उत्तरकाशी: गंगा की पवित्रता और अविरलता पर देश-विदेश के लाखों-करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था जुड़ी है. हर साल लाखों श्रद्धालु गौमुख से निकलने वाली गंगा के पवित्र जल का आचमन और दर्शन के लिए गंगोत्री धाम पहुंचते हैं. इसकी आस्था को देखते हुए केंद्र सरकार भी नमामि गंगे जैसी परियोजनाओं को चलाकर गंगा की पवित्रता और अविरलता को स्वच्छ रखने के दावे करती है, लेकिन उत्तराखंड सरकार समेत शासन और प्रशासन की अनदेखी के चलते मां गंगा की स्वच्छता के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. गंगा की स्वच्छता के लिए बनाए गए एनजीटी के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए गंगा को दूषित किया जा रहा है.
मां गंगा का पवित्र धाम उत्तरकाशी जिसे मां गंगा का मायका भी कहा जाता है, लेकिन यह दुर्भाग्य की बात है कि गंगा नदी मायके से ही दूषित हो रही है. साल 2012-13 में उत्तरकाशी के मुख्यालय नगर क्षेत्र के बाद सभी एसटीपी प्लांट क्षतिग्रस्त हो गए थे. उसके बाद दो एसटीपी प्लांट बनाए गए. बावजूद उसके आज भी नगर क्षेत्र के सीवरेज और नाली सीधा गंगा (भागीरथी) नदी में छोड़े जा रहे हैं. इससे मां गंगा की धार्मिक आस्था को ठेस तो पहुंच ही रही है, साथ ही पर्यावरणीय और गंगा नदी को भी दूषित किया जा रहा है. जानकारी के मुताबिक उत्तरकाशी के 11 वार्डों के करीब 90 नाले सीधे तौर पर गंगा नदी में गिराए जा रहे हैं.
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गंगा की स्वच्छता को लेकर नमामि गंगे परियोजनाओं और एनजीटी के नियमों को लेकर शासन-प्रशासन उदासीन बना हुआ है. गंगा की स्वच्छता और नगर क्षेत्रों में एसटीपी प्लांट आदि निर्माण के लिए उत्तरकाशी डिवीजन को भी ऋषिकेश हस्तांतरित कर दिया गया है. डीएम मयूर दीक्षित का कहना है कि नगर क्षेत्र के नालों को एसटीपी प्लांट से टेप करने के लिए और गंगा की स्वच्छता के मद्देनजर नगर क्षेत्र में अन्य एसटीपी प्लांट बनाने के लिए प्रस्ताव शासन को भेजा गया है. स्वीकृति मिलते ही सभी पर कार्य शुरु कर दिया जाएगा.