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देश की आन-बान और शान की खातिर दे दी जान, पर सम्मान देने के लिए सरकार के पास जमीन तक नहीं - उत्तरकाशी न्यूज

उत्तरकाशी से देश की आन-बान और शान की खातिर 1971 के युद्ध, कारगिल समेत सेना के कई बड़े ऑपरेशन में कई बहादुर बेटों ने अपनी शहादत दी है. अब तक 10 मिलिट्री और 2 पैरामिलिट्री के जवान देश की रक्षा के लिए शहादत दे चुके हैं, लेकिन अभी तक सरकार शहीदों के सम्मान में शहीद स्मारक तक नहीं बना पाई है.

उत्तरकाशी शहीद सम्मारक
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Published : Mar 6, 2019, 7:26 PM IST

उत्तरकाशीः देवभूमि की गौरवशाली पृष्ठभूमि में शहीदों का एक समृद्ध इतिहास रहा है. यहां के रणबांकुरों ने समय-समय पर देश के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर किया है, लेकिन इन जांबाजों की याद में जिले में एक भी शहीद स्थल नहीं बनाया गया है. 1971 का युद्ध हो या कारगिल समेत सेना के कई बड़े ऑपरेशन में उत्तरकाशी के बहादुर बेटों ने अपनी शहादत दी है. पूर्व सैनिक कल्याण बोर्ड के मुताबिक जिले से 10 मिलिट्री और दो पैरामिलिट्री के जवानों ने देश की रक्षा के लिए शहादत दी. लेकिन शहीदों के बलिदान के सम्मान और उनके परिजनों के लिए सुविधाओं का अभाव आज भी बकरार है.


जिले में रणबांकुरों ने देश की रक्षा के लिए 1971 से लेकर ऑपरेशन रक्षक जैसे कई महत्वपूर्ण ऑपरेशनों में अपनी जान की बाजी लगाई है, लेकिन आज भी इन रणबांकुरों के सम्मान में जिले में सरकार के हीलाहवाली के चलते शहीद स्थल नहीं बनाया गया है. ऐसे में शहीदों और उनके परिजनों को सम्मान नहीं मिल पा रहा है. जबकि पूर्व सैनिक संगठन लगातार इस मांग को लेकर शासन-प्रशासन से कई बार गुहार लगा चुके हैं. बावजूद इसके सरकार कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं कर पाई है.

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उत्तरकाशी शहीद सम्मारक की मांग.


वहीं, मेजर आरएस जमनाल (रिटा.) का कहना है कि पहले जो भूमि शहीद स्थल के लिए मिली थी. वह आपदा की भेंट चढ़ गई है, लेकिन अब सरकार की ओर से शहीद स्थल के लिए किसी प्रकार की भूमि नहीं दी गई है. जिससे शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए परिजनों को भटकना पड़ता है.

