उत्तरकाशी: उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है. यहां कण-कण में देवी-देवताओं से जुड़ी मान्यताएं और दंत कथाएं प्रचलित हैं. वहीं, इस देवभूमि में उत्तरकाशी जनपद का विशेष स्थान है. क्योंकि यहां पर गंगा-यमुना के साथ इसे कलयुग की काशी भी कहा जाता है.
मान्यता है कि कलयुग में भगवान शिव यहीं निवास करते हैं. ऐसी ही शिवनगरी में एक मंदिर यमुना घाटी में बसा है. जहां शिवरात्रि के मौके पर विशेष पूजा-अर्चना करने से संतान प्राप्ति की मनोकामना पूर्ण होती है. यमुनाघाटी के कुथनौर गांव में कैलू मानसीर देवता का मंदिर है, जिसे शिव स्वरूप में पूजा जाता है.
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शिवरात्रि को कैलू मानसीर देवता के मंदिर परिसर में शिव उत्सव मनाया जाता है. इस दिन यहां भव्य मेला का आयोजन भी किया जाता है. दूर-दराज से ग्रामीण इस मेले में शिरकत करते हैं. शिवरात्रि में निःसंतान महिलाएं दिन रात मंदिर में कैलू मानसीर देवता की विशेष पूजा अर्चना करती हैं. उस महिलाओं को संतान का आशीर्वाद मिल जाता है.
मंदिर पुजारी संदीप नौटियाल ने बताया कि शिवरात्रि पर यहां कैलू मानसीर देवता की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. इस मंदिर में शिवरात्रि पर दूर दराज गांव से ग्रामीण यहां आते हैं. यहां भव्य रूप से शिवरात्रि मनाई जाती है. इस दिन निसंतान दंपत्ति संतान प्राप्ति के लिए यहां पर आते हैं, जिससे उनको संतान सुख की प्राप्ति होती है.