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शिवरात्रि के लिए सजा बाबा काशी विश्वनाथ का दरबार, यहां साक्षात विराजमान हैं भोलेनाथ

पुराणों के अनुसार, कलयुग में भगवान शिव ने स्वयं वरुणा और अस्सी गंगा के बीच वरुणावत पर्वत की तलहटी में शिव नगरी उत्तरकाशी को बसाया था. मान्यता है कि भगवान शिव ने स्वयं इस काशी का निर्माण किया था.

शिवरात्रि
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Published : Mar 3, 2019, 7:57 PM IST

Updated : Mar 4, 2019, 12:03 AM IST

उत्तरकाशी: भगवान शिव के महापर्व शिवरात्रि के लेकर भोले की नगरी उत्तरकाशी में पूरी तैयारी हो चुकी है. फाल्गुन माह की त्रयोदशी को शिवरात्रि मनाई जाती है. इस दौरान भोलेनाथ का बाबा काशी विश्वनाथ मंदिर में चार पहर अभिषेक किया जाता है. मान्यता है कि महाशिवरात्रि पर जो भक्त बाबा काशी विश्वनाथ से सन्तान प्राप्ति की कामना करता है उसकी हर मनोकामना पूरी होती है.

केदारखंड के स्कन्दपुराण में वर्णन है कि 'इदम तदम काशी मत पुरी भेद वर्जयते' अर्थात वाराणसी की काशी और उत्तरकाशी में किसी प्रकार का अंतर नहीं है. बाबा काशी विश्वनाथ के महंत अजय पुरी के अनुसार भगवान शिव ने सतयुग में ही भविष्यवाणी कर दी थी. जब कलयुग में वाराणसी की काशी शापित होगी. उस समय भगवान हिमालय में अपना स्थान बनाएंगे.

शिवरात्रि के लिए सजा बाबा काशी विश्वनाथ का दरबार.

पुराणों के अनुसार, कलयुग में भगवान शिव ने स्वयं वरुणा और अस्सी गंगा के बीच वरुणावत पर्वत की तलहटी में शिव नगरी उत्तरकाशी को बसाया था. मान्यता है कि भगवान शिव ने स्वयं इस काशी का निर्माण किया था. इसलिए इस काशी में मोक्ष और ज्ञान एक साथ मिलता है.

बता दें कि शिवरात्रि को उत्तरकाशी में महापर्व के रूप में मनाया जाता है. बाबा काशी विश्वनाथ मंदिर को शिवरात्रि के लिए भव्य रूप से सजाया गया है. भक्तों के लिए जलाभिषेक का मुहूर्त सुबह साढ़े 3 बजे से शुरू होगा. वहीं, शिवरात्रि के मौके पर उत्तरकाशी में आयोजित होने वाली शिव बारात में शामिल होने के लिए देश-विदेश के श्रद्धालु उत्तरकाशी पहुंचते हैं.

उत्तरकाशी: भगवान शिव के महापर्व शिवरात्रि के लेकर भोले की नगरी उत्तरकाशी में पूरी तैयारी हो चुकी है. फाल्गुन माह की त्रयोदशी को शिवरात्रि मनाई जाती है. इस दौरान भोलेनाथ का बाबा काशी विश्वनाथ मंदिर में चार पहर अभिषेक किया जाता है. मान्यता है कि महाशिवरात्रि पर जो भक्त बाबा काशी विश्वनाथ से सन्तान प्राप्ति की कामना करता है उसकी हर मनोकामना पूरी होती है.

केदारखंड के स्कन्दपुराण में वर्णन है कि 'इदम तदम काशी मत पुरी भेद वर्जयते' अर्थात वाराणसी की काशी और उत्तरकाशी में किसी प्रकार का अंतर नहीं है. बाबा काशी विश्वनाथ के महंत अजय पुरी के अनुसार भगवान शिव ने सतयुग में ही भविष्यवाणी कर दी थी. जब कलयुग में वाराणसी की काशी शापित होगी. उस समय भगवान हिमालय में अपना स्थान बनाएंगे.

शिवरात्रि के लिए सजा बाबा काशी विश्वनाथ का दरबार.

पुराणों के अनुसार, कलयुग में भगवान शिव ने स्वयं वरुणा और अस्सी गंगा के बीच वरुणावत पर्वत की तलहटी में शिव नगरी उत्तरकाशी को बसाया था. मान्यता है कि भगवान शिव ने स्वयं इस काशी का निर्माण किया था. इसलिए इस काशी में मोक्ष और ज्ञान एक साथ मिलता है.

बता दें कि शिवरात्रि को उत्तरकाशी में महापर्व के रूप में मनाया जाता है. बाबा काशी विश्वनाथ मंदिर को शिवरात्रि के लिए भव्य रूप से सजाया गया है. भक्तों के लिए जलाभिषेक का मुहूर्त सुबह साढ़े 3 बजे से शुरू होगा. वहीं, शिवरात्रि के मौके पर उत्तरकाशी में आयोजित होने वाली शिव बारात में शामिल होने के लिए देश-विदेश के श्रद्धालु उत्तरकाशी पहुंचते हैं.

Intro:उत्तरकाशी। केदारखंड के स्कन्दपुराण में वर्णन है कि इदम तदम काशी मत पुरी भेद वर्जयते। अर्थात वाराणसी की काशी और उत्तरकाशी में किसी प्रकार का अंतर नहीं है। पुराणों के अनुसार बाबा काशी विश्वनाथ के महंत अजय पुरी के अनुसार भगवान शिव ने सतयुग में ही भविष्यवाणी कर दी थी। जब कलयुग में वाराणासी की काशी शापित होगी। उस समय भगवान हिमालय में अपना स्थान बनाएंगे। जिसके बाद कलयुग में भगवान शिव ने स्वयं वरुणा और अस्सी गंगा के बीच वरुणावत पर्वत की तलहटी में शिव नगरी उत्तरकाशी को बसाया। कहा जाता है कि भगवान शिव ने स्वयं इस काशी का निर्माण किया था। इसलिए इस काशी में मोक्ष और ज्ञान एक साथ मिलता है।


Body:वीओ- 1, भगवान शिव के महापर्व शिवरात्रि को लेकर भोले की नगरी में पूरी तैयारी हो चुकी है। भगवान शिव के पर्व शिवरात्रि को फाल्गुन माह की त्रयोदशी को मनाया जाता है। भगवान शिव का बाबा काशी विश्वनाथ मंदिर में चार प्रहर अभिषेक किया जाता है। वहीं भक्तों के लिए जलाभिषेक का मुहूर्त सुबह साढ़े 3 बजे से शुरू होगा। कहा जाता है कि महाशिवरात्रि पर जो भी भक्त बाबा काशी विश्वनाथ से सन्तान प्राप्ति की कामना करता है। उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है। साथ ही अन्य इच्छाएं भी भगवान शिव एक जलाभिषेक से पूर्ण करते हैं। कहते हैं कि जो भी बाबा काशी विश्वनाथ की चौखट से कभी कोई भक्त निराश नहीं लौटा है।


Conclusion:वीओ- 2, शिवरात्रि को उत्तरकाशी में महापर्व के रूप में मनाया जाता है। जहाँ पर देश विदेश के श्रद्धालु शिबरात्री के मोके पर उत्तरकाशी में आयोजित होने वाली शिवबारात में शामिल होने के लिए यहां पहुंचते हैं। शिबरात्री के लिए बाबा काशी विश्वनाथ को पूरी तरह सजा दिया गया है। साथ ही शिवबारात में स्थानीय ग्रामीण स्थानीय वेशभूषाओं के साथ पहुंचते हैं। शिवबारात रामलीला मैदान से शुरू होते हैं। जिसमे सोमवार को हजारो की संख्या में लोग जुटते हैं और भोलेनाथ का आशीर्वाद लेते हैं।बाईट- अजय पुरी, महंत बाबा काशी विश्वनाथ मंदिर। पीटीसी- विपिन नेगी,उत्तरकाशी।
Last Updated : Mar 4, 2019, 12:03 AM IST
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