उत्तरकाशी के वीर सपूतों की शहादतः

  1. शहीद गार्डसमैन सुंदर सिंह, 13 बटालियन ब्रिगेड ऑफ गार्ड- 25 अक्टूबर 1971 (शहादत दिवस), भारत-पाक युद्ध. गांव- पटारा, तहसील-डुंडा.
  2. शहीद सिपाही मुरारी लाल, 14 गढ़वाल राइफल- 27 अप्रैल 1995, ऑपरेशन रक्षक, गांव-लदाड़ी, तहसील-भटवाड़ी.
  3. शहीद राइफलमैन दिनेश चंद्र कुंमाई, 10 गढ़वाल राइफल- 29 जून 1999, ऑपरेशन विजय, गांव-सर्प, तहसील-चिन्यालीसौड़.
  4. शहीद हवलदार मोहन लाल, 5 गढ़वाल राइफल- 2 जून 2000, ऑपेरशन रक्षक, गांव-धरासू, तहसील-चिन्यालीसौड़.
  5. शहीद मेजर अर्जुन परमार, 11 कुमाऊं रेजिमेंट- 19 अगस्त 2002, ऑपेरशन पराक्रम, गांव- सर्प, तहसील-चिन्यालीसौड़.
  6. शहीद हवलदार अतोल पंवार, सेना मेडल शौर्य चक्र (मरणोपरांत), 16 गढ़वाल राइफल- 18 जून 2005, ऑपरेशन रेहनु, गांव- खालसी, तहसील-चिन्यालीसौड़.
  7. शहीद राइफलमैन दिनेश कुमार, 14 गढ़वाल राइफल- 2 अगस्त 1999, ऑपेरशन रक्षक, गांव- गमरी, तहसील-मोरी.
  8. शहीद सिपाही राकेश चौहान, बीईजी- 19 सितंबर 2003, ऑपरेशन रक्षक, गांव- गोकुल, तहसील मोरी.
  9. शहीद राइफलमैन विपिन शाह, 11 गढ़वाल राइफल- 1 जुलाई 2005, ऑपेरशन हिफाजत, गांव- बन्द्राणी, तहसील-भटवाड़ी.
  10. शहीद राइफलमैन हमीर सिंह पोखरियाल- 7 जून 2018, ऑपरेशन रक्षक, गांव-पोखरियाल गांव, तहसील-डुंडा.
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पैरा मिलिट्री फोर्स के शहीदः

  1. शहीद आशाराम जगूड़ी, आईटीबीपी- 1999 में शहीद, गांव-पोल गांव, तहसील-बड़कोट.
  2. शहीद मोहन लाल रतूड़ी, सीआरपीएफ- 14 फरवरी 2018, पुलवामा हमला, गांव-बनकोट, तहसील- चिन्यालीसौड़.

उत्तरकाशीः देवभूमि की गौरवशाली पृष्ठभूमि में शहीदों का एक समृद्ध इतिहास रहा है. यहां के रणबांकुरों ने समय-समय पर देश के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर किया है, लेकिन इन जांबाजों की याद में जिले में एक भी शहीद स्थल नहीं बनाया गया है. 1971 का युद्ध हो या कारगिल समेत सेना के कई बड़े ऑपरेशन में उत्तरकाशी के बहादुर बेटों ने अपनी शहादत दी है. पूर्व सैनिक कल्याण बोर्ड के मुताबिक जिले से 10 मिलिट्री और दो पैरामिलिट्री के जवानों ने देश की रक्षा के लिए शहादत दी. लेकिन शहीदों के बलिदान के सम्मान और उनके परिजनों के लिए सुविधाओं का अभाव आज भी बकरार है.


जिले में रणबांकुरों ने देश की रक्षा के लिए 1971 से लेकर ऑपरेशन रक्षक जैसे कई महत्वपूर्ण ऑपरेशनों में अपनी जान की बाजी लगाई है, लेकिन आज भी इन रणबांकुरों के सम्मान में जिले में सरकार के हीलाहवाली के चलते शहीद स्थल नहीं बनाया गया है. ऐसे में शहीदों और उनके परिजनों को सम्मान नहीं मिल पा रहा है. जबकि पूर्व सैनिक संगठन लगातार इस मांग को लेकर शासन-प्रशासन से कई बार गुहार लगा चुके हैं. बावजूद इसके सरकार कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं कर पाई है.

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उत्तरकाशी शहीद सम्मारक की मांग.


वहीं, मेजर आरएस जमनाल (रिटा.) का कहना है कि पहले जो भूमि शहीद स्थल के लिए मिली थी. वह आपदा की भेंट चढ़ गई है, लेकिन अब सरकार की ओर से शहीद स्थल के लिए किसी प्रकार की भूमि नहीं दी गई है. जिससे शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए परिजनों को भटकना पड़ता है.

