उत्तरकाशी: भगवान शिव के महापर्व शिवरात्रि के लेकर भोले की नगरी उत्तरकाशी में पूरी तैयारी हो चुकी है. फाल्गुन माह की त्रयोदशी को शिवरात्रि मनाई जाती है. इस दौरान भोलेनाथ का बाबा काशी विश्वनाथ मंदिर में चार पहर अभिषेक किया जाता है. मान्यता है कि महाशिवरात्रि पर जो भक्त बाबा काशी विश्वनाथ से सन्तान प्राप्ति की कामना करता है उसकी हर मनोकामना पूरी होती है.
केदारखंड के स्कन्दपुराण में वर्णन है कि 'इदम तदम काशी मत पुरी भेद वर्जयते' अर्थात वाराणसी की काशी और उत्तरकाशी में किसी प्रकार का अंतर नहीं है. बाबा काशी विश्वनाथ के महंत अजय पुरी के अनुसार भगवान शिव ने सतयुग में ही भविष्यवाणी कर दी थी. जब कलयुग में वाराणसी की काशी शापित होगी. उस समय भगवान हिमालय में अपना स्थान बनाएंगे.
पुराणों के अनुसार, कलयुग में भगवान शिव ने स्वयं वरुणा और अस्सी गंगा के बीच वरुणावत पर्वत की तलहटी में शिव नगरी उत्तरकाशी को बसाया था. मान्यता है कि भगवान शिव ने स्वयं इस काशी का निर्माण किया था. इसलिए इस काशी में मोक्ष और ज्ञान एक साथ मिलता है.
बता दें कि शिवरात्रि को उत्तरकाशी में महापर्व के रूप में मनाया जाता है. बाबा काशी विश्वनाथ मंदिर को शिवरात्रि के लिए भव्य रूप से सजाया गया है. भक्तों के लिए जलाभिषेक का मुहूर्त सुबह साढ़े 3 बजे से शुरू होगा. वहीं, शिवरात्रि के मौके पर उत्तरकाशी में आयोजित होने वाली शिव बारात में शामिल होने के लिए देश-विदेश के श्रद्धालु उत्तरकाशी पहुंचते हैं.