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ग्रामीणों की सरकार से मांग, रिंगाल का सामान बेचने को दिलाओ बाजार

उत्तरकाशी के भराण गांव में ग्रामीणों को रिंगाल से बनने वाले हस्तशिल्प का 30 दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया. गुरुवार को रिंगाल हस्तशिल्प प्रशिक्षण का समापन हुआ. ग्रामीणों की मांग है कि सरकार रिंगाल से बने सामान को बेचने के लिए बाजार उपलब्ध करवाए.

Ringal's stuff
रिंगाल के सामान
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Published : Mar 4, 2021, 6:43 PM IST

उत्तरकाशी: ग्रामीणों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए डुंडा ब्लॉक के भराण गांव में ग्रामीणों को रिंगाल से बनने वाले हस्तशिल्प का 30 दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया. ग्रामीणों को रिंगाल से बनने वाली टोकरी, चटाइयां, फ्लावर पॉट, कंडी समेत रिंगाल की छोटी चेयर आदि सामान बनाने का प्रशिक्षण दिया गया. ग्रामीणों का कहना है कि रिंगाल से जुड़ी संस्थाएं प्रशिक्षण दे रही हैं. ग्रामीणों में रिंगाल से बनाने वाले चीजों को लेकर उत्साह भी है. लेकिन उत्साह तब कम हो जाता है, जब सरकार इन सामानों को बेचने के लिए बाजार मुहैया नहीं करवा पाती. ग्रामीणों की मांग है कि सरकार रिंगाल से बने सामान को बेचने के लिए बाजार उपलब्ध करवाए.

रिंगाल हस्तशिल्प प्रशिक्षण का समापन

नेशनल रिसर्च डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन की ओर से संजीवनी फाउंडेशन के निदेशक एसकेएस लेप्चा ने भराण गांव की महिलाओं और पुरुषों को रिंगाल से बनने वाले हस्तशिल्प उत्पादों के बनाने का 30 दिवसीय प्रशिक्षण दिया. गुरुवार को रिंगाल हस्तशिल्प प्रशिक्षण का समापन हुआ. कार्यक्रम के दौरान ग्रामीणों को ट्रेनिंग पीरियड के प्रमाण पत्र भी वितरित किए गए. प्रशिक्षण से जुड़े मास्टर ट्रेनर रणपाल सिंह ने कहा कि ग्रामीणों में रिंगाल हस्तशिल्प के प्रशिक्षण को लेकर उत्साह देखने को मिल रहा है. आगे भी प्रयास रहेगा कि प्रशिक्षण में ग्रामीणों को अधिक से अधिक उत्पाद बनाना सिखाया जाए.

ये भी पढ़ें: दो लाख किसानों को मिला 13 अरब से ज्यादा का ब्याज मुक्त लोन, विस में सवाल-जवाब

भराण गांव निवासी नत्थी लाल का कहना है कि प्रशिक्षण से ग्रामीण रिंगाल के उत्पादों के सामान बनाना सीख रहे हैं. कंडी के साथ नए-नए उत्पादों को सीखना ग्रामीणों के लिए नया अनुभव है. इसके लिए सरकार अगर ग्रामीणों को बाजार उपलब्ध करवाती है तो ग्रामीणों को इससे रोजगार भी मिलेगा और उनकी आजीविका भी सुधरेगी.

उत्तरकाशी: ग्रामीणों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए डुंडा ब्लॉक के भराण गांव में ग्रामीणों को रिंगाल से बनने वाले हस्तशिल्प का 30 दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया. ग्रामीणों को रिंगाल से बनने वाली टोकरी, चटाइयां, फ्लावर पॉट, कंडी समेत रिंगाल की छोटी चेयर आदि सामान बनाने का प्रशिक्षण दिया गया. ग्रामीणों का कहना है कि रिंगाल से जुड़ी संस्थाएं प्रशिक्षण दे रही हैं. ग्रामीणों में रिंगाल से बनाने वाले चीजों को लेकर उत्साह भी है. लेकिन उत्साह तब कम हो जाता है, जब सरकार इन सामानों को बेचने के लिए बाजार मुहैया नहीं करवा पाती. ग्रामीणों की मांग है कि सरकार रिंगाल से बने सामान को बेचने के लिए बाजार उपलब्ध करवाए.

रिंगाल हस्तशिल्प प्रशिक्षण का समापन

नेशनल रिसर्च डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन की ओर से संजीवनी फाउंडेशन के निदेशक एसकेएस लेप्चा ने भराण गांव की महिलाओं और पुरुषों को रिंगाल से बनने वाले हस्तशिल्प उत्पादों के बनाने का 30 दिवसीय प्रशिक्षण दिया. गुरुवार को रिंगाल हस्तशिल्प प्रशिक्षण का समापन हुआ. कार्यक्रम के दौरान ग्रामीणों को ट्रेनिंग पीरियड के प्रमाण पत्र भी वितरित किए गए. प्रशिक्षण से जुड़े मास्टर ट्रेनर रणपाल सिंह ने कहा कि ग्रामीणों में रिंगाल हस्तशिल्प के प्रशिक्षण को लेकर उत्साह देखने को मिल रहा है. आगे भी प्रयास रहेगा कि प्रशिक्षण में ग्रामीणों को अधिक से अधिक उत्पाद बनाना सिखाया जाए.

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भराण गांव निवासी नत्थी लाल का कहना है कि प्रशिक्षण से ग्रामीण रिंगाल के उत्पादों के सामान बनाना सीख रहे हैं. कंडी के साथ नए-नए उत्पादों को सीखना ग्रामीणों के लिए नया अनुभव है. इसके लिए सरकार अगर ग्रामीणों को बाजार उपलब्ध करवाती है तो ग्रामीणों को इससे रोजगार भी मिलेगा और उनकी आजीविका भी सुधरेगी.

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