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ट्रीटमेंट बना वरुणावत पर्वत की नियति, करोड़ों खर्च के बावजूद नहीं निकल रहा 'समाधान'

लोक निर्माण विभाग का प्रांतीय खंड करीब 6 करोड़ की लागत से फिर से वरुणावत का ट्रीटमेंट कर रहा है. ट्रीटमेंट का काम मॉनसून से पहले पूरा होना था, मगर ये अभी तक पूरा नहीं हो पाया है.

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ट्रीटमेंट बना वरुणावत पर्वत नियति
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Published : Jun 28, 2020, 5:45 PM IST

उत्तरकाशी: साल दर साल होने वाला ट्रीटमेंट वरुणावत पर्वत की नियति बन गया है. शासन-प्रशासन की ओर से हर साल यहां सुरक्षा के नाम पर लाखों-करोड़ों रुपए खर्च किये जा रहे हैं, मगर पिछले 17 सालों में वरुणावत पर्वत के ट्रीटमेंट का काम पूरा नहीं हो पाया है.

ट्रीटमेंट बना वरुणावत पर्वत नियति

साल 2003 में 282 करोड़ की धनराशि से वरुणावत पर्वत के मुख्य भूस्खलन का ट्रीटमेंट किया गया.उसके बाद फिर से करीब 70 करोड़ की धनराशि इसके ट्रीटमेंट पर खर्च की गई. अब लोक निर्माण विभाग का प्रांतीय खंड करीब 6 करोड़ की लागत से फिर से इसका ट्रीटमेंट कर रहा है.ट्रीटमेंट का काम मॉनसून से पहले पूरा होना था, मगर ये अभी तक पूरा नहीं हो पाया है.

पढ़ें- उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय ने रद्द की सेमेस्टर परीक्षाएं

साल 2003 में बिना बरसात के वरुणावत पर्वत ने उत्तरकाशी नगर के मुख्य शहर पर जमकर कहर बरपाया था. जिसमें कई मंजिला होटल सहित भवन जमींदोज हो गए थे. तब उत्तरकाशी शहर के अस्तित्व पर ही खतरा मंडराने लगा था. बाद में इसके ट्रीटमेंट के लिए 282 करोड़ रुपए खर्च किये गए, लेकिन उसके बाद भी पर्वत से पत्थरों का गिरना बंद नहीं हुआ. आज भी वरुणावत पर्वत से पत्थर गिरते रहते हैं जिसके लिए समय-समय पर ट्रीटमेंट का काम किया जाता है.

पढ़ें- भारत की सैन्य गतिविधियों पर नजर रखने के लिए नेपाल बनाएगा कौवाक्षेत्र में बीओपी

उत्तरकाशी, डीएम डॉ. आशीष चौहान का कहना है कार्यदायी संस्था के कॉन्ट्रेक्ट के अनुसार 7 जुलाई तक 10 दिन के भीतर वरुणावत पर्वत का ट्रीटमेंट कार्य पूरा हो जाएगा. मगर जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है. करुणावत पर्वत के पानी की निकासी के लिए पाइप तो लगा दिए गए हैं, लेकिन अभी तक इस पानी की निकासी की उचित व्यवस्था नहीं की गई है.

पढ़ें- भारत की सैन्य गतिविधियों पर नजर रखने के लिए नेपाल बनाएगा कौवाक्षेत्र में बीओपी

वहीं, कार्यदायी संस्था दावा कर रही है कि अगले महीने तक ट्रीटमेंट का काम पूरा कर लिया जाएगा. मगर बड़ा सवाल ये उठता है कि मॉनसून में अगर बरसात कहर बरपाती है तो यह फिर आने वाली परेशानियों से कैसे निपटा जाएगा.

उत्तरकाशी: साल दर साल होने वाला ट्रीटमेंट वरुणावत पर्वत की नियति बन गया है. शासन-प्रशासन की ओर से हर साल यहां सुरक्षा के नाम पर लाखों-करोड़ों रुपए खर्च किये जा रहे हैं, मगर पिछले 17 सालों में वरुणावत पर्वत के ट्रीटमेंट का काम पूरा नहीं हो पाया है.

ट्रीटमेंट बना वरुणावत पर्वत नियति

साल 2003 में 282 करोड़ की धनराशि से वरुणावत पर्वत के मुख्य भूस्खलन का ट्रीटमेंट किया गया.उसके बाद फिर से करीब 70 करोड़ की धनराशि इसके ट्रीटमेंट पर खर्च की गई. अब लोक निर्माण विभाग का प्रांतीय खंड करीब 6 करोड़ की लागत से फिर से इसका ट्रीटमेंट कर रहा है.ट्रीटमेंट का काम मॉनसून से पहले पूरा होना था, मगर ये अभी तक पूरा नहीं हो पाया है.

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साल 2003 में बिना बरसात के वरुणावत पर्वत ने उत्तरकाशी नगर के मुख्य शहर पर जमकर कहर बरपाया था. जिसमें कई मंजिला होटल सहित भवन जमींदोज हो गए थे. तब उत्तरकाशी शहर के अस्तित्व पर ही खतरा मंडराने लगा था. बाद में इसके ट्रीटमेंट के लिए 282 करोड़ रुपए खर्च किये गए, लेकिन उसके बाद भी पर्वत से पत्थरों का गिरना बंद नहीं हुआ. आज भी वरुणावत पर्वत से पत्थर गिरते रहते हैं जिसके लिए समय-समय पर ट्रीटमेंट का काम किया जाता है.

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उत्तरकाशी, डीएम डॉ. आशीष चौहान का कहना है कार्यदायी संस्था के कॉन्ट्रेक्ट के अनुसार 7 जुलाई तक 10 दिन के भीतर वरुणावत पर्वत का ट्रीटमेंट कार्य पूरा हो जाएगा. मगर जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है. करुणावत पर्वत के पानी की निकासी के लिए पाइप तो लगा दिए गए हैं, लेकिन अभी तक इस पानी की निकासी की उचित व्यवस्था नहीं की गई है.

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वहीं, कार्यदायी संस्था दावा कर रही है कि अगले महीने तक ट्रीटमेंट का काम पूरा कर लिया जाएगा. मगर बड़ा सवाल ये उठता है कि मॉनसून में अगर बरसात कहर बरपाती है तो यह फिर आने वाली परेशानियों से कैसे निपटा जाएगा.

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