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आंदोलन पर बोले पहाड़ के किसान, हमें MSP से नहीं कोई लाभ-हानि

दिल्ली-गाजीपुर बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन को लेकर यहां के किसानों का कोई बड़ा सरोकार नहीं देखने को मिल रहा है. उनका कहना है कि एमएसपी को लेकर उन्हें कोई खास फायदा और नुकसान नहीं है.

पहाड़ के किसानों को MSP से नहीं कोई लाभ नहीं
पहाड़ के किसानों को MSP से नहीं कोई लाभ नहीं
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Published : Feb 23, 2021, 3:49 PM IST

उत्तरकाशी: कृषि कानून के विरोध में किसान आंदोलनरत हैं. विभिन्न प्रदेशों के किसान इस आंदोलन को अलग-अलग तरीके से समर्थन दे रहे हैं. वहीं, पहाड़ों में किसान आंदोलन की जानकारी काश्तकारों को तो है, लेकिन इसको लेकर यहां किसानों का कोई बड़ा सरोकार नहीं देखने को मिल रहा है.

किसान आंदोलन पर पहाड़ के किसानों की राय.

ईटीवी भारत ने उत्तरकाशी जनपद में किसानों से दिल्ली-गाजीपुर बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन को लेकर बातचीत की. किसानों का कहना है कि उन्हें मीडिया और सोशल मीडिया से किसान आंदोलन की जानकारी लगातार मिलती रहती है, लेकिन इसके मुख्य बिंदु एमएसपी को लेकर उन्हें कोई खासा फायदा और नुकसान नहीं है. हालांकि जनपद में सेब के काश्तकारों पर इसका हल्का असर देखने को मिलता है.

ये भी पढ़ें: इलाज के बाद घर पहुंची बच्ची की मौत, परिजनों ने डॉक्टरों पर लगाया लापरवाही का आरोप

स्थानीय काश्तकारों का कहना है कि जनपद के हर्षिल, मोरी, नौगांव और आराकोट में सेब का उत्पादन होता है. उसके लिए अन्य प्रदेशों की मंडियों से आढ़ती आकर काश्तकार से सीधा सेब खरीद कर ले जाते हैं. साथ ही यमुना घाटी में नकदी फसल होती है. लेकिन घाटी के काश्तकारों को स्थानीय मंडी नहीं मिलने के कारण एमएसपी का लाभ नहीं मिल पा रहा है.

उत्तरकाशी: कृषि कानून के विरोध में किसान आंदोलनरत हैं. विभिन्न प्रदेशों के किसान इस आंदोलन को अलग-अलग तरीके से समर्थन दे रहे हैं. वहीं, पहाड़ों में किसान आंदोलन की जानकारी काश्तकारों को तो है, लेकिन इसको लेकर यहां किसानों का कोई बड़ा सरोकार नहीं देखने को मिल रहा है.

किसान आंदोलन पर पहाड़ के किसानों की राय.

ईटीवी भारत ने उत्तरकाशी जनपद में किसानों से दिल्ली-गाजीपुर बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन को लेकर बातचीत की. किसानों का कहना है कि उन्हें मीडिया और सोशल मीडिया से किसान आंदोलन की जानकारी लगातार मिलती रहती है, लेकिन इसके मुख्य बिंदु एमएसपी को लेकर उन्हें कोई खासा फायदा और नुकसान नहीं है. हालांकि जनपद में सेब के काश्तकारों पर इसका हल्का असर देखने को मिलता है.

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स्थानीय काश्तकारों का कहना है कि जनपद के हर्षिल, मोरी, नौगांव और आराकोट में सेब का उत्पादन होता है. उसके लिए अन्य प्रदेशों की मंडियों से आढ़ती आकर काश्तकार से सीधा सेब खरीद कर ले जाते हैं. साथ ही यमुना घाटी में नकदी फसल होती है. लेकिन घाटी के काश्तकारों को स्थानीय मंडी नहीं मिलने के कारण एमएसपी का लाभ नहीं मिल पा रहा है.

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