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ज्योतिष छात्रों के लिए खुशखबरी, प्रवक्ता गौरव मिश्रा ने बनाई सूर्य सिद्धांत वेबसाइट, ऐसे होगी ग्रहों की गणना - SURYA SIDDHANTA WEBSITE

सूर्य सिद्धांत वेबसाइट के जरिए ज्योतिष छात्र सूर्य सिद्धांत के गणितीय पक्ष को आसानी से समझ सकेंगे.

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प्रवक्ता गौरव मिश्रा ने बनाई सूर्य सिद्धांत वेबसाइट (photo- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 15, 2025, 8:03 PM IST

रानीखेत: प्राचीन ग्रंथ सूर्य सिद्धांत के गणितीय पक्ष को सुगम बनाने के लिए पीएम श्री केन्द्रीय विद्यालय के कंप्यूटर विज्ञान प्रवक्ता गौरव मिश्रा द्वारा एक वेबसाइट suryasiddhant.in बनाई गई है. वेबसाइट का निर्माण काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बनारस) के ज्योतिष विभाग के संरक्षण में किया गया है. वेबसाइट का लोकार्पण मकर संक्रांति के अवसर पर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में कई विद्वानों और शोध छात्रों की उपस्थिति में किया गया है.

सूर्य सिद्धांत के लिए पहला कंप्यूटर सॉफ्टवेयर तैयार: इस वेब-एप्लीकेशन के माध्यम से आने वाले कई वर्षों तक ग्रहों के गणितीय मान की सटीक गणना की जा सकेगी, जिससे पंचांग निर्माण की भारतीय परंपरा को और अधिक बल मिलेगा. साल 2021 में इसी गणित के लिए गौरव मिश्रा द्वारा सूर्य सिद्धांत के लिए पहला कंप्यूटर सॉफ्टवेयर भी बनाया गया था.

प्रवक्ता गौरव मिश्रा ने बनाई सूर्य सिद्धांत वेबसाइट (VIDEO-ETV Bharat)

प्राचीन खगोलीय गणित को बेहतर समझने में होगी आसानी: पीएम श्री केन्द्रीय विद्यालय के प्राचार्य राकेश दुबे ने श्री गौरव मिश्रा के प्रयासों की सराहना करते हुए इस कार्य को ज्योतिष विज्ञान के क्षेत्र में एक विशेष उपलब्धि बताया है. वहीं, उप-प्राचार्य श्री हरि शंकर सैनी ने कहा कि वेबसाइट के माध्यम से हम अपने प्राचीन खगोलीय गणित को और बेहतर समझ सकेंगे.

सूर्य सिद्धांत सिद्धांत ज्योतिष का सबसे प्राचीन ग्रंथ: प्रवक्ता गौरव मिश्रा ने बताया कि सूर्य सिद्धांत सिद्धांत ज्योतिष का सबसे प्राचीन ग्रंथ है, जिसकी ग्रह गणनाएं सृष्टि के आरंभ से शुरू होती हैं. इसी वजह से छात्रों को उसके गणितीय पक्ष में कठिनता का अनुभव होता है. ऐसे मैंने विचार किया कि क्यों ना आधुनिक तकनीक के जरिए हम इसकी गणित को सरल कर सकें, ताकि छात्रों को गणितीय पक्ष मिलाने में आसानी हो. उन्होंने कहा कि suryasiddhant.in बेवसाइट पर सूर्य सिद्धांत के गणित को समेटने की कोशिश की गई है.

क्या है सूर्य सिद्धांत: सूर्य सिद्धांत विभिन्न ग्रहों की गति और विभिन्न ग्रहों के व्यास की गणना करने के नियमों का वर्णन करता है. साथ ही और विभिन्न खगोलीय पिंडों की कक्षाओं की भी गणना करता है. साल 1515 में वराह मिहिर ने सूर्य सिद्धांत की रचना की थी.

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रानीखेत: प्राचीन ग्रंथ सूर्य सिद्धांत के गणितीय पक्ष को सुगम बनाने के लिए पीएम श्री केन्द्रीय विद्यालय के कंप्यूटर विज्ञान प्रवक्ता गौरव मिश्रा द्वारा एक वेबसाइट suryasiddhant.in बनाई गई है. वेबसाइट का निर्माण काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बनारस) के ज्योतिष विभाग के संरक्षण में किया गया है. वेबसाइट का लोकार्पण मकर संक्रांति के अवसर पर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में कई विद्वानों और शोध छात्रों की उपस्थिति में किया गया है.

सूर्य सिद्धांत के लिए पहला कंप्यूटर सॉफ्टवेयर तैयार: इस वेब-एप्लीकेशन के माध्यम से आने वाले कई वर्षों तक ग्रहों के गणितीय मान की सटीक गणना की जा सकेगी, जिससे पंचांग निर्माण की भारतीय परंपरा को और अधिक बल मिलेगा. साल 2021 में इसी गणित के लिए गौरव मिश्रा द्वारा सूर्य सिद्धांत के लिए पहला कंप्यूटर सॉफ्टवेयर भी बनाया गया था.

प्रवक्ता गौरव मिश्रा ने बनाई सूर्य सिद्धांत वेबसाइट (VIDEO-ETV Bharat)

प्राचीन खगोलीय गणित को बेहतर समझने में होगी आसानी: पीएम श्री केन्द्रीय विद्यालय के प्राचार्य राकेश दुबे ने श्री गौरव मिश्रा के प्रयासों की सराहना करते हुए इस कार्य को ज्योतिष विज्ञान के क्षेत्र में एक विशेष उपलब्धि बताया है. वहीं, उप-प्राचार्य श्री हरि शंकर सैनी ने कहा कि वेबसाइट के माध्यम से हम अपने प्राचीन खगोलीय गणित को और बेहतर समझ सकेंगे.

सूर्य सिद्धांत सिद्धांत ज्योतिष का सबसे प्राचीन ग्रंथ: प्रवक्ता गौरव मिश्रा ने बताया कि सूर्य सिद्धांत सिद्धांत ज्योतिष का सबसे प्राचीन ग्रंथ है, जिसकी ग्रह गणनाएं सृष्टि के आरंभ से शुरू होती हैं. इसी वजह से छात्रों को उसके गणितीय पक्ष में कठिनता का अनुभव होता है. ऐसे मैंने विचार किया कि क्यों ना आधुनिक तकनीक के जरिए हम इसकी गणित को सरल कर सकें, ताकि छात्रों को गणितीय पक्ष मिलाने में आसानी हो. उन्होंने कहा कि suryasiddhant.in बेवसाइट पर सूर्य सिद्धांत के गणित को समेटने की कोशिश की गई है.

क्या है सूर्य सिद्धांत: सूर्य सिद्धांत विभिन्न ग्रहों की गति और विभिन्न ग्रहों के व्यास की गणना करने के नियमों का वर्णन करता है. साथ ही और विभिन्न खगोलीय पिंडों की कक्षाओं की भी गणना करता है. साल 1515 में वराह मिहिर ने सूर्य सिद्धांत की रचना की थी.

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