घास नहीं मिल रही है. वहीं, ग्रामीणों को पिछले साल एकत्रित किए गए सूखे चारापत्ती से काम चलाना पड़ रहा है लेकिन, अब वो भी अब खत्म होने की कगार पर है.

Intro:उत्तरकाशी। जहां एक और जनपद में भारी बर्फबारी से जन जीवन पूरी तरह अस्त व्यस्त हो गया है। तो वहीं दूसरी और मवेशियों पर भी बर्फबारी के कारण परेशानी झेलनी पड़ रही है। जनपद के ऊंचाई वाले इलाके के गांव में मवेशियों के लिए हरी चारा पत्ती नहीं मिल रही है। क्योंकि बर्फबारी के कारण जंगल बर्फ से ढक चुके हैं। हालांकि ग्रामीण मवेशियों के लिए 6 माह की चारा पत्ती की व्यस्था करते हैं। लेकिन इस वर्ष बर्फबारी के बाद ग्रामीणों को सबसे ज्यादा दिक्कतें मवेशियों के लिए चारापत्ती एकत्रित करने में हो रही है।


Body:वीओ-1, उत्तरकाशी जनपद के उपला टकनौर क्षेत्र सहित मोरी के पर्वत और नौगांव सहित बड़कोट के कई ऊंचाई वाले गांव एक बार फिर हिमयुग में लौट आये हैं। तो वहीं ग्रामीणों को अब सबसे ज्यादा दिक्कतें मूलभूत सुविधाओं के चलते हो रही है। ऊंचाई वाले इलाकों सुक्की, झाला,जसपुर पुराली,सरनौल,खरसाली,जानकीचट्टी,में पानी के पाइप जम चुके हैं। जिस कारण पानी की सबसे ज्यादा दिक्कते हो रही हैं। ग्रामीणों का कहना है कि बिजली भी आंख मिचौली खेल रही है।


Conclusion:वीओ-2, ग्रामीणों का कहना है कि सबसे ज्यादा दिक्कतें मवेशियों की चारा पत्ती के कारण हो रही है। क्योंकि सभी जंगल अब बर्फ से ढक चुके हैं। जिससे कि मवेशियों के लिए हरी घास नहीं मिल रही है। स्टोरेज किये गए चारा पत्ती से किसी प्रकार से मवेशियों को रखा जा रहा है। तो वहीं मवेशी कई दिनों से एक ही कमरे में बंद पड़े हुए हैं। बाइट- स्थानीय ग्रामीण।
Last Updated : Jan 7, 2020, 11:21 PM IST
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