ETV Bharat / state

ग्लेशियरों के लिए वरदान साबित हो रही बर्फबारी, रिचार्ज हुए प्राकृतिक जलस्रोत - Snowfall in Gomukh and Tapovan

गोमुख और तपोवन में अभी भी बर्फबारी हो रही है. गोमुख और गंगोत्री के ऊपरी क्षेत्रों में बर्फबारी ग्लेशियरों के लिए वरदान साबित हो रही है. बर्फबारी के कारण ग्लेशियर कम मेल्ट हो रहे हैं.

Snowfall in high Himalayan regions
ग्लेशियरों के लिए वरदान साबित हो रही बर्फबारी
author img

By

Published : May 19, 2023, 4:39 PM IST

Updated : May 19, 2023, 5:04 PM IST

ग्लेशियरों के लिए वरदान साबित हो रही बर्फबारी

उत्तरकाशी: उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हुई बेमौसमी बर्फबारी ग्लेशियरों के लिए वरदान साबित हो रही है. विशेषज्ञों की मानें तो उच्च हिमालयी क्षेत्र जैसे मां गंगा का उद्गम स्थल गोमुख, तपोवन में मई माह में हो रही बर्फबारी ग्लेशियरों के लिए बहुत लाभदायक है. ग्लेशियर मेल्टिंग इस वजह से बहुत कम होती है. खासकर हिमालय क्षेत्र में ताजी बर्फबारी ग्लेशियरों के लिए संजीवनी का काम करती है. बर्फबारी से गंगोत्री सहित हर्षिल घाटी के जल स्रोत भी रिचार्ज हो गए हैं.

गोमुख तपोवन से ट्रेकिंग करके वापस लौटे छोटे ट्रेकरों ने बताया वे 11 मई के आसपास गोमुख और तपोवन ट्रेक कर वापस लौटे. वहां उन्होंने देखा गोमुख और तपोवन में अभी भी रुक रुक कर बर्फबारी हो रही है. गोमुख और गंगोत्री के ऊपरी क्षेत्रों में अच्छी खासी बर्फ देखने को मिल रही है. तपोवन क्षेत्र में एक फीट बर्फ जमी हुई है. जिससे ग्लेशियर के पिघलने की रफ्तार बहुत कम हुई है. यह स्थिति यदि पूरे ग्रीष्मकाल तक रहती है, तो यह पर्यावरण के और हिमालय के ग्लेशियरों के लिए अच्छे संकेत देने वाली बात है.
पढे़ं- नैनीताल राजभवन में शुरू हुआ 18वां गवर्नर्स गोल्फ कप टूर्नामेंट, देशभर के 125 गोल्फर ले रहे हिस्सा

बर्फबारी होने से ग्लेशियरों की परतें मोटी होंगी, जिससे यह जल्दी नहीं पिघलेंगे. अमूमन देखने में आता है कि अत्यधिक गर्मी होने के कारण ग्लेशियर पिघलने शुरू हो जाते हैं. नदियों का जलस्तर बढ़ जाता है. इस बार ऐसा बिल्कुल भी नहीं दिखाई दे रहा है. नदियों का जलस्तर काफी कम है. उन्होंने कहा कि मई की बर्फबारी ने गंगोत्री घाटी सहित हर्षिल घाटी के पारिस्थितिक तंत्र को मजबूत किया है. यहीं से गंगा निकलती है. इन क्षेत्रों में उच्च हिमालयी क्षेत्रों से कई नदियां इसमें आकर मिलती हैं. इसलिए बर्फबारी से जलस्रोत रिचार्ज हो चुके हैं. इससे भविष्य में नदियों में पानी की मात्रा अच्छी रहेगी.
पढे़ं- Operation Kaveri ने लौटाई दून के यादव परिवार की 'खुशियां', सकुशल सूडान से लौटे नंद किशोर

ताजा तस्वीरें 9 मई की गंगा के उद्गम गोमुख की हैं. जिन्हें देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस बार ग्लेशियर बर्फबारी से कितने रिचार्ज हुए हैं. गंगोत्री, गोमुख ग्लेशियरों के पिघलने की रफ्तार कम होने से नदी का जल प्रवाह कम है. ऊपरी इलाकों में बर्फ जमी हुई है. ऐसे में ग्लेशियर नहीं पिघल रहे हैं. इसका सीधा असर जल विद्युत परियोजनाओं में बिजली संकट के रूप में पड़ सकता है.

