उत्तरकाशी: केंद्र और राज्य सरकार की ओर से बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं और सुरक्षित मातृत्व के लिए कई प्रकार की योजनाएं चला रही हैं. साथ ही इन योजनाओं पर हर वर्ष करोड़ों का बजट खर्च किया जा रहा है. इसी क्रम में अस्पताल से घर तक जच्चा-बच्चा को पहुंचाने के लिए वाहन सुविधा के रूप में खुशियों की सवारी योजना शुरू की गई थी, जो कि सीमान्त जनपद के जिला महिला अस्पताल में दम तोड़ती नजर आ रही है.
यहां स्थिति इतनी बदहाल है कि जिला महिला अस्पताल की खुशियों की सवारी का एक वाहन स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी के चलते कबाड़ में तब्दील हो चुका है. वहीं, दूसरा वाहन एक साल से जिला महिला अस्पताल के सामने शो-पीस बनकर खड़ा है. जिसके कारण जच्चा-बच्चा को घर तक पहुंचाने की ये योजना केवल कागजों तक ही सिमट कर रह गई है. धरातल पर बस विभाग के खड़े खराब वाहन ही नजर आते हैं, जो कि विभागीय असफलताओं की तस्दीक करते हैं.
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सीमान्त जनपद का जिला महिला अस्पताल, उत्तरकाशी जनपद की हजारों महिलाओं सहित पड़ोस के टिहरी जनपद के लम्बगांव क्षेत्र की प्रसव और अन्य उपचार का एकमात्र जरिया है. मगर, दुर्भाग्य है कि यहां भी सुविधाओं और योजनाओं के नाम पर महज हवाई बातें हैं. यहां भी स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर हर वर्ष करोड़ों का बजट खर्च किया जाता है, लेकिन उसके बाद भी एक साल से जच्चा-बच्चा को सुरक्षित घर पहुंचाने वाले वाहन के लिए तेल उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. जिसके कारण इस वाहनों के पहियों पर ब्रेक लगा हुआ है.
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दूरस्थ क्षेत्रों के जच्चा-बच्चा को सुरक्षित घर पहुंचाने के लिए निजी वाहन और एम्बुलेंस के लिए दर-दर भटकना पड़ता है. इन सब समस्याओं के बाद भी स्वास्थ्य विभाग के नीति नियंताओं की नींद नहीं टूट रही है.
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वहीं, बदहाली के आंसू रो रही खुशियों की सवारी के बारे में डीएम मयूर दीक्षित का कहना है कि जिला प्रशासन का प्रयास है कि खुशियों की सवारी वाहन को स्थानीय बजट खर्च कर सुचारू किया जाये. जिससे जच्चा- बच्चा को परेशानियों का सामना न करना पड़े. मगर शासन-प्रशासन ये कब करेगा ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा.