ETV Bharat / state

भगवान शिव के साथ यहां होती है शनि देव की पूजा, उत्तराखंड के इस जिले में है ये अद्भुत मंदिर

author img

By

Published : Aug 14, 2023, 1:19 PM IST

Updated : Aug 14, 2023, 2:15 PM IST

Shani Dev worshiped along with Lord Shiva उत्तराखंड देवभूमि है. यहां पौराणिक मान्यताओं से जुड़े अनगिनत मंदिर हैं. हर मंदिर की अपनी अलग प्रसिद्धि है. उत्तरकाशी का कालेश्वर महादेव मंदिर भी एक अलग मान्यता रखता है. आमतौर पर हनुमान जी के मंदिर के साथ या देवी मंदिर में शनि का मंदिर होता है, लेकिन उत्तरकाशी के कालेश्वर महादेव मंदिर में शनि देव की पूजा भी होती है.

Shani Dev worship
उत्तरकाशी धार्मिक समाचार
कालेश्वर महादेव मंदिर की महत्ता

उत्तरकाशी: उत्तरकाशी में एक शिव मंदिर ऐसा भी है, जहां शिव के साथ शनि देव की भी पूजा होती है. यह शिव मंदिर है जोशियाड़ा स्थित कालेश्वर महादेव का मंदिर. मान्यता है कि यहां सच्चे मन से कोई भक्त भगवान शिव और शनि की पूजा-अर्चना करता है, तो वह उसके सभी संकट दूर होते हैं. शनिवार को यहां दर्शन व पूजन के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है.

कालेश्वर महादेव मंदिर की कहानी: उत्तरकाशी जिला मुख्यालय के जोशियाड़ा क्षेत्र में पौराणिक कालेश्वर महादेव मंदिर स्थित है. मंदिर के मुख्य पुजारी ब्रह्मानंद पुरी बताते हैं कि यहां कभी खेतों में हल लगाते समय शिवलिंग हल से टकराया था. जब पत्थर समझकर उसे निकालना चाहा तो वह और नीचे चला जाता. चार से साढ़े पांच फीट गहराई में जब गणेश, अंबा, कार्तिकेय, शिव परिवार की मूर्तियां मिलीं, तो वह शिवलिंग उससे नीचे नहीं गया. इससे नीचे खोदाई भी संभव नहीं हो पाई. जिसके बाद से यहां प्रकट स्वयंभू शिवलिंग को कालेश्वर महादेव के रूप में पूजा जाता है.

ऐसे पड़ा कालेश्वर महादेव नाम: कालेश्वर नाम पड़ने के पीछे बताया जाता है कि यहां पहले कभी काले सांपों का डेरा भी था. शिवलिंग पर भी काले-काले सांप देखे जाते थे. जिसके चलते इसका नाम कालेश्वर पड़ा. बताया जाता है कि मंदिर के आसपास ग्रामीण भी पूजा-अर्चना के बाद ही खेतीबाड़ी से जुड़ा काम शुरू करते हैं. पंडित अजय शास्त्री ने बताया कि ये मंदिर शनि, शिव के अधीन नवगृहों में से एक है. इस कारण यहां कलियुग में शनि देव की पूजा का प्रचलन बढ़ा है. जीवन में किसी भी तरह का संकट जैसे कालसर्प दोष, शनि की साढ़े साती या ढैय्या आदि में सच्चे मन से भक्त पूजा-अर्चना करते हैं तो शिव और शनि भक्तों के सभी संकट दूर करते हैं.
ये भी पढ़ें: Chardham Temple: इस मंदिर के दर्शन से मिलता है चारधाम यात्रा का पुण्य, 400 साल पुरानी है कहानी

तिल, तेल और वस्त्र दान का है महात्म्य: पंडित अजय शास्त्री बताते हैं कि सोमवार को श्रद्धालु काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन व पूजन करते हैं. वहीं शनिवार को कालेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चन का विशेष महत्व है. यहां तिल, तेल और वस्त्र दान से शनि की पूजा की जाती है. इसके साथ काली दाल के साथ तुला दान व छाया दान भी किया जाता है.
ये भी पढ़ें: हरिद्वार के कोतवाल: जब स्थापित हुआ शनि धाम मंदिर, बंद हो गए एक्सीडेंट !
नोट: ये समाचार पौराणिक मान्यताओं और स्थानीय लोगों की आस्था पर आधारित है.