ग्लेशियरों के लिए वरदान साबित हो रही बर्फबारी

उत्तरकाशी: उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हुई बेमौसमी बर्फबारी ग्लेशियरों के लिए वरदान साबित हो रही है. विशेषज्ञों की मानें तो उच्च हिमालयी क्षेत्र जैसे मां गंगा का उद्गम स्थल गोमुख, तपोवन में मई माह में हो रही बर्फबारी ग्लेशियरों के लिए बहुत लाभदायक है. ग्लेशियर मेल्टिंग इस वजह से बहुत कम होती है. खासकर हिमालय क्षेत्र में ताजी बर्फबारी ग्लेशियरों के लिए संजीवनी का काम करती है. बर्फबारी से गंगोत्री सहित हर्षिल घाटी के जल स्रोत भी रिचार्ज हो गए हैं.

गोमुख तपोवन से ट्रेकिंग करके वापस लौटे छोटे ट्रेकरों ने बताया वे 11 मई के आसपास गोमुख और तपोवन ट्रेक कर वापस लौटे. वहां उन्होंने देखा गोमुख और तपोवन में अभी भी रुक रुक कर बर्फबारी हो रही है. गोमुख और गंगोत्री के ऊपरी क्षेत्रों में अच्छी खासी बर्फ देखने को मिल रही है. तपोवन क्षेत्र में एक फीट बर्फ जमी हुई है. जिससे ग्लेशियर के पिघलने की रफ्तार बहुत कम हुई है. यह स्थिति यदि पूरे ग्रीष्मकाल तक रहती है, तो यह पर्यावरण के और हिमालय के ग्लेशियरों के लिए अच्छे संकेत देने वाली बात है.
पढे़ं- नैनीताल राजभवन में शुरू हुआ 18वां गवर्नर्स गोल्फ कप टूर्नामेंट, देशभर के 125 गोल्फर ले रहे हिस्सा

बर्फबारी होने से ग्लेशियरों की परतें मोटी होंगी, जिससे यह जल्दी नहीं पिघलेंगे. अमूमन देखने में आता है कि अत्यधिक गर्मी होने के कारण ग्लेशियर पिघलने शुरू हो जाते हैं. नदियों का जलस्तर बढ़ जाता है. इस बार ऐसा बिल्कुल भी नहीं दिखाई दे रहा है. नदियों का जलस्तर काफी कम है. उन्होंने कहा कि मई की बर्फबारी ने गंगोत्री घाटी सहित हर्षिल घाटी के पारिस्थितिक तंत्र को मजबूत किया है. यहीं से गंगा निकलती है. इन क्षेत्रों में उच्च हिमालयी क्षेत्रों से कई नदियां इसमें आकर मिलती हैं. इसलिए बर्फबारी से जलस्रोत रिचार्ज हो चुके हैं. इससे भविष्य में नदियों में पानी की मात्रा अच्छी रहेगी.
पढे़ं- Operation Kaveri ने लौटाई दून के यादव परिवार की 'खुशियां', सकुशल सूडान से लौटे नंद किशोर

ताजा तस्वीरें 9 मई की गंगा के उद्गम गोमुख की हैं. जिन्हें देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस बार ग्लेशियर बर्फबारी से कितने रिचार्ज हुए हैं. गंगोत्री, गोमुख ग्लेशियरों के पिघलने की रफ्तार कम होने से नदी का जल प्रवाह कम है. ऊपरी इलाकों में बर्फ जमी हुई है. ऐसे में ग्लेशियर नहीं पिघल रहे हैं. इसका सीधा असर जल विद्युत परियोजनाओं में बिजली संकट के रूप में पड़ सकता है.

Last Updated : May 19, 2023, 5:04 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.