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उत्तरकाशी में जनजातीय लोसर त्योहार की धूम, विधि-विधान से हो रही है ईष्ट देवी की आराधना - उत्तरकाशी हिंदी समाचार

उत्तरकाशी में इन दिनों जाड़ समुदाय के लोग लोसर त्योहार मना रहे हैं. ये त्योहार पूरे तीन दिनों तक मनाया जाता है.

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उत्तरकाशी में मनाया गया लोसर त्योहार
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Published : Feb 28, 2020, 3:31 PM IST

उत्तरकाशी: उत्तराखंड का उत्तरकाशी जनपद हमेशा से ही अपनी देव संस्कृति के लिए विश्वविख्यात रहा है. यहां की देव संस्कृति देश में बहुत कम स्थानों में देखने को मिलती है. यहां जाड़ समुदाय के लोग एक साथ तीन त्योहारों को बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं. उत्तरकाशी में इन दिनों जहां जनजातीय जाड़ समुदाय के ग्रामीण एक साथ होली, दिवाली और दशहरा जैसे धार्मिक त्योहार मना रहे हैं.

उत्तरकाशी में मनाया गया लोसर त्योहार.

जानकारी के मुताबिक, बौद्ध पंचांग के अनुसार फरवरी महीने में जाड़, भोटिया और लामा समुदाय के लोग तीन दिनों तक लोसर त्योहार मनाते हैं. इस पर्व के पहले दिन जाड़ समुदाय के लोग वीरपुर डुंडा स्थित बौद्ध धर्म के मंदिर में दीप जलाकर भेलौ के साथ दीपावली खेलते हैं. इसके दूसरे दिन ईष्ट देवी रिंगाली के मंदिर में हरी फसलों को काटकर दशहरा मनाया जाता है.

ये भी पढ़ें: फर्श पर बैठाकर परोसा जा रहा था मिड डे मील, एसडीएम ने लगाई फटकार

वहींं, लोसर के तीसरे दिन जाड़ समुदाय के लोग आटे की होली खेलते हैं. इस मौके लोग एक दूसरे को आटा लगाते हैं. लोसर के त्योहार पर लोग स्वादिष्ट पकवान का भी मजा लेते हैं. वहीं, जाड़ समुदाय के लोग रासायनिक रंगों के प्रयोग से बचने का अन्य लोगों को संदेश भी दे रहे हैं.

उत्तरकाशी: उत्तराखंड का उत्तरकाशी जनपद हमेशा से ही अपनी देव संस्कृति के लिए विश्वविख्यात रहा है. यहां की देव संस्कृति देश में बहुत कम स्थानों में देखने को मिलती है. यहां जाड़ समुदाय के लोग एक साथ तीन त्योहारों को बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं. उत्तरकाशी में इन दिनों जहां जनजातीय जाड़ समुदाय के ग्रामीण एक साथ होली, दिवाली और दशहरा जैसे धार्मिक त्योहार मना रहे हैं.

उत्तरकाशी में मनाया गया लोसर त्योहार.

जानकारी के मुताबिक, बौद्ध पंचांग के अनुसार फरवरी महीने में जाड़, भोटिया और लामा समुदाय के लोग तीन दिनों तक लोसर त्योहार मनाते हैं. इस पर्व के पहले दिन जाड़ समुदाय के लोग वीरपुर डुंडा स्थित बौद्ध धर्म के मंदिर में दीप जलाकर भेलौ के साथ दीपावली खेलते हैं. इसके दूसरे दिन ईष्ट देवी रिंगाली के मंदिर में हरी फसलों को काटकर दशहरा मनाया जाता है.

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वहींं, लोसर के तीसरे दिन जाड़ समुदाय के लोग आटे की होली खेलते हैं. इस मौके लोग एक दूसरे को आटा लगाते हैं. लोसर के त्योहार पर लोग स्वादिष्ट पकवान का भी मजा लेते हैं. वहीं, जाड़ समुदाय के लोग रासायनिक रंगों के प्रयोग से बचने का अन्य लोगों को संदेश भी दे रहे हैं.

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