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जाते-जाते मॉनसून ने किसानों को डाला संकट में, धान की फसल हुई बर्बाद

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Published : Sep 30, 2019, 2:04 PM IST

मॉनसून सीजन जाते-जाते भी किसानों को परेशान कर रहा है. लगातार हो रही बारिश से पुरोला में धान की फसल तबाह हो चुकी है.

पुरोला

पुरोला: मॉनसून सीजन जाते-जाते पहाड़ों के काश्तकारों को संकट में डाल रहा है. लगातार हो रही बारिश से धान की फसल तबाह हो चुकी है. जिससे किसानों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है. इसके साथ ही घास के सड़ने से पशुओं को चारा नहीं मिल रहा है.

किसानों का कहना है कि जब जरूरत थी, तब बारिश नहीं हुई और अब फसल पक चुकी है तो बारिश बंद होने का नाम नहीं ले रही है.

लगातार बारिश से धान की फसल तबाह

पढ़ें- आचार संहिता के दौरान मिली अब तक की सबसे बड़ी शराब की खेप, गोदाम से 600 पेटी बरामद

लगातार हो रही बारिश से किसान परेशान हैं. किसानों को खेतों से फसल उठाने का भी समय नहीं मिल रहा है. किसानों को समझ नहीं आ रहा कि आखिर करें तो क्या करें.

पुरोला: मॉनसून सीजन जाते-जाते पहाड़ों के काश्तकारों को संकट में डाल रहा है. लगातार हो रही बारिश से धान की फसल तबाह हो चुकी है. जिससे किसानों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है. इसके साथ ही घास के सड़ने से पशुओं को चारा नहीं मिल रहा है.

किसानों का कहना है कि जब जरूरत थी, तब बारिश नहीं हुई और अब फसल पक चुकी है तो बारिश बंद होने का नाम नहीं ले रही है.

लगातार बारिश से धान की फसल तबाह

पढ़ें- आचार संहिता के दौरान मिली अब तक की सबसे बड़ी शराब की खेप, गोदाम से 600 पेटी बरामद

लगातार हो रही बारिश से किसान परेशान हैं. किसानों को खेतों से फसल उठाने का भी समय नहीं मिल रहा है. किसानों को समझ नहीं आ रहा कि आखिर करें तो क्या करें.

Intro:स्थान- पुरोला
एंकर- पहाड़ों में ज़िंदगी पहाड़ जैसे ही कठिन होती है।तभी तो पहाड़ का पानी और जवानी दोनों ही पहाड़ के काम नही आते।
पहाड़ो में आजकल लगातार हो रही बारीश से जहाँ जन जिवन अस्त व्यस्त है वहीं धान की फशल खेतों में ही सड़ गल गई है जिससे कास्तकार मायुस और परेशान है। आने वाले दिनों में उसके आगे रोजी रोटी का संकट गहराने लग गया है। वहीँ पशुओं के लिऐ भी घास भी सड़ने की कगार पर है।



Body:वीओ1- पहाड़ों में लगातार हो रही बारिष से जहाँ आम लोगों का जन जिवन अस्त व्यस्त हो रखा है ,वहीं पहाड़ी कास्तकार लगातार हो रही बारीश से चिंतित हो रहा है खेतों में ही उसकी धान की फसल सड़ गई साथ ही पशुओं के लिए काटा हुआ घास भी बेमौसमी बारिश की भेंट चढ़ने लग गया किसानों की खेतों में
हाड़ तोड़ मेहनत भी बेकार ही जा रही है। कास्तकार जब तक खेतों में धान मांडने को निकलता है वैसे ही झमाझम बरसात की फुहार शुरू हो जाती है। पूरे दिनभर किसानों को खेतों में धान मांडने व ढकने का ही काम रह गया
बाईट-कास्तकार



Conclusion:वीओ-२ बेमौसमी बरसात से पहाड़ों की खेती बाड़ी पहाड़ों जैसी कठिन होती जा रही है तभी तो युवा वर्ग पहाड़ो से मोह भंग हो रहा है जिसका नतीजा आये दिन पहाड़ो के गांवों से पलायन देखा जा रहा है । रोजी रोटी की तलास में निकलता युवा शहरों की ओर अपना भविष्य तलाश रहा है।
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