उत्तरकाशी: जनपद के भटवाड़ी विकासखंड के बारसू गांव में पिछले 6 सालों से ट्राउट मछली का उत्पादन किया जा रहा है.वहीं, इस बार मत्स्य विभाग की ओर बारसू गांव के मत्स्य उत्पादन कर रहे काश्तकार को पहली बार नार्वे से लाए गए आईड एग ट्राउट मछली के उत्पादन के लिए दिए गए हैं. जिसके लिए बारसू में छोटी हैचरी का निर्माण भी किया गया है. इससे पहले काश्तकारों को स्वीप फ्राई दी जाती थी.
बारसू गांव के युवा मत्स्य काश्तकार कपिल रावत का कहना है कि आईड एग मिलने से ट्राउट मछली का उत्पादन में बढोत्तरी होगी. कपिल ट्राउट मछली के उत्पादन से हर महीने 50 से 60 हजार की कमाई करते हैं.
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कपिल रावत ने बताया कि 2015 में उनके पिता ने मत्स्य विभाग के सहयोग से गांव में ट्राउट मछली का उत्पादन शुरू किया था. उसके बाद पिछले 3 सालों से वह अपने पिता के इस नवीन प्रयोग को आगे बढ़ा रहे हैं. अब नॉर्वे डेनमार्क से मत्स्य विभाग की मदद से रैनबो ट्राउट के बीज मंगवाकर उत्पादन कर रहे हैं. वर्तमान में वह 12 क्विंटल ट्राउट का उत्पादन कर रहे हैं. जिसके उत्पादन से वह बाजार में 800 प्रति किलो ट्राउट बेच रहे हैं. जिससे उन्हें हर महीने 50 से 60 हजार की कमी होती है.
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कपिल रावत ने बताया इस बार पहली बार मत्स्य विभाग ने उन्हें हैचरी का निर्माण कर रैनबो ट्राउट के उत्पादन के लिए आईड एग दिए गए हैं, जो कि 15 से 20 दिन में उत्पादन के लिए तैयार हो जाएंगे. रावत ने बताया ट्राउट मछली के उत्पादन के लिए रनिंग वाटर चाहिए होता है.
अभी वह चार टैंकों में ट्राउट मछली का उत्पादन कर रहे हैं. मादा की अपेक्षा नर ट्राउट को बाजार में अधिक बेचा जाता है, क्योंकि मादा उत्पादन में सहयोग प्रदान करती है. साथ ही ट्राउट मछली के उत्पादन के लिए 5 डिग्री सेल्सियस से 19 डिग्री सेल्सियस का तापमान चाहिए होता है. 19 डिग्री से अधिक से तापमान में ट्राउट पर फंगस लगना शुरू हो जाता है.