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आपदा के 8 साल बाद भी नहीं बन पाया तिलोथ पुल, बदलते रहे ठेकेदार

साल 2012-13 की आपदा में जिला मुख्यालय का तिलोथ पुल क्षतिग्रस्त हो गया था. इसका निर्माण आज तक नहीं हो पाया है. लोनिवि प्रांतीय खंड के अधिशासी अभियंता का कहना है कि पुल का निर्माण तय समय के भीतर करा दिया जाएगा.

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नहीं बन पाया तिलोथ पुल
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Published : Jul 25, 2021, 8:42 PM IST

उत्तरकाशी: साल 2012-13 की आपदा में जिला मुख्यालय का तिलोथ पुल क्षतिग्रस्त हो गया था. आपदा के 8 साल बीत जाने के बाद भी आज तक इस पुल का निर्माण नहीं हो सका है. हालांकि साल 2015 में पुल के एबटमेंट का निर्माण शुरू किया गया था. इस एबटमेंट के निर्माण में ठेकेदार को बार-बार बदला गया, लेकिन अब तक पुल का एक भी एबटमेंट नहीं तैयार हो पाया है, जबकि कार्यदायी संस्था लोक निर्माण विभाग ने अक्टूबर 2021 तक पुल का निर्माण कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा है.

दरअसल, जिलाधिकारी कार्यालय से महज 100 मीटर की दूरी पर स्थित तिलोथ पुल चारधाम यात्रा और सामरिक नजरिए से भी जिले की एक बड़ी आबादी के आवागमन का मुख्य साधन है. साल 2012-13 में आई आपदा में पुल का आधा हिस्सा बह गया था. 8 साल बीतने के बावजूद भी इस पुल का निर्माण आज तक अधर में लटका हुआ है. हालांकि लोनिवि ने साल 2015 में करीब साढ़े 4 करोड़ रुपए की लागत से इस पुल का निर्माण शुरू तो किया, लेकिन 6 साल बीतने के बाद भी इस पुल के एक भी एबटमेंट का निर्माण अभी तक नहीं हो पाया है, जिसका निर्माण इसी लागत के अंतर्गत ही होना था.

नहीं बन पाया तिलोथ पुल.

ये भी पढ़ें: सोमवार को कार्यभार ग्रहण करेंगे नेता प्रतिपक्ष, 27 जुलाई को गणेश गोदियाल की ताजपोशी

वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि ये पुल उत्तरकाशी-लंबगांव मोटर मार्ग सहित बाईपास को जोड़ता है. इस पुल से हजारों लोग रोजाना आवागमन करते हैं. पुल निर्माण में देरी का खामियाजा बीते रविवार को जिले के मांडो गांव में आई आपदा में स्वयं प्रशासनिक अधिकारियों को झेलना पड़ा. जहां आपदा प्रभावित स्थान पर 15 मिनट में पहुंचा जा सकता था. वहीं, इस पुल का निर्माण न होने से प्रशासनिक अमले को आपदा प्रभावित गांवों में पहुंचने के लिए 2 से 3 किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ी.

ये भी पढ़ें: कर्मकार बोर्ड विवाद में जंग तेज, हरक बोले- शमशेर को हटाओ नहीं तो मंत्री बनाओ

इस मामले में लोक निर्माण विभाग के प्रांतीय खंड के अधिशासी अभियंता प्रवीण कुश का कहना है कि एबटमेंट निर्माण में हार्ड रॉक लगने के कारण दिक्कतें हुई हैं. लेकिन अब एबटमेंट का निर्माण जल्द करा दिया जाएगा. साथ ही पुल के फेब्रिकेट तैयार होने में 2 से 3 महीने का समय लगेगा. उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि तय समय सीमा के भीतर ही पुल का निर्माण पूरा करा दिया जाए.

उत्तरकाशी: साल 2012-13 की आपदा में जिला मुख्यालय का तिलोथ पुल क्षतिग्रस्त हो गया था. आपदा के 8 साल बीत जाने के बाद भी आज तक इस पुल का निर्माण नहीं हो सका है. हालांकि साल 2015 में पुल के एबटमेंट का निर्माण शुरू किया गया था. इस एबटमेंट के निर्माण में ठेकेदार को बार-बार बदला गया, लेकिन अब तक पुल का एक भी एबटमेंट नहीं तैयार हो पाया है, जबकि कार्यदायी संस्था लोक निर्माण विभाग ने अक्टूबर 2021 तक पुल का निर्माण कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा है.

दरअसल, जिलाधिकारी कार्यालय से महज 100 मीटर की दूरी पर स्थित तिलोथ पुल चारधाम यात्रा और सामरिक नजरिए से भी जिले की एक बड़ी आबादी के आवागमन का मुख्य साधन है. साल 2012-13 में आई आपदा में पुल का आधा हिस्सा बह गया था. 8 साल बीतने के बावजूद भी इस पुल का निर्माण आज तक अधर में लटका हुआ है. हालांकि लोनिवि ने साल 2015 में करीब साढ़े 4 करोड़ रुपए की लागत से इस पुल का निर्माण शुरू तो किया, लेकिन 6 साल बीतने के बाद भी इस पुल के एक भी एबटमेंट का निर्माण अभी तक नहीं हो पाया है, जिसका निर्माण इसी लागत के अंतर्गत ही होना था.

नहीं बन पाया तिलोथ पुल.

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वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि ये पुल उत्तरकाशी-लंबगांव मोटर मार्ग सहित बाईपास को जोड़ता है. इस पुल से हजारों लोग रोजाना आवागमन करते हैं. पुल निर्माण में देरी का खामियाजा बीते रविवार को जिले के मांडो गांव में आई आपदा में स्वयं प्रशासनिक अधिकारियों को झेलना पड़ा. जहां आपदा प्रभावित स्थान पर 15 मिनट में पहुंचा जा सकता था. वहीं, इस पुल का निर्माण न होने से प्रशासनिक अमले को आपदा प्रभावित गांवों में पहुंचने के लिए 2 से 3 किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ी.

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इस मामले में लोक निर्माण विभाग के प्रांतीय खंड के अधिशासी अभियंता प्रवीण कुश का कहना है कि एबटमेंट निर्माण में हार्ड रॉक लगने के कारण दिक्कतें हुई हैं. लेकिन अब एबटमेंट का निर्माण जल्द करा दिया जाएगा. साथ ही पुल के फेब्रिकेट तैयार होने में 2 से 3 महीने का समय लगेगा. उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि तय समय सीमा के भीतर ही पुल का निर्माण पूरा करा दिया जाए.

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