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उत्तरकाशी: संस्कृत भाषा में हुआ नागनंदम नाटक का मंचन, दर्शकों ने की सराहना - थिएटर कार्यशाला

उत्तराखंड संस्कृत अकादमी की ओर से पहाड़ के विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों के छात्रों को संस्कृत भाषा सिखाकर थिएटर कार्यशाला में प्रतिभाग करवाया जा रहा है. नाटक का निर्देशन डॉ. अजीत पंवार ने किया है.

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नागनंदम नाटक ने दर्शकों का मन मोहा.
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Published : Dec 6, 2019, 11:52 PM IST

उत्तरकाशी: उत्तराखंड संस्कृत अकादमी की ओर से एक अनूठी पहल शुरू की गई है. संस्कृत अकादमी की ओर से पहाड़ के विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों के छात्र-छात्राओं का चयन कर उन्हें संस्कृत भाषा में थिएटर कार्यशाला में प्रतिभाग करवाया जा रहा है. इस पहल में संस्कृत अकादमी की ओर से संस्कृत भाषा में नागानंदम नाटक का मंचन गढ़वाल और कुमाऊं के विभिन्न स्थानों पर किया जा रहा है. जिसको दर्शक खूब सराहना रहे हैं.

नागनंदम नाटक ने दर्शकों का मन मोहा.

यह भी पढ़ें: हैदराबाद एनकाउंटर: दून की महिलाओं ने किया समर्थन, कड़ा कानून लाने की मांग

बता दें कि यह नाटक जीमूतवाहन नामक राजा और एक नाग पर आधारित है. नाटक में राजा प्रजा से बहुत प्यार करता था. वहीं, एक गरुड़ जिसे एक नाग का भोजन करने की रोज आज्ञा थी. एक दिन एक नाग की मां राजा के पास रोती है कि उसका एक ही बेटा है. इसलिए उसे बचा लो मां की करुणा पर राजा स्वयं को गरुड़ का भोजन बना लेता है.

वहीं, जब यह बात गरुड़ को पता चलती है, तो वह अपने पाप का प्रयाश्चित करता है और स्वर्ग के देवी देवताओं से राजा और उसके खाए नागों को जिंदा करने की प्रार्थना करता है. जिस पर राजा और सभी नाग जिंदा हो जाते हैं. नाटक का निर्देशन डॉ. अजीत पंवार ने किया है. वहीं, नाटक में प्रदेश के विभिन्न जिलों के छात्र-छात्राएं अभिनय कर रहे हैं.

उत्तरकाशी: उत्तराखंड संस्कृत अकादमी की ओर से एक अनूठी पहल शुरू की गई है. संस्कृत अकादमी की ओर से पहाड़ के विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों के छात्र-छात्राओं का चयन कर उन्हें संस्कृत भाषा में थिएटर कार्यशाला में प्रतिभाग करवाया जा रहा है. इस पहल में संस्कृत अकादमी की ओर से संस्कृत भाषा में नागानंदम नाटक का मंचन गढ़वाल और कुमाऊं के विभिन्न स्थानों पर किया जा रहा है. जिसको दर्शक खूब सराहना रहे हैं.

नागनंदम नाटक ने दर्शकों का मन मोहा.

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बता दें कि यह नाटक जीमूतवाहन नामक राजा और एक नाग पर आधारित है. नाटक में राजा प्रजा से बहुत प्यार करता था. वहीं, एक गरुड़ जिसे एक नाग का भोजन करने की रोज आज्ञा थी. एक दिन एक नाग की मां राजा के पास रोती है कि उसका एक ही बेटा है. इसलिए उसे बचा लो मां की करुणा पर राजा स्वयं को गरुड़ का भोजन बना लेता है.

वहीं, जब यह बात गरुड़ को पता चलती है, तो वह अपने पाप का प्रयाश्चित करता है और स्वर्ग के देवी देवताओं से राजा और उसके खाए नागों को जिंदा करने की प्रार्थना करता है. जिस पर राजा और सभी नाग जिंदा हो जाते हैं. नाटक का निर्देशन डॉ. अजीत पंवार ने किया है. वहीं, नाटक में प्रदेश के विभिन्न जिलों के छात्र-छात्राएं अभिनय कर रहे हैं.

Intro:उत्तरकाशी। उत्तराखंड संस्कृत अकादमी की और से एक अनूठी पहल शुरू की गई है। संस्कृत अकादमी की और से पहाड़ के विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों से छात्र-छात्राओं का चयन कर उन्हें संस्कृत भाषा मे थिएटर कार्यशाला में प्रतिभाग करवाया जा रहा है। इस पहल में संस्कृत अकादमी की और से संस्कृत भाषा में नागानन्दम नाटक का मंचन गढ़वाल और कुमाऊँ के विभिन्न स्थानों पर किया जा रहा है। जिसका दर्शकों की और से खूब सराहा जा रहा है। Body:वीओ-1, उत्तराखंड संस्कृत अकादमी की और से उत्तरकाशी जनपद मुख्यालय में नागानन्दम नाटक का मंचन किया गया। यह नाटक जीमूतवाहन नामक राजा और एक नाग पर आधारित है। नाटक में राजा प्रजा से बहुत प्यार करता था। वहीं एक गरुड़ जिसे एक नाग का भोजन करने की रोज आज्ञा थी। एक दिन एक नाग की मां राजा के पास रोती है कि उसका एक ही बेटा है। इसलिए उसे बचा लो। मां की करुणा पर राजा स्वयं को गरुड़ का भोजन बना लेता है। Conclusion:वीओ-2, जब यह बात गरुड़ को पता चलती है तो वह अपने पाप का प्रयाश्चित करता है और स्वर्ग के देवी देवताओं से राजा और उसके खाए नागों को जिंदा करने की प्रार्थना करता है। जिस पर राजा और सभी नाग जिन्दा हो जाते हैं। नाटक का निर्देशन डॉ अजीत पंवार ने किया है। वहीं नाटक में प्रदेश के विभिन्न जिलों के छात्र-छात्राएं अभिनय कर रहे हैं। बाईट- हरीश चंद्र गुरूरानी, कार्यक्रम संयोजक।
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