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इस आर्टिस्ट ने 227 साल पुराने भवन को चित्र में ढाला, खरीदने के लिए आया 10 लाख का ऑफर ठुकराया, ये है सपना - डॉ मनीष सेमवाल की पेंटिंग

Painter Dr Manish Semwal उत्तराखंड का एक चित्रकार अपनी कूची से विलुप्त होती विरासत को जीवित रखने का प्रयास कर रहा है. इस चित्रकार ने 227 साल पुराने भवन को चित्र में ढाला है. इस चित्र को खरीदने के लिए 10 लाख का ऑफर तक आ चुका है. इस ऑफर पर चित्रकार ने क्या कहा, पढ़िए इस खबर में. Paintings to preserve hill heritage

Painter Dr Manish Semwal
उत्तरकाशी पेंटिंग
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 3, 2023, 11:53 AM IST

Updated : Oct 3, 2023, 2:01 PM IST

उत्तराखंड की विरासत को सहेजने की कोशिश

उत्तराकाशी: उत्तरकाशी के मुखबा गांव निवासी चित्रकार डॉ मनीष सेमवाल ने अपनी चित्रकला को पहाड़ी विरासत को संजोए रखने का माध्यम बनाया है. उन्होंने अपने गांव में पुरखों के बनाए पहाड़ी शैली के भवन की पेंटिंग तैयार की है. इसके साथ ही वह पहाड़ी आभूषण और वाद्य यंत्र आदि की पेंटिंग तैयार कर पहाड़ी लोककला और विरासत को संजोने का काम कर रहे हैं.

Paintings to preserve hill heritage
डॉ मनीष सेमवाल द्वारा बनाया गया 227 साल पुराने भवन का चित्र

चित्रकला से विरासत सहेजने की कोशिश: राजकीय इंटर कॉलेज सौरा भटवाड़ी में सहायक अध्यापक 37 वर्षीय डॉ मनीष सेमवाल ने श्रीनगर गढ़वाल केंद्रीय विवि से जनपद उत्तरकाशी की रुपप्रद कला का विश्लेषाणात्मक अध्ययन विषय में पीएचडी की है. वह चित्रकला विषय में बीए व एमए की पढ़ाई के दौरान से ही पेंटिंग तैयार कर रहे हैं. अपने मुखबा गांव में पुरखों द्वारा तैयार पहाड़ी शैली के भवन को उन्होंने हूबहू कैनवास पर उकेरा है. डॉ मनीष सेमवाल बताते हैं कि विद्यालय से अवकाश के बाद मिलने वाले समय में उन्होंने ऑयल कलर से यह पेंटिंग तैयार की.

Paintings to preserve hill heritage
इस चित्र को 10 लाख रुपए में खरीदने का ऑफर आ चुका है

10 लाख में पेंटिंग खरीदने का ऑफर: डॉक्टर सेमवाल ने बताया कि उन्हें दो साल और सात महीने का समय इस पेंटिंग को बनाने में लगा. इस पेंटिंग को दिल्ली के व्यापारी ने भी दस लाख रुपए में खरीदने का ऑफर दिया है. हालांकि फिलहाल वह इसे बेचने को तैयार नहीं हैं. उन्होंने बताया कि इसके अलावा उन्होंने पहाड़ी वास्तुकला, आभूषण, वाद्य यंत्र आदि पर आधारित पेंटिंग्स तैयार की हैं. उनका कहना है कि पहाड़ी विरासत को संजोए रखने का चित्रकला से अच्छा कोई माध्यम नहीं है.

Paintings to preserve hill heritage
अपनी पेंटिंग दिखाते डॉ मनीष सेमवाल

करीब 227 साल पुराना है भवन: चित्रकार डॉ मनीष सेमवाल ने अपने गांव में पुरखों द्वारा तैयार जिस पहाड़ी भवन की पेंटिंग बनाई है, वह करीब 227 साल पुराना है. अब इस तरह के भवन पहाड़ में गिने चुने ही रह गए हैं. डॉ मनीष ने बताया कि इस भवन को उनके पूर्वज नरोत्तम सेमवाल ने बताया था. उनके नाम पर उन्होंने पेंटिंग का नाम भी नरोत्तम द ग्रेट रखा है. जिसमें पहाड़ी काष्टकला के साथ पारंपरिक जनजीवन को बारीकी से दर्शाया गया है. डॉ मनीष सेमवाल ने इस पेंटिंग के लिए अपने भाई विकास सेमवाल और भाभी दीपिका सेमवाल और पत्नी सुरभि सेमवाल को सहयोग के लिए श्रेय दिया है.

