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हर्षिल घाटी में मार्च के महीने में भी जारी है बर्फबारी, मुश्किल में 8 गांवों के लोग

3 महीने से हर्षिल घाटी सहित आसपास के गांव में पानी की आपूर्ति बंद पड़ी हुई है, हालांकि गंगोत्री हाईवे पर आवाजाही जारी है. वहीं, सुक्की से लेकर धराली तक आवाजाही किसी जंग लड़ने से कम नहीं है, जिसके बाद प्रशासन के दावों की हकीकत खुल कर सामने आई है. साथ ही रिकॉर्ड तोड़ बर्फबारी के कारण हर्षिल घाटी में लोगों को राहत मिलने में थोड़ा समय लग सकता है.

लोगों के लिए मुसीबत बनी बर्फबारी.
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Published : Mar 13, 2019, 10:49 AM IST

उत्तरकाशी: मार्च का महीना शुरू होने के बाद भी हर्षिल घाटी में बर्फबारी रुकने का नाम नहीं ले रही है, जिसके कारण लोगों का सामान्य जीवन अभी भी पटरी पर नहीं लौट पाया है. घाटी के 8 से ज्यादा गांव में जलापूर्ति को लेकर काफी परेशानी हो रही है. साथ ही जसपुर मोटर मार्ग भी बर्फबारी के चलते बंद पड़ा हुआ है. बर्फबारी के चलते लोगों को होने वाली परेशानी को जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम हर्षिल घाटी पहुंची.

ईटीवी भारत से खास बातचीत में ग्रामीणों ने बताया कि लगभग 3 महीने से हर्षिल घाटी सहित आसपास के गांव में पानी की आपूर्ति बंद पड़ी हुई है, हालांकि गंगोत्री हाईवे पर आवाजाही जारी है. वहीं, सुक्की से लेकर धराली तक आवाजाही किसी जंग लड़ने से कम नहीं है, जिसके बाद प्रशासन के दावों की हकीकत खुल कर सामने आई है. साथ ही रिकॉर्ड तोड़ बर्फबारी के कारण हर्षिल घाटी में लोगों को राहत मिलने में थोड़ा समय लग सकता है.

लोगों के लिए मुसीबत बनी बर्फबारी.

घाटी के छोलमी गांव में लगभग 5 से 6 फीट बर्फ मौजूद है, जिसमें सबसे ज्यादा जद्दोजहद ग्रामीणों और सेब बागानों के चौकीदारों को करनी पड़ रही है. साथ ही सुक्की से लेकर धराली तक गंगोत्री हाईवे पर बर्फ वाहनों की आवाजाही में मुसीबत खड़ी कर रही है. साथ ही तापमान में भारी गिरावट के कारण पानी के नल जम गए हैं. ऐसे में ग्रामीण पानी की आपूर्ति नदी और बर्फ को पिघलाकर पूरा कर रहे हैं.

हर्षिल निवासी दीपक सिंह ने बताया कि पानी जैसी मूलभूत सुविधा की समस्या पिछले 2 से 3 माह से बनी हुई है. अगर इन दिनों ऑफ सीजन में कोई पर्यटक होटल में ठहरने के लिए आ जाए तो पानी की समस्या सामने खड़ी हो जाती है. ऐसे में बर्फ या नदियों का ही सहारा रह जाता है.

उत्तरकाशी: मार्च का महीना शुरू होने के बाद भी हर्षिल घाटी में बर्फबारी रुकने का नाम नहीं ले रही है, जिसके कारण लोगों का सामान्य जीवन अभी भी पटरी पर नहीं लौट पाया है. घाटी के 8 से ज्यादा गांव में जलापूर्ति को लेकर काफी परेशानी हो रही है. साथ ही जसपुर मोटर मार्ग भी बर्फबारी के चलते बंद पड़ा हुआ है. बर्फबारी के चलते लोगों को होने वाली परेशानी को जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम हर्षिल घाटी पहुंची.

ईटीवी भारत से खास बातचीत में ग्रामीणों ने बताया कि लगभग 3 महीने से हर्षिल घाटी सहित आसपास के गांव में पानी की आपूर्ति बंद पड़ी हुई है, हालांकि गंगोत्री हाईवे पर आवाजाही जारी है. वहीं, सुक्की से लेकर धराली तक आवाजाही किसी जंग लड़ने से कम नहीं है, जिसके बाद प्रशासन के दावों की हकीकत खुल कर सामने आई है. साथ ही रिकॉर्ड तोड़ बर्फबारी के कारण हर्षिल घाटी में लोगों को राहत मिलने में थोड़ा समय लग सकता है.

