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सड़क से नहीं जुड़ पाए अस्सी गंगा घाटी के कई गांव, पैदल सफर तय करने को मजबूर ग्रामीण - uttarakhand news

उत्तरकाशी में कई गांव अभी भी सड़क सुविधा से हैं महरूम. सालों से पुनर्निर्माण की राह देख रहे ग्रामीण.

सड़क से नहीं जुड़ पाए असी गंगा घाटी के गांव
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Published : Mar 5, 2019, 10:22 AM IST

Updated : Mar 5, 2019, 1:13 PM IST

उत्तरकाशी: आपदा प्रभावित अस्सी गंगा घाटी के कई गांव आज भी सड़क सुविधा से महरूम हैं. साल 2012-13 की आपदा में तबाह हुई घाटी अब भी पुनर्निर्माण की बाट जोह रही है. आलम ये है कि आपदा के 6 साल बीत जाने के बाद भी जिला मुख्यालय से महज 15 किमी की दूरी पर स्थित अस्सी गंगा घाटी में सड़कों और पुलों का निर्माण अधूरा है. जिससे चलते ग्रामीणों को पैदल ही दूरी नापनी पड़ रही है.

सड़क से नहीं जुड़ पाए अस्सी गंगा घाटी के गांव


भंकोली गांव के वासुदेव रावत बताते हैं कि 1970 में विश्व पर्यटन स्थल डोडीताल के करीब कुड़गोड़ी गाड़ (मांझी) तक सड़क निर्माण हुआ था. इसी दौरान गंगोरी से मांझी तक करीब 20 किमी तक सड़क बनाई गई थी. लेकिन आज डोडीताल के मुख्य पड़ावों अगोड़ा, दासड़ा, भंकोली डंडालका गांव सड़क से महरूम है. जबकि, साल 1960 में वन विभाग ने संगमचट्टी से सेकू गांव तक सड़क तैयार की थी. इस सड़क से विभाग द्वारा लकड़ी का ढुलान किया जाता था.


समय के साथ विकास न होने के चलते संगमचट्टी से सेकू गांव तक जाने वाली इस सड़क का अस्तित्व अब समाप्त हो गया. ये सड़क अब यातायात के लिए सुरक्षित नहीं रह गई है. आलम ये है कि अस्सी घाटी के कई गांव में सड़क सुविधा न के बराबर है. वहीं. संगमचट्टी से अगोड़ा होते हुए डोडीताल तक 21 किमी का पैदल ट्रैक भी काफी जोखिम भरा है.


ग्रामीणों का कहना है कि अस्सी गंगा घाटी में 1970 में बनी सड़क का आधा हिस्सा बनाने का कार्य 90 के दशक में लोक निर्माण विभाग को हस्तांतरित हो गया था. बावजूद इसके सड़क का निर्माणकार्य अब भी पूरा नहीं हो पाया है. हालांकि, अब इस सड़क निर्माण का कार्य पीएमजीएसवाई को सौंपा गया है. अमूमन बरसात के दिनों में गजोली गांव तक ये सड़क बंद हो जाती है. जिससे चलते ग्रामीणों को काफी परेशानी उठानी पड़ती है.

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उत्तरकाशी: आपदा प्रभावित अस्सी गंगा घाटी के कई गांव आज भी सड़क सुविधा से महरूम हैं. साल 2012-13 की आपदा में तबाह हुई घाटी अब भी पुनर्निर्माण की बाट जोह रही है. आलम ये है कि आपदा के 6 साल बीत जाने के बाद भी जिला मुख्यालय से महज 15 किमी की दूरी पर स्थित अस्सी गंगा घाटी में सड़कों और पुलों का निर्माण अधूरा है. जिससे चलते ग्रामीणों को पैदल ही दूरी नापनी पड़ रही है.

सड़क से नहीं जुड़ पाए अस्सी गंगा घाटी के गांव


भंकोली गांव के वासुदेव रावत बताते हैं कि 1970 में विश्व पर्यटन स्थल डोडीताल के करीब कुड़गोड़ी गाड़ (मांझी) तक सड़क निर्माण हुआ था. इसी दौरान गंगोरी से मांझी तक करीब 20 किमी तक सड़क बनाई गई थी. लेकिन आज डोडीताल के मुख्य पड़ावों अगोड़ा, दासड़ा, भंकोली डंडालका गांव सड़क से महरूम है. जबकि, साल 1960 में वन विभाग ने संगमचट्टी से सेकू गांव तक सड़क तैयार की थी. इस सड़क से विभाग द्वारा लकड़ी का ढुलान किया जाता था.


