उत्तरकाशीः अपनी समृद्ध संस्कृति के लिए अलग पहचान रखने वाले यमुनाघाटी के खरसाली गांव में अनूठा समागम देखने को मिला. यहां समेश्वर देवता के मेले में ग्रामीणों ने देव डोलियों के साथ रासो और तांदी नृत्य किया. इस दौरान समेश्वर देवता के पश्वा डांगरियों (कुल्हाड़ी) पर चले. जिसे देख सब हैरान रह गए. ग्रामीणों ने आराध्य देवी देवताओं से खुशहाली की कामना की. यह मेला 12 गांवों का सामूहिक मेला होता है.
बता दें कि यमुना के मायके खरसाली (खुशीमठ) गांव में हर साल सावन महीने में क्षेत्र के आराध्य समेश्वर देवता (सोमेश्वर) के मेले का भव्य आयोजन किया जाता है. मंगलवार सुबह मंदिर परिसर में ग्रामीणों ने समेश्वर देवता की पूजा-अर्चना कर सुख, शांति और समृद्धि की कामना की. इस धार्मिक मेले में कई किशोरियों के साथ ही महिलाओं और पुरुषों पर भी देवता अवतरित हुए.
ये भी पढ़ेंः देवराना 'डांडा की जातर' में आस्था और संस्कृति का समागम, भक्तों ने किए रुद्रेश्वर देवता के दर्शन
समेश्वर देवता के पश्वा (जिन पर देवता अवतरित होते हैं) डांगरियों (कुल्हाड़ी) की धार पर नंगे पैर चले और श्रद्धालुओं को आशीर्वाद दिया. जो बेहद अंचभित और अनूठा होता है. आस्था और श्रद्धा ही जो पश्वा के पैरों को जरा सा भी नुकसान नहीं पहुंचता है. पश्वा डांगरियों पर चलते-चलते ग्रामीणों को आशीर्वाद देते हैं. समेश्वर देवता पश्वों पर अवतरित होकर ग्रामीणों की दुख दर्द दूर करते हैं.
वहीं, मेले में स्थानीय समृद्ध संस्कृति के रंग भी देखने को मिले. ग्रामीणों ने ढोल दमाऊ की थाप पर रासो और तांदी नृत्य कर आपसी भाईचारे का संदेश दिया. इस मेले में गीठ पट्टी के बनास, पिंडकी, मदेष, बीफ, निषणी, दुर्बिल, कुठार, दांगुड समेत 12 गांव के ग्रामीणों ने प्रतिभाग किया. सावन के इस मौसम में हर तरफ मेले के आयोजन हो रहे हैं. मायके आई ध्याणियां भी मेले में शिरकत कर रही हैं.