उत्तरकाशीः आपदा प्रभावित मांडो गांव की प्रशासन ने अब तक सुध नहीं ली है. यही कारण है कि बीते 4 महीने से मांडो के ग्रामीण बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं, लेकिन उसके बाद भी जल संस्थान और जिला प्रशासन ने कलक्ट्रेट परिसर से करीब 2 किमी की दूरी पर स्थित मांडो गांव को उसके हाल पर ही छोड़ दिया है. ग्रामीणों का कहना है कि डीएम से सीएम तक पत्राचार और सीएम हेल्पलाइन में भी अपनी समस्या बताई, लेकिन उसके बाद भी कोई सुध नहीं ले रहा है.
गौर हो कि इसी साल जुलाई महीने में आई विनाशकारी आपदा ने जिला मुख्यालय से महज 2 किमी की दूरी पर स्थित मांडो गांव में 3 जिंदगियों को लील लिया था. साथ ही सभी मूलभूत सुविधाएं भी ध्वस्त हो गई थी. इस आपदा में गांव की पेयजल आपूर्ति को पूरा करने वाली पाइपलाइन भी क्षतिग्रस्त हो गई थी. लेकिन चार महीने बीत जाने के बाद भी जल संस्थान अभी तक गांव में पानी की आपूर्ति को पूरा करने के लिए क्षतिग्रस्त लाइनों की मरम्मत नहीं कर पाया है. जिस कारण ग्रामीणों को आए दिन पेयजल समस्या से जूझना पड़ रहा है.
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मांडो निवासी कमल नयन ने बताया कि पेयजल लाइन दुरुस्त ने होने कारण ग्रामीण प्राकृतिक जल स्रोतों पर निर्भर थे. जहां उन्हें पानी के लिए घंटों लाइन में लगना पड़ रहा था, लेकिन अब जल स्रोत सूखने के कारण ग्रामीणों को भागीरथी नदी की ओर रुख करना पड़ रहा है. गांव के भगवती प्रसाद बलूनी का कहना है कि जल संस्थान समेत डीएम से लेकर सीएम और सीएम हेल्प लाइन में भी पेयजल समस्या बताई, लेकिन आपदा प्रभावितों की कोई नहीं सुध नहीं ली जा रही है.