उत्तरकाशी: उत्तराखंड में फर्श पर डिलिवरी, वक्त पर एंबुलेंस न मिलना, इलाज में देरी जैसे खबरें आम हो गई हैं. सरकार पहाड़ में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने का दावा कर रही है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. पुरोला विकासखण्ड के सरबड़ियार क्षेत्र के बीती शनिवार को गौल-छानीका गांव की कौशली देवी की तबीयत अचानक खराब हो गई है. जिसके बाद ग्रामीणों ने पैदल 15 किलोमीटर चलकर महिला को अस्पताल पहुंचाया.
ईटीवी भारत से बातचीत में ग्रामीणों ने बताया कि बीते दिनों सरबड़ियार क्षेत्र में मूसलाधार बारिश के कारण सभी पैदल मार्ग क्षतिग्रस्त हो गए हैं. वहीं, सड़क मार्ग से इन गांवों की दूरी करीब 15 से 20 किमी है. इसलिए जब कोई गांव में बीमार होता है तो ग्रामीणों के सामने समस्या बढ़ जाती है. इसके साथ ही मरीज को पैदल अस्पताल ले जाते हुए भी खतरे का सामना करना पड़ता है. क्योंकि, क्षतिग्रस्त मार्गों पर ऊपर पत्थर आने का भय तो नीचे उफान पर बह रही नदियों में गिरने का खतरा बना हुआ है.
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पहाड़ में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति किसी से छिपी नहीं है. दुर्गम पर्वतीय क्षेत्र में पर्याप्त चिकित्सक हैं, न स्टाफ. वहीं, चिकित्सा उपकरणों की स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है. नीति आयोग की रिपोर्ट-2019 के मुताबिक, उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाएं खस्ताहाल में है. नीति आयोग की रिपोर्ट ने स्वास्थ्य व्यवस्था पर राज्य सरकार को आइना दिखा दिया है.