उत्तरकाशी: इसे विडम्बना कहें या मजबूरी लेकिन हकीकत कुछ ऐसी ही है. मोरी क्षेत्र के हजारों बागवान राज्य सरकार से मिलने वाली सब्सिडी की पेटियों को छोड़ कर दोगुने दामों वाले दूसरे राज्य की मार्क वाली पेटियों में अपना सेब बेचने को मजबूर हैं. काश्तकारों का कहना है कि सरकार उनकी ओर ध्यान नहीं दे रही है और न ही समय पर सरकार की पेटियां पहुंचती हैं.
उत्तराखंड का यह सेब हिमाचल की सेब मंडियों में बिकने को तैयार है, लेकिन राज्य सरकार और सरकारी मशीनरी मौन है और हो भी क्यों न, क्योंकि बागवानों को मिलने वाली सब्सिडी वाली पेटियों में ऊपर से नीचे तक कमीशन खोरी का खेल चल रहा है. काश्तकार पड़ोसी राज्य की मार्क वाली पेटियां खरीदने को मजबूर हैं.
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काश्तकारों का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा दी जाने वाली सेब की पेटियां बगीचे से सड़क तक भी सुरक्षित नहीं पहुंच पा रही हैं, क्योंकि इसमें लगा मैटेरियल दोयम दर्जे का है. जिस वजह से उनका सेब दागी हो जा रहा है.
अब आलम यह है कि मंडियों में उत्तराखंड ब्रांड का सेब कम रेट पर बिकता है और हिमांचल ब्रांड का सेब ऊंचे दामों पर. सेब वही रेट अलग-अलग. तभी तो ग्रेडिंग उत्तराखंड की और ब्रांड हिमाचल का. जिससे साफ जाहिर होता है कि भ्रष्टाचार की वजह से कैसे उत्तराखंड की साख पर दाग लग रहा है.