उत्तरकाशी: गंगोत्री धाम में प्रतिबंध के बाद भी भागीरथी (गंगा) नदी में पुराने कपड़े बहाए जा रहे हैं. इससे नदी के प्रदूषित होने का खतरा बना हुआ है. लेकिन न तो मंदिर समिति और न ही जिला प्रशासन इस ओर ध्यान दे रहा है.
भागीरथी में पुराने कपड़े बहाने की गलत परंपरा: पिछले कुछ समय से गंगोत्री धाम में भागीरथी नदी की जलधारा में स्नान के बाद पुराने कपड़े बहाए जाने की गलत परंपरा शुरू हुई थी. इसे रोकने के लिए नदी के किनारे घाटों पर जगह-जगह इस संबंध में प्रतिबंध और चेतावनी भी लिखवाई गई. प्रतिबंध का पालन न होने से यह गलत परंपरा रुकने की बजाए बढ़ती ही जा रही है. इससे भागीरथी नदी में प्रदूषण बढ़ने के साथ इसका जलागम क्षेत्र बदरंग नजर आ रहा है.
पुराने कपड़ों से बदरंग हुई भागीरथी: गंगोत्री धाम में जगह-जगह तट के पत्थरों में फंसी साड़ियां और धोतियों आदि को देखा जा सकता है. तीर्थ पुरोहित रजत सेमवाल का कहना है कि चारधाम यात्रा को शुरू हुए अभी मात्र हफ्ता भर ही हुआ है और यहां यह गलत परंपरा दोबारा तेजी से बढ़ती जा रही है. यहां एक-दूसरे को देखकर तीर्थयात्री स्नान के बाद अपने कपड़े जलधारा में ही छोड़ रहे हैं.
मंदिर समिति ने श्रद्धालुओं से की अपील: श्री पांच गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष हरीश सेमवाल का कहना है कि समिति बार-बार श्रद्धालुओं से स्नान के बाद नदी में कपड़े प्रवाहित नहीं करने की अपील करती है. लेकिन श्रद्धालुओं नहीं मान रहे हैं. उन्होंने प्रशासन के साथ गंगा स्वच्छता से जुड़े स्वयं सेवी संगठनों से श्रद्धालुओं को जागरूक करने के लिए सहयोग देने की अपील की है.
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एसडीआरएफ तैनात: भटवाड़ी एसडीएम चतर सिंह चौहान ने बताया कि नगर पंचायत गंगोत्री के माध्यम से नदी में फेंके गए कपड़ों को समय-समय पर साफ कराया जाता है. कपड़े प्रवाहित न किए जाएं, इसके लिए श्रद्धालुओं को जागरूक किया जाएगा. श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए पुलिस की ओर से एसडीआरएफ के जवानों को तैनात किया गया है.