उत्तरकाशी: सूबे के पहाड़ी जिलों में प्रसव पीड़ा के दौरान जच्चा-बच्चा की जान के साथ खिलवाड़ होने का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है. बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं के चलते कभी मां तो कभी बच्चे को जान गंवानी पड़ती है. ऐसी ही एक घटना उत्तरकाशी जिला अस्पताल में सामने आई. यहां एक प्रसव पीड़ा से कहरा रही गर्भवती को दून रेफर किया गया.
लेकिन बाद में परिजनों ने काबीना मंत्री गणेश जोशी से संपर्क किया गया. मंत्री के हस्तक्षेप के बाद आनन-फानन में रेफर गर्भवती को वापस बुलाया गया और उसका ऑपरेशन किया गया. जिसमें महिला की जान तो बच गई. लेकिन नवजात नहीं बच सका.
अनुसूचित जाति मोर्चा भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष किशन लाल ने बताया कि बीती 28 अप्रैल को बड़कोट तहसील के ढाली गांव से एक महिला को प्रसव पीड़ा के दौरान 7 किमी पैदल बड़कोट अस्पताल पहुंचाया गया. वहां से महिला को नौगांव रेफर किया गया. उसके बाद अगले दिन जिला अस्पताल रेफर किया गया.
दो दिन में नार्मल डिलीवरी न हो पाने के कारण शनिवार सुबह तड़के 4 बजे जिला महिला अस्पताल से गर्भवती की स्थिति खराब बताकर दून रेफर किया गया. कोरोना के डर और महिला की स्थिति को देखते हुए परिजनों ने किशन लाल से सम्पर्क किया.
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भाजपा नेता ने मामले की जानकारी प्रभारी मंत्री गणेश जोशी को दी और मदद की गुहार लगाई. मंत्री ने सुबह डीएम उत्तरकाशी को फोन कर गर्भवती का प्रसव जिला अस्पताल में ही करवाने के निर्देश दिए. जिस पर जिला प्रशासन हरकत में आया और उसके बाद गर्भवती को दून ले जा रही एम्बुलेंस को जिला मुख्यालय से 10 किमी दूर नाकुरी से वापस बुला लिया. जिसके बाद महिला का प्रसव करवाया गया. जिसमें नवजात मृत पैदा हुआ, लेकिन महिला की जान बच गई.
जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. एसडी सकलानी का कहना है कि महिला डॉक्टर ने ओटी स्टाफ न होने के कारण महिला को रेफर किया था. लेकिन उसके बाद डीएम के निर्देश पर महिला को वापस बुलाया गया और यहीं पर उनका उपचार चल रहा है.