उत्तरकाशीः पुरोला में धारा 144 लगने के बाद यमुना घाटी बंद का आह्वान का व्यापक असर देखने को मिला. जिसके चलते यमुनोत्री धाम के मुख्य पड़ाव बड़कोट में दुकानें और होटलें बंद रही. पुलिस प्रशासन के सख्त पहरे की मार से स्थानीय लोगों के साथ यात्री भी परेशान रहे. होटलों के बंद होने से यात्रियों को भूख प्यास झेलनी पड़ी. इसके अलावा दूर दराज से जरूरी काम से बाजार आए लोगों को भी काफी परेशानी हुई. बाजार बंद होने की वजह से उन्हें मायूस होकर अपने घरों को लौटना पड़ा.
दरअसल, पुरोला में महापंचायत के ऐलान के बाद पुलिस प्रशासन ने शांति और सुरक्षा व्यवस्था कायम करने के लिए सख्त पहरा लगा दिया था. इतना ही नहीं पुरोला में धारा 144 लागू कर बॉर्डर सील कर दी थी. इसके अलावा जगह-जगह पर लोगों को रोक कर चेकिंग और पूछताछ की जा रही थी. ताकि पुरोला में महापंचायत में लोग पहुंच न सके. पुलिस प्रशासन की ओर से धारा 144 लागू करने के विरोध में यमुना घाटी व्यापार मंडल ने बाजार बंद रखा. साथ ही पुरोला कूच का निर्णय लिया था, लेकिन पुलिस की सख्ती के आगे उनकी एक न चली.
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वहीं, व्यापारियों ने बड़कोट में बाजार बंद रखा. ऐसे में होटल दुकानें बंद होने की वजह से यमुनोत्री धाम की यात्रा पर आए यात्रियों के अलावा स्थानीय लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ी. यात्रियों को खाना, पानी, फल, दूध आदि नहीं मिला. जिसके लिए वे दर दर भटकते नजर आए. बड़कोट में केवल मेडिकल स्टोर ही खुले नजर आए. ऐसे में यात्री मेडिकल संचालकों से पूछते हुए नजर आए कि क्या मामला है और बाजार कब खुलेगा?
बड़कोट के एक मेडिकल स्टोर संचालक देवेंद्र रतूड़ी ने बताया यात्रियों की अपेक्षा दूर दराज से आए ग्रामीण ज्यादा परेशान दिखे. उन्हें खाने-पीने के साथ आवश्यक घरेलू सामान की खरीदारी करनी थी, लेकिन दुकानें बंद होने से उन्हें बैरंग लौटना पड़ा. वहीं, यमुना घाटी में इकलौते प्रसिद्ध बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर एलम सिंह भंडारी के पास यमुनोत्री क्षेत्र के गीठ पट्टी से लेकर मोरी क्षेत्र से बच्चों को दिखाने लाते हैं, लेकिन बंद के चलते मरीजों का काफी परेशानी हुई.
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पुरोला में भीड़ न जुटे, इसे देखते हुए जगह-जगह रोककर उनसे पूछताछ की जा रही थी. जिसके कारण दूर दराज से आए बच्चों, अभिभावकों को घंटों तक इंतजार करने के बाद बड़कोट डॉक्टर के पास आ सके. मोरी क्षेत्र आए रामदेव ने बताया वो घर से सुबह निकले थे, लेकिन जगह-जगह रोके जाने के कारण वो करीब एक बजे बड़कोट पहुंच पाए. अब उनका समय से गांव पहुंच पाना मुश्किल है. इसी तरह जानकीचट्टी से सोहन लाल, विनोद कुमार को बच्चों के साथ बड़कोट पहुंचने में परेशानी हुई.