उत्तरकाशी: उत्तराखंड में स्वच्छता अभियान का किस तरह से माखौल उड़ाया जा रहा है, इसकी बानगी उत्तरकाशी में देखने को मिल रही है. उत्तरकाशी हिंदुओं की पवित्र नदी गंगा और यमुना का उद्गम स्थल है. उद्गम स्थल से जैसे ही ये नदियां आगे बढ़ती हैं...धीरे-धीरे गंदी होती जाती है. पानी के साथ-साथ मौजूदा समय में ये नदियां कूड़ा-कचरा और सीवर की गंदगी का बोझ भी ढो रही हैं. पहाड़ में इन नदियों के किनारे बसे कस्बों और शहरों में कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था नहीं है. ये हाल तब है जब गंगा और उसकी सहायक नदियों की स्वच्छता के नाम पर खूब पैसा बहाया जा रहा है.
उत्तरकाशी के नगर पालिका बाड़ाहाट में वैज्ञानिक ढंग से कचरे का निस्तारण तो दूर कूड़ा डंपिंग के लिए जमीन तक नहीं तलाशी गई है. यही कारण है कि नगर का सारा कूड़ा तांबाखानी सुरंग के मुहाने पर गंगा भागीरथी से लगे गंगोत्री हाईवे पर डंप किया जा रहा है, जो सीधा भगीरथी में गिर रहा है. भौगोलिक रूप से देखें तो उत्तरकाशी नगर पालिका आठ वार्डों में बंटी हुई है. नगर पालिका का क्षेत्र बड़ेथी चुंगी से लेकर गंगोरी तक फैला हुआ है.
उत्तरकाशी जिले की बात करें तो हर दिन यहां से 14 से 15 टन कूड़ा निकलता है, जो चारधाम यात्रा के दौरान 20 टन तक पहुंच जाता है, लेकिन निस्तारण सिर्फ 9 टन ही हो पाता है. बाकी बचा कूड़ा या तो नदियों में डाल दिया जाता है या फिर उसे जला दिया जाता है. जिस 9 टन कूड़े का निस्तारण किया जाता है, वो उत्तरकाशी में नहीं होता, बल्कि ट्रकों में भरकर दूसरे शहरों में भेजा जाता है. उत्तरकाशी में कूड़ा निस्तारण की कोई सुविधा नगर पालिका या प्रशासन के पास नहीं है.
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कई सालों से नगर पालिका बाड़ाहाट का सारा कूड़ा तेखला गदेरे में उड़ेला जा रहा था, लेकिन बरसात में ये कूड़ा बहकर सीधे भागीरथी में पहुंच जाता है. मामले का संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने तेखला गदेरे में कूड़ा डालने पर पाबंदी लगा दी है. ऐसे में नगर का सारा कूड़ा नगर के मध्य स्थित तांबाखानी सुरंग के बाहरी हिस्से में भागीरथी से लगे गंगोत्री हाईवे पर डाला जा रहा है. लेकिन, जिला प्रशासन इससे पूरी तरह अनजान है.
गंगा उद्गम के बाद पड़ने वाले पहले शहर उत्तरकाशी में स्वच्छता की बात करनी ही बेमानी है. अभी तक यह गंगा स्वच्छता कार्यक्रम फोटो खिंचवाने तक ही सीमित रहते हैं. ऐसे में उत्तरकाशी की गंदगी की बोझ भगीरथी को ढोना पड़ता है.