सड़क हादसे में मौत को दी थी मात: वर्ष 2017 में गंगोत्री हाईवे पर हुई एक सड़क दुर्घटना में डॉ मनीष सेमवाल मौत को मात देकर जिंदा बचे थे. हादसे में दो लोगों की मौत हो गई थी. हालांकि इस हादसे से उबरने में उन्हें डेढ़ से दो साल का समय लगा और वह चित्रकला से भी दूर रहे थे.
ये भी पढ़ें: ऐसे शुरू हुआ था मोला राम का गढ़वाल स्कूल ऑफ आर्ट, औरंगजेब और दारा शिकोह से भी है कनेक्शन

उत्तराखंड की विरासत को सहेजने की कोशिश

उत्तराकाशी: उत्तरकाशी के मुखबा गांव निवासी चित्रकार डॉ मनीष सेमवाल ने अपनी चित्रकला को पहाड़ी विरासत को संजोए रखने का माध्यम बनाया है. उन्होंने अपने गांव में पुरखों के बनाए पहाड़ी शैली के भवन की पेंटिंग तैयार की है. इसके साथ ही वह पहाड़ी आभूषण और वाद्य यंत्र आदि की पेंटिंग तैयार कर पहाड़ी लोककला और विरासत को संजोने का काम कर रहे हैं.

Paintings to preserve hill heritage
डॉ मनीष सेमवाल द्वारा बनाया गया 227 साल पुराने भवन का चित्र

चित्रकला से विरासत सहेजने की कोशिश: राजकीय इंटर कॉलेज सौरा भटवाड़ी में सहायक अध्यापक 37 वर्षीय डॉ मनीष सेमवाल ने श्रीनगर गढ़वाल केंद्रीय विवि से जनपद उत्तरकाशी की रुपप्रद कला का विश्लेषाणात्मक अध्ययन विषय में पीएचडी की है. वह चित्रकला विषय में बीए व एमए की पढ़ाई के दौरान से ही पेंटिंग तैयार कर रहे हैं. अपने मुखबा गांव में पुरखों द्वारा तैयार पहाड़ी शैली के भवन को उन्होंने हूबहू कैनवास पर उकेरा है. डॉ मनीष सेमवाल बताते हैं कि विद्यालय से अवकाश के बाद मिलने वाले समय में उन्होंने ऑयल कलर से यह पेंटिंग तैयार की.

Paintings to preserve hill heritage
इस चित्र को 10 लाख रुपए में खरीदने का ऑफर आ चुका है

10 लाख में पेंटिंग खरीदने का ऑफर: डॉक्टर सेमवाल ने बताया कि उन्हें दो साल और सात महीने का समय इस पेंटिंग को बनाने में लगा. इस पेंटिंग को दिल्ली के व्यापारी ने भी दस लाख रुपए में खरीदने का ऑफर दिया है. हालांकि फिलहाल वह इसे बेचने को तैयार नहीं हैं. उन्होंने बताया कि इसके अलावा उन्होंने पहाड़ी वास्तुकला, आभूषण, वाद्य यंत्र आदि पर आधारित पेंटिंग्स तैयार की हैं. उनका कहना है कि पहाड़ी विरासत को संजोए रखने का चित्रकला से अच्छा कोई माध्यम नहीं है.

Paintings to preserve hill heritage
अपनी पेंटिंग दिखाते डॉ मनीष सेमवाल

करीब 227 साल पुराना है भवन: चित्रकार डॉ मनीष सेमवाल ने अपने गांव में पुरखों द्वारा तैयार जिस पहाड़ी भवन की पेंटिंग बनाई है, वह करीब 227 साल पुराना है. अब इस तरह के भवन पहाड़ में गिने चुने ही रह गए हैं. डॉ मनीष ने बताया कि इस भवन को उनके पूर्वज नरोत्तम सेमवाल ने बताया था. उनके नाम पर उन्होंने पेंटिंग का नाम भी नरोत्तम द ग्रेट रखा है. जिसमें पहाड़ी काष्टकला के साथ पारंपरिक जनजीवन को बारीकी से दर्शाया गया है. डॉ मनीष सेमवाल ने इस पेंटिंग के लिए अपने भाई विकास सेमवाल और भाभी दीपिका सेमवाल और पत्नी सुरभि सेमवाल को सहयोग के लिए श्रेय दिया है.

सड़क हादसे में मौत को दी थी मात: वर्ष 2017 में गंगोत्री हाईवे पर हुई एक सड़क दुर्घटना में डॉ मनीष सेमवाल मौत को मात देकर जिंदा बचे थे. हादसे में दो लोगों की मौत हो गई थी. हालांकि इस हादसे से उबरने में उन्हें डेढ़ से दो साल का समय लगा और वह चित्रकला से भी दूर रहे थे.
ये भी पढ़ें: ऐसे शुरू हुआ था मोला राम का गढ़वाल स्कूल ऑफ आर्ट, औरंगजेब और दारा शिकोह से भी है कनेक्शन

Last Updated : Oct 3, 2023, 2:01 PM IST
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