समय के साथ विकास न होने के चलते संगमचट्टी से सेकू गांव तक जाने वाली इस सड़क का अस्तित्व अब समाप्त हो गया. ये सड़क अब यातायात के लिए सुरक्षित नहीं रह गई है. आलम ये है कि अस्सी घाटी के कई गांव में सड़क सुविधा न के बराबर है. वहीं. संगमचट्टी से अगोड़ा होते हुए डोडीताल तक 21 किमी का पैदल ट्रैक भी काफी जोखिम भरा है.


ग्रामीणों का कहना है कि अस्सी गंगा घाटी में 1970 में बनी सड़क का आधा हिस्सा बनाने का कार्य 90 के दशक में लोक निर्माण विभाग को हस्तांतरित हो गया था. बावजूद इसके सड़क का निर्माणकार्य अब भी पूरा नहीं हो पाया है. हालांकि, अब इस सड़क निर्माण का कार्य पीएमजीएसवाई को सौंपा गया है. अमूमन बरसात के दिनों में गजोली गांव तक ये सड़क बंद हो जाती है. जिससे चलते ग्रामीणों को काफी परेशानी उठानी पड़ती है.

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Intro:exclusive story to uttarkashi
uttarkashi_vipin negi_road in assi ganga valley in 70's_ 04 march 2019. उत्तरकाशी। वर्ष 2012-13 की आपदा प्रभावित अस्सी गंगा घाटी के 4 गांव आज भी सड़क से नहीं जुड़ पाए हैं। जबकि जनपद निर्माण के 10 वर्ष बाद 70 के दशक में सड़क निर्माण विश्व पर्यटन स्थल डोडीताल के करीब कुड़गोड़ी गाड़ (मांझी) तक हो चुका था। वन विभाग ने 70 के दशक में गंगोरी से मांझी तक करीब 20 किमी की सड़क निर्माण किया जाता था। ग्रामीणों का कहना है कि उस समय उस सड़क पर ट्रैक्टर चलते थे। जिन पर कटान के पेड़ों की सप्लाई वन विभाग किया करता था। जो सड़क चिपको आंदोलन के सफल होने के बाद 80 के दशक में बंद कर दी गयी। ग्रामीणों का कहना है कि आज संगमचट्टी तक पीएमजीएसवाई की जो सड़क बनी हुई है। उसको 70 के दशक बनी सड़क आईना दिखा रही है।


Body:वीओ- 1, भंकोली गांव के वासुदेव रावत बताते हैं कि 1973- 74 में जब वह छोटे थे। तो उस समय सरगड़ी गाड़ तक वन विभाग ने गंगोरी से सड़क का निर्माण किया था। जिस पर कटे हुए पेड़ ट्रेक्टरों पर सप्लाई किये जाते थे। रावत ने बताया कि चिपको आंदोलन के सफल होने के बाद यह 80 के दशक में बंद कर दी गयी थी। लेकिन उससे पहले यह सरगड़ी से 5 किमी आगे कुड़गोड़ी गाड़ ( मांझी) तक यह सड़क और बन चुकी थी। मांझी से विश्व पर्यटन स्थल डोडीताल मात्र 5 किमी दूरी पर है। लेकिन आज डोडीताल के मुख्य पड़ावों अगोड़ा, दासड़ा, भंकोली डंडालका गांव सड़क विहीन हैं। जहाँ के बुजुर्गों ने 70 के दशक में तो सड़क देख ली है। लेकिन क्षेत्र की जवानी अपने गांव में सड़क देखने के लिए तरस गयी है।


Conclusion:वीओ- 2, आपदा प्रभावित अस्सी गंगा घाटी के ग्रामीणों का कहना है कि 90 के दशक में 70 की दशक में बनी सड़क का आधा हिस्सा लोक निर्माण विभाग को हस्तांतरित हो गयी थी और उसके बाद पीएमजीएसवाई को हस्तांतरित हुई थी। आज गजोली गांव तक सड़क है। जो कि बरसात में बंद हो जाती है। तो अन्य दिनों सड़क की बदहाली दुर्घटनाओं को न्यौता दे रही है। वहीं 70 की दशक में बनी सड़क का आधा हिस्सा जो कि हस्तांतरित नहीं हुआ था। वह आज के तकनीकी युग के विभागों को आइना दिखा रही है। बाईट- वासुदेव रावत,ग्रामीण भंकोली,अस्सी गंगा घाटी।पीटीसी- विपिन नेगी।
Last Updated : Mar 5, 2019, 1:13 PM IST
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