लोगों के लिए मुसीबत बनी बर्फबारी.

घाटी के छोलमी गांव में लगभग 5 से 6 फीट बर्फ मौजूद है, जिसमें सबसे ज्यादा जद्दोजहद ग्रामीणों और सेब बागानों के चौकीदारों को करनी पड़ रही है. साथ ही सुक्की से लेकर धराली तक गंगोत्री हाईवे पर बर्फ वाहनों की आवाजाही में मुसीबत खड़ी कर रही है. साथ ही तापमान में भारी गिरावट के कारण पानी के नल जम गए हैं. ऐसे में ग्रामीण पानी की आपूर्ति नदी और बर्फ को पिघलाकर पूरा कर रहे हैं.

हर्षिल निवासी दीपक सिंह ने बताया कि पानी जैसी मूलभूत सुविधा की समस्या पिछले 2 से 3 माह से बनी हुई है. अगर इन दिनों ऑफ सीजन में कोई पर्यटक होटल में ठहरने के लिए आ जाए तो पानी की समस्या सामने खड़ी हो जाती है. ऐसे में बर्फ या नदियों का ही सहारा रह जाता है.

Intro:uttarkashi_vipin negi_life struggle in snow_ 12 march 2019. उत्तरकाशी। मध्य मार्च का माह प्रगति है। लेकिन हर्षिल घाटी में अभी भी जन जीवन बर्फबारी के बाद भी पटरी पर नहीं लौट पाया है। हर्षिल घाटी के 8 गांव में सबसे ज्यादा परेशानी जलापूर्ति को लेकर हो रही है। तो साथ ही अभी तक जसपुर मोटर मार्ग भी बर्फबारी के चलते बंद है। etv bharat ने हर्षिल घाटी के गांव में ग्राउंड पर जाकर स्थानीय ग्रामीणों की परेशानी जानी। ग्रामीणों का कहना करीब 3 माह से हर्षिल सहित आसपास के गांव में पानी की आपूर्ति बंद पड़ी हुई है। हालांकि गंगोत्री हाईवे पर आवाजाही जारी है। लेकिन सुक्की से लेकर धराली तक आवाजाही किसी जंग लड़ने से कम नहीं है। शासन प्रशासन के दावों की हकीकत खुल कर सामने आई है। वहीं रिकॉर्डतोड़ बर्फबारी के बीच हर्षिल घाटी में अभी जनजीवन को पटरी पर लौटने में समय लग सकता है।


Body:वीओ-1, मार्च मध्य माह में अभी तक हर्षिल घाटी के छोलमी गांव में करीब 5 से 6 फिट बर्फ मौजूद है। जिसमे सबसे ज्यादा जद्दोजहद ग्रामीणों और सेब बागानों के चौकीदारों को करना पड़ रही है। साथ ही सुक्की से लेकर धराली तक गंगोत्री हाईवे पर बर्फ वाहनों की आवाजाही में मुसीबत खड़ी कर रही है। वहीं हर्षिल सहित बगोरी और मुखबा आदि गांव में ग्रामीणों को सबसे ज्यादा दिक्कतें जलापूर्ति को लेकर हो रही है। ग्रामीणों का कहना है कि तापमान में भारी गिरावट के कारण पानी के नल जमे हुए हैं। ऐसे में ग्रामीण पानी की आपूर्ति या तो नदी नालों या बर्फ को पिघलाकर पूरा कर रहे हैं।


Conclusion:वीओ-2, etv bharat की पड़ताल में प्रशासन की बर्फबारी के दौरान सभी प्रकार की व्यवस्थाओं की पोल खुलती हुई नजर आई। हर्षिल निवासी दीपक सिंह ने बताया कि पानी जैसी मूलभूत सुविधा की समस्या विगत 2 से 3 माह से बनी हुई है। अगर इन दिनों ऑफ सीजन में कोई पर्यटक होटल में ठहरने के लिए आ जाए। तो पानी की समस्या सामने खड़ी हो जाती है। ऐसे में बर्फ या नदियों का ही सहारा रह जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि नलों के जमने के कारण पानी की समस्या लगातार बनी हुई है। बाईट- दीपक सिंह,स्थानीय निवासी हर्षिल।
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