उत्तरकाशी: बरसात के कारण भागीरथी नदी उफान पर है. ऐसे में कोई पुलिया न होने के कारण उत्तरकाशी के स्युणा गांव के लोग खण्डिचों (नदी के छोर पर रखे पत्थर) के सहारे नदी पार करने को मजबूर हैं. ग्रामीणों का कहना है कि कई बार शासन-प्रशासन को इस समस्या से अवगत कराया जा चुका है. बावजूद इस ओर कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
गौरतलब है कि बरसात के दौरान भागीरथी नदी उफान पर होती है. ऐसे में पुलिया के सहारे भी इस नदी को पार करने में काफी खतरा होता है. लेकिन जिला मुख्यालय से महज पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित स्युणा गांव के लोग अपनी जान जोखिम में डाल इस नदी को कुछ खण्डिचों (नदी के छोर पर रखे पत्थर) के सहारे पार करने को मजबूर हैं. वहीं, नदी को पार करते वक्त अगर किसी का पैर फिसल गया तो भागीरथी नदी के तेज बहाव में उसका बचना मुश्किल है. साथ ही पहाड़ी से पत्थर गिरने का डर भी लगातार बना रहता है.
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ग्रामीणों का कहना है कि बच्चों को स्कूल भेजने में भी डर लगता है. अगर कोई प्रसव या बीमार हो जाए तो यह सोचना पड़ता है कि बीमार को अस्पताल कैसे पहुंचाया जाए. ग्रामीणों का कहना है कि नदी में पानी कम होने पर गंगोरी से गांव के लिए भागीरथी नदी के ऊपर वैकल्पिक पुल बनाकर आवाजाही करते हैं. लेकिन गर्मियां शुरू होते ही नदी का बहाव बढ़ जाता है और फिर रोजमर्रा की चीजों के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती है.
बता दें कि स्युणा गांव में 35 से 40 परिवार निवास करते हैं. जिनका कहना है कि उन्होंने गंगोरी से स्युणा गांव के लिए एक अदद झूला पुल की मांग थी. लेकिन न ही स्थानीय जनप्रतिनिधि सुनते हैं और न ही प्रशासन. हर बार सिर्फ कोरे आश्वासन ही मिले हैं. ग्रामीणों का कहना है कि अब उन्होंने जीवन और मौत के बीच के इस सफर को अपनी नियति समझ ली है और इंतजार कर रहे हैं कि कभी तो कोई उनकी गुहार सुनेगा.