कालेश्वर महादेव मंदिर की महत्ता

उत्तरकाशी: उत्तरकाशी में एक शिव मंदिर ऐसा भी है, जहां शिव के साथ शनि देव की भी पूजा होती है. यह शिव मंदिर है जोशियाड़ा स्थित कालेश्वर महादेव का मंदिर. मान्यता है कि यहां सच्चे मन से कोई भक्त भगवान शिव और शनि की पूजा-अर्चना करता है, तो वह उसके सभी संकट दूर होते हैं. शनिवार को यहां दर्शन व पूजन के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है.

कालेश्वर महादेव मंदिर की कहानी: उत्तरकाशी जिला मुख्यालय के जोशियाड़ा क्षेत्र में पौराणिक कालेश्वर महादेव मंदिर स्थित है. मंदिर के मुख्य पुजारी ब्रह्मानंद पुरी बताते हैं कि यहां कभी खेतों में हल लगाते समय शिवलिंग हल से टकराया था. जब पत्थर समझकर उसे निकालना चाहा तो वह और नीचे चला जाता. चार से साढ़े पांच फीट गहराई में जब गणेश, अंबा, कार्तिकेय, शिव परिवार की मूर्तियां मिलीं, तो वह शिवलिंग उससे नीचे नहीं गया. इससे नीचे खोदाई भी संभव नहीं हो पाई. जिसके बाद से यहां प्रकट स्वयंभू शिवलिंग को कालेश्वर महादेव के रूप में पूजा जाता है.

ऐसे पड़ा कालेश्वर महादेव नाम: कालेश्वर नाम पड़ने के पीछे बताया जाता है कि यहां पहले कभी काले सांपों का डेरा भी था. शिवलिंग पर भी काले-काले सांप देखे जाते थे. जिसके चलते इसका नाम कालेश्वर पड़ा. बताया जाता है कि मंदिर के आसपास ग्रामीण भी पूजा-अर्चना के बाद ही खेतीबाड़ी से जुड़ा काम शुरू करते हैं. पंडित अजय शास्त्री ने बताया कि ये मंदिर शनि, शिव के अधीन नवगृहों में से एक है. इस कारण यहां कलियुग में शनि देव की पूजा का प्रचलन बढ़ा है. जीवन में किसी भी तरह का संकट जैसे कालसर्प दोष, शनि की साढ़े साती या ढैय्या आदि में सच्चे मन से भक्त पूजा-अर्चना करते हैं तो शिव और शनि भक्तों के सभी संकट दूर करते हैं.
ये भी पढ़ें: Chardham Temple: इस मंदिर के दर्शन से मिलता है चारधाम यात्रा का पुण्य, 400 साल पुरानी है कहानी

तिल, तेल और वस्त्र दान का है महात्म्य: पंडित अजय शास्त्री बताते हैं कि सोमवार को श्रद्धालु काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन व पूजन करते हैं. वहीं शनिवार को कालेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चन का विशेष महत्व है. यहां तिल, तेल और वस्त्र दान से शनि की पूजा की जाती है. इसके साथ काली दाल के साथ तुला दान व छाया दान भी किया जाता है.
ये भी पढ़ें: हरिद्वार के कोतवाल: जब स्थापित हुआ शनि धाम मंदिर, बंद हो गए एक्सीडेंट !
नोट: ये समाचार पौराणिक मान्यताओं और स्थानीय लोगों की आस्था पर आधारित है.

Last Updated : Aug 14, 2023, 2:15 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.