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मरीज को 9 किलोमीटर कंधे पर लादकर पहुंचाया अस्पताल - मोरी ब्लॉक में सड़कों का अभाव

उत्तराखंड की स्वास्थ्य सेवाएं कितनी बदहाल हैं इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि महिला को पेट में दर्द की शिकायत के बाद कंधे पर लादकर अस्पताल पहुंचाया गया. स्थानीय लोगों का कहना है कि सड़क तक पहुंचने के लिए ग्रामीणों को करीब 10 से 20 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है.

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मरीज को 9 किलोमीटर कंधे पर लाद पहुंचाया अस्पताल
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Published : Dec 8, 2020, 4:53 PM IST

उत्तरकाशी: उत्तराखंड की स्वास्थ्य सेवाएं किसी से छिपी हुई नहीं है. हमेशा पहाड़ों से बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं की तस्वीरें सामने आती रहती हैं. ऐसी ही कुछ तस्वीर उत्तरकाशी से भी देखने को मिला.

जहां मोरी ब्लॉक के बरी गांव में एक महिला अचानक बीमार हो गई. ग्रामीणों ने आनन-फानन में महिला को 9 किमी पैदल डंडी-कंडी के सहारे धौला तक पहुंचाया. उसके बाद उन्हें प्राइवेट वाहन से उपचार के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मोरी पहुंचाया गया. प्राथमिक उपचार के बाद महिला को इलाज के लिए हायर सेंटर रेफर किया गया.

पढ़ें- सड़क न होने पर ग्रामीणों ने बीमार को कंधे पर लादकर पहुंचाया अस्पताल

महिला को पेट में दर्द की शिकायत के बाद कंधे पर लादकर अस्पताल पहुंचाया गया. वहीं, बरी गांव की ग्राम प्रधान सुनीता देवी ने कहा कि आज भी मोरी तहसील के कई गांव आदमयुग में जी रहे हैं. गांव तक पहुंचने का कोई साधन उपलब्ध नहीं होने के कारण लोग काल के गाल में समा रहे हैं.

स्थानीय लोगों का कहना है कि सड़क तक पहुंचने के लिए ग्रामीणों को करीब 10 से 20 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है. कई बार सड़क स्वीकृति के लिए शासन-प्रशासन से गुहार लगाई गई. लेकिन गोविंद पशु वन्य जीव विहार के नियमों के आगे सब बेबस नजर आ रहे हैं.

उत्तरकाशी: उत्तराखंड की स्वास्थ्य सेवाएं किसी से छिपी हुई नहीं है. हमेशा पहाड़ों से बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं की तस्वीरें सामने आती रहती हैं. ऐसी ही कुछ तस्वीर उत्तरकाशी से भी देखने को मिला.

जहां मोरी ब्लॉक के बरी गांव में एक महिला अचानक बीमार हो गई. ग्रामीणों ने आनन-फानन में महिला को 9 किमी पैदल डंडी-कंडी के सहारे धौला तक पहुंचाया. उसके बाद उन्हें प्राइवेट वाहन से उपचार के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मोरी पहुंचाया गया. प्राथमिक उपचार के बाद महिला को इलाज के लिए हायर सेंटर रेफर किया गया.

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महिला को पेट में दर्द की शिकायत के बाद कंधे पर लादकर अस्पताल पहुंचाया गया. वहीं, बरी गांव की ग्राम प्रधान सुनीता देवी ने कहा कि आज भी मोरी तहसील के कई गांव आदमयुग में जी रहे हैं. गांव तक पहुंचने का कोई साधन उपलब्ध नहीं होने के कारण लोग काल के गाल में समा रहे हैं.

स्थानीय लोगों का कहना है कि सड़क तक पहुंचने के लिए ग्रामीणों को करीब 10 से 20 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है. कई बार सड़क स्वीकृति के लिए शासन-प्रशासन से गुहार लगाई गई. लेकिन गोविंद पशु वन्य जीव विहार के नियमों के आगे सब बेबस नजर आ रहे हैं.

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