उत्तरकाशी के वीर सपूतों की शहादतः

  1. शहीद गार्डसमैन सुंदर सिंह, 13 बटालियन ब्रिगेड ऑफ गार्ड- 25 अक्टूबर 1971 (शहादत दिवस), भारत-पाक युद्ध. गांव- पटारा, तहसील-डुंडा.
  2. शहीद सिपाही मुरारी लाल, 14 गढ़वाल राइफल- 27 अप्रैल 1995, ऑपरेशन रक्षक, गांव-लदाड़ी, तहसील-भटवाड़ी.
  3. शहीद राइफलमैन दिनेश चंद्र कुंमाई, 10 गढ़वाल राइफल- 29 जून 1999, ऑपरेशन विजय, गांव-सर्प, तहसील-चिन्यालीसौड़.
  4. शहीद हवलदार मोहन लाल, 5 गढ़वाल राइफल- 2 जून 2000, ऑपेरशन रक्षक, गांव-धरासू, तहसील-चिन्यालीसौड़.
  5. शहीद मेजर अर्जुन परमार, 11 कुमाऊं रेजिमेंट- 19 अगस्त 2002, ऑपेरशन पराक्रम, गांव- सर्प, तहसील-चिन्यालीसौड़.
  6. शहीद हवलदार अतोल पंवार, सेना मेडल शौर्य चक्र (मरणोपरांत), 16 गढ़वाल राइफल- 18 जून 2005, ऑपरेशन रेहनु, गांव- खालसी, तहसील-चिन्यालीसौड़.
  7. शहीद राइफलमैन दिनेश कुमार, 14 गढ़वाल राइफल- 2 अगस्त 1999, ऑपेरशन रक्षक, गांव- गमरी, तहसील-मोरी.
  8. शहीद सिपाही राकेश चौहान, बीईजी- 19 सितंबर 2003, ऑपरेशन रक्षक, गांव- गोकुल, तहसील मोरी.
  9. शहीद राइफलमैन विपिन शाह, 11 गढ़वाल राइफल- 1 जुलाई 2005, ऑपेरशन हिफाजत, गांव- बन्द्राणी, तहसील-भटवाड़ी.
  10. शहीद राइफलमैन हमीर सिंह पोखरियाल- 7 जून 2018, ऑपरेशन रक्षक, गांव-पोखरियाल गांव, तहसील-डुंडा.
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पैरा मिलिट्री फोर्स के शहीदः

  1. शहीद आशाराम जगूड़ी, आईटीबीपी- 1999 में शहीद, गांव-पोल गांव, तहसील-बड़कोट.
  2. शहीद मोहन लाल रतूड़ी, सीआरपीएफ- 14 फरवरी 2018, पुलवामा हमला, गांव-बनकोट, तहसील- चिन्यालीसौड़.
Intro:उत्तरकाशी। उत्तरकाशी का देवभूमि के साथ ही अपना एक समृद्ध इतिहास रहा है। यहां के रणबाकुरों ने समय- समय पर देश के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर किया है। लेकिन इसे दुर्भाग्य ही कहेंगे कि आज इन शहीदों को याद करने के लिए जनपद में एक शहीद स्थल तक नहीं है। 1971 का युद्ध हो या करगिल सहित सेना के सभी बड़े आपरेशन में उत्तरकाशी के बहादुर बेटों ने अपनी शहादत दी है। पूर्व सैनिक कल्याण बोर्ड की जानकारी के अनुसार उत्तरकाशी जनपद के 10 मिलिट्री और 2 पैरा मिलिट्री के जवानों ने देश की रक्षा के लिए अपनी शहादत दी है। लेकिन शहीदों के बलिदान के अनुसार उनके परिजनों के लिए सुविधाओ का आभाव आज भी बना हुआ है।


