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सालों बाद जगी ग्रामीणों की उम्मीद, स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड ने सड़क निर्माण की दी मंजूरी

उत्तरकाशी के मोरी तहसील के लोगों में सालों बाद एक उम्मीद जगी है. दरअसल गोंविद पशु वन्य जीव विहार के अंर्तगत स्टेट वाइल्डलाइफ बोर्ड ने यहां की चार सड़कों के लिए स्वीकृति दे दी है.

उत्तराकाशी खबर
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Published : Nov 26, 2020, 3:56 PM IST

Updated : Nov 26, 2020, 4:04 PM IST

उत्तरकाशी: मोरी तहसील के अंतर्गत गोंविद पशु वन्य जीव विहार के अंर्तगत स्टेट वाइल्डलाइफ बोर्ड ने चार सड़कों को स्वीकृति दे दी है. जिससे वर्षों से सड़क का इंतजार कर रहे मोरी तहसील के लोगों में एक उम्मीद जगी है. वहीं, पीएमजीएवाई के अधिकारियों का कहना है कि इसके बाद भारत सरकार पर्यावरण मंत्रालय को सड़कों के वन भूमि हस्तातंरण के लिए ऑनलाइन आवेदन किया जाएगा.

बता दें कि, मोरी तहसील में गोविंद पशु वन्य जीव विहार के पर्यावरण संवर्धन और वन्य जीवों के सरक्षण के चलते कड़े नियम कानून लागू हैं. जिसके कारण दर्जनों गांव ऐसे हैं जो सड़क मार्ग से नहीं जुड़ पाए हैं. आज भी इन ग्रामीणों को करीब 15 से 20 किमी की पैदल दूरी नापनी पड़ती है. साथ ही सड़क सुविधा न होने के कारण यह गांव मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. सड़कों को स्वीकृति मिलने के बाद ग्रामीणों में अब विकास से जुड़ने की नई उम्मीद बंध गई है.

पढ़ें- प्रदेश के मंदिरों को पर्यटन के लिहाज से विकसित करने पर जोर, महाराज ने ली बैठक

प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना विभाग के पुरोला डिवीजन के अधिशासी अभियंता आरपी चमोली ने बताया कि स्टेट वाइल्डलाइफ बोर्ड की बैठक में नैटवाड़ से नुरानु तक 12.7 किमी, पांव से सिरगा तक 8.3 किमी, नैटवाड़ से हल्टवाड़ी तक 23.8 किमी और हल्टवाड़ी से सेवा तक 12.9 किमी सड़क को स्वीकृति मिली है. इसके बाद इन सड़कों के वन भूमि हस्तांतरण के लिए भारत सरकार पर्यावरण मंत्रालय में ऑनलाइन आवेदन किया जाएगा.

उत्तरकाशी: मोरी तहसील के अंतर्गत गोंविद पशु वन्य जीव विहार के अंर्तगत स्टेट वाइल्डलाइफ बोर्ड ने चार सड़कों को स्वीकृति दे दी है. जिससे वर्षों से सड़क का इंतजार कर रहे मोरी तहसील के लोगों में एक उम्मीद जगी है. वहीं, पीएमजीएवाई के अधिकारियों का कहना है कि इसके बाद भारत सरकार पर्यावरण मंत्रालय को सड़कों के वन भूमि हस्तातंरण के लिए ऑनलाइन आवेदन किया जाएगा.

बता दें कि, मोरी तहसील में गोविंद पशु वन्य जीव विहार के पर्यावरण संवर्धन और वन्य जीवों के सरक्षण के चलते कड़े नियम कानून लागू हैं. जिसके कारण दर्जनों गांव ऐसे हैं जो सड़क मार्ग से नहीं जुड़ पाए हैं. आज भी इन ग्रामीणों को करीब 15 से 20 किमी की पैदल दूरी नापनी पड़ती है. साथ ही सड़क सुविधा न होने के कारण यह गांव मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. सड़कों को स्वीकृति मिलने के बाद ग्रामीणों में अब विकास से जुड़ने की नई उम्मीद बंध गई है.

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प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना विभाग के पुरोला डिवीजन के अधिशासी अभियंता आरपी चमोली ने बताया कि स्टेट वाइल्डलाइफ बोर्ड की बैठक में नैटवाड़ से नुरानु तक 12.7 किमी, पांव से सिरगा तक 8.3 किमी, नैटवाड़ से हल्टवाड़ी तक 23.8 किमी और हल्टवाड़ी से सेवा तक 12.9 किमी सड़क को स्वीकृति मिली है. इसके बाद इन सड़कों के वन भूमि हस्तांतरण के लिए भारत सरकार पर्यावरण मंत्रालय में ऑनलाइन आवेदन किया जाएगा.

Last Updated : Nov 26, 2020, 4:04 PM IST
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