Body:वीओ- 1, उत्तरकाशी जनपद की बात करें, तो यहां के रणबाकुरों ने देश की रक्षा के लिए 1971 से लेकर आपरेशन रक्षक जैसे महत्वपूर्ण ऑपरेशनों में अपनी जान की बाजी लगाई है। लेकिन आज भी जनपद के रणबाकुरों के सम्मान में जनपद में शासन प्रशासन ने शहीद स्थल बनाने की जहमत नहीं उठाई है। जबकि पूर्व सैनिक संगठन के पूर्व सैनिक लगातार इस मांग को लेकर शासन प्रशासन गुहार लगा चुके हैं । लेकिन कोई सकारात्मक कार्यवाही नहीं हो रही है। (रिटा.) मेजर आरएस जमनाल का कहना है कि पहले जो भूमि शहीद स्थल के लिए मिली थी। वह आपदा की भेंट चढ़ गई थी। लेकिन अब शासन प्रशासन की और से शहीद स्थल के लिए किसी प्रकार की भूमि नहीं दी गयी है। जिससे की शहीदों श्रधांजलि देने के लिए दर-दर भटकना पड़ता है।


Conclusion:वीओ-2, उत्तरकाशी के वीर सपूतों की शहादत। 1. शहीद गार्ड्समेंन सुंदर सिंह,13 बटालियन ब्रिगेड ऑफ गार्ड- 25 अकटुबर 1971(शहादत दिवस), भारत पाक युद्ध।( गांव- पटारा,तहसील डुंडा)। 2. शहीद सिपाही मुरारी लाल, 14 गढ़वाल राइफल- 27 अप्रैल 1995, ऑपरेशन रक्षक ( गांव- लदाड़ि, तहसील भटवाड़ी)। 3. शहीद राइफलमैन दिनेश चन्द्र कुमाई, 10 गढ़वाल राइफल- 29 जून 1999,ऑपरेशन विजय( गांव- सर्प,तहसील चिन्यालीसौड़)।। 4. शहीद हवलदार मोहन लाल, 5 गढ़वाल राइफल- 2 जून 2000,ऑपेरशन रक्षक( गांव- धरासू,चिन्यालीसौड़। 5. शहीद मेजर अर्जुन परमार, 11 कुमाऊँ रेजिमेंट- 19 अगस्त 2002, ऑपेरशन पराक्रम( गांव- सर्प,चिन्यालीसौड़) 6- शहीद हवलदार अतोल पंवार,सेना मेडल शौर्य चक्र( मरणोपरांत), 16 गढ़वाल राइफल- 18 जून 2005, ऑपरेशन रेहनु( गांव - खालसी चिन्यालीसौड़)। 7. शहीद राइफलमैन दिनेश कुमार,14 गढ़वाल राइफल- 2 अगस्त 1999, ऑपेरशन रक्षक( गांव- गमरी,तहसील मोरी)।। 8. शहीद सिपाही राकेश चौहान,बीईजी- 19 सितम्बर 2003,ऑपरेशन रक्षक( गांव- मोरी,तहसील मोरी) 9. शहीद राइफलमैन विपिन शाह, 11 गढ़वाल राइफल- 1 जुलाई 2005,ऑपेरशन हिफाजत( गांव- बन्द्राणी, भटवाड़ी)। 10. शहीद राइफलमैन हमीर सिंह पोखरियाल- 7 जून 2018,ऑपरेशन रक्षक( गांव- पोखरियाल गांव,डुंडा)। पैरा मिलिट्री फ़ोर्स के शहीद। 1- शहीद आशाराम जगूड़ी, आईटीबीपी- 1999 में शहीद( गांव- पोल गाँव, तहसील- बड़कोट। 2- शहीद मोहन लाल रतूड़ी, सीआरपीएफ- 14 फरवरी 2018 पुलवामा हमला(गांव- बनकोट,तहसील- चिन्यालीसौड़)। बाईट- मेजर आरएस जमनाल,सरंक्षक पूर्व सैनिक संगठन। बाईट- अमरा देवी,शहीद सुंदर सिंह की पत्नी। ( अमरा देवी की बाईट मेल से भेजी है। )
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