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स्कूली सामान खरीद में अनियमितता, विभागीय अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल - पुरोला हिंदी समाचार

पुरोला विकासखंड में मॉडल स्कूल में स्कूली सामान खरीदने में खूब नियमों की अनदेखी की जा रही है. बताया जा रहा है कि जिस सामान की विद्यालय को आवश्यकता ही नहीं है, उसे भी खरीदा जा रहा है.

purola
स्कूली सामग्री खरीदने में हो रही नियमों की अनदेखी
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Published : Mar 3, 2020, 9:48 AM IST

पुरोला: शिक्षा विभाग प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को ढर्रे पर लाने के चाहे लाख दावे क्यों न करे लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है. पुरोला के विकासखंड में शिक्षा का स्तर लगातार बिगड़ता जा रहा है. यहां के विभागीय अधिकारी और कर्मचारी शिक्षा व्यवस्था को ठीक कराने के नाम पर स्कूलों को मिले बजट का बंदरबांट कर रहे हैं. बात अगर विकासखंड के मॉडल स्कूल की करें तो यहां स्कूली सामान और शिक्षा व्यवस्था सुधारने के नाम पर अनियमितता बरती जा रही है. वहीं, जिस सामान की स्कूल को आवश्यकता ही नहीं है, उसे भी खरीदा जा रहा है.

स्कूली सामान खरीद में अनियमितता.


पुरोला विकासखंड में करीब पांच मॉडल स्कूल संचालित हो रहे हैं, जिनमें राजकीय प्राथमिक विद्यालय ढकाडा, उदकोटी, उच्च प्राथमिक विद्यालय पुजेली, राजकिय इंटर कॉलेज पुरोला और हुडोली हैं. इन स्कूलों को आदर्श विद्यालय की श्रेणी में रखा गया है. साथ ही सरकार इन स्कूलों में वर्चुअल क्लास चलाने की योजना भी बना रही है. वहीं, इन विद्यालयों में भौतिक संसाधन जुटाकर उच्च कोटि की शिक्षा देने की योजना में सरकार एक कदम आगे बढ़ाने की तैयारी कर रही है. लेकिन विभागीय अधिकारी अपनी इन ओछी हरकतों से सरकारी योजनाओं को पलीता लगाने में जुटे हुए हैं.

ये भी पढ़ें: नियम विरुद्ध चलने वाले स्लॉटर हाउस मामले में हाई कोर्ट ने देहरादून डीएम से मांगा जवाब

उधर, आदर्श विद्यालय उद कोटी, ढकाडा और पुजेली में जहां क्रय समिति के अध्यक्ष खंड शिक्षा अधिकारी ने बिना किसी अनुमति के स्कूलों के लिए ऐसे सामान खरीद रहे हैं, जिसकी की स्कूलों को जरुरत ही नहीं है, या स्कूलों में वह सामान पहले ही उपलब्ध है. वहीं, जब यह सामान स्कूलों में पहुंचा, तो स्कूलों के अध्यापक और प्रधानाचार्य ये देख कर चौंक पड़े और इस खरीदी गई स्कूली सामग्री पर कई सवाल भी खड़े किए. उधर, इस मामले में अब क्रय समिति के अध्यक्ष व खंड शिक्षा अधिकारी की भूमिका संदेह के घेरे में है, जहां एक ओर खंड शिक्षा अधिकारी, क्रय समिति की भूमिका अहम मान रहे हैं तो वहीं, क्रय समिति के सदस्य मामले से अंजान बने हुए हैं.

ये भी पढ़ें: काशीपुर: गेहूं के खेत में मिले नवजात को लेने पहुंची बाल कल्याण समिति की टीम

ऐसे में अब ये सवाल उठना लाजमी है कि जब विभागीय अधिकारी ही अपने विभागीय नियमों को दर किनार कर काम करेंगे, तो सरकार की योजनाएं धरातल पर कैसे उतारेगी. वहीं, जो सरकार की आदर्श विद्यालय बनाने की जो योजना है, वो कैसे सफल हो पाएगी.

पुरोला: शिक्षा विभाग प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को ढर्रे पर लाने के चाहे लाख दावे क्यों न करे लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है. पुरोला के विकासखंड में शिक्षा का स्तर लगातार बिगड़ता जा रहा है. यहां के विभागीय अधिकारी और कर्मचारी शिक्षा व्यवस्था को ठीक कराने के नाम पर स्कूलों को मिले बजट का बंदरबांट कर रहे हैं. बात अगर विकासखंड के मॉडल स्कूल की करें तो यहां स्कूली सामान और शिक्षा व्यवस्था सुधारने के नाम पर अनियमितता बरती जा रही है. वहीं, जिस सामान की स्कूल को आवश्यकता ही नहीं है, उसे भी खरीदा जा रहा है.

स्कूली सामान खरीद में अनियमितता.


पुरोला विकासखंड में करीब पांच मॉडल स्कूल संचालित हो रहे हैं, जिनमें राजकीय प्राथमिक विद्यालय ढकाडा, उदकोटी, उच्च प्राथमिक विद्यालय पुजेली, राजकिय इंटर कॉलेज पुरोला और हुडोली हैं. इन स्कूलों को आदर्श विद्यालय की श्रेणी में रखा गया है. साथ ही सरकार इन स्कूलों में वर्चुअल क्लास चलाने की योजना भी बना रही है. वहीं, इन विद्यालयों में भौतिक संसाधन जुटाकर उच्च कोटि की शिक्षा देने की योजना में सरकार एक कदम आगे बढ़ाने की तैयारी कर रही है. लेकिन विभागीय अधिकारी अपनी इन ओछी हरकतों से सरकारी योजनाओं को पलीता लगाने में जुटे हुए हैं.

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उधर, आदर्श विद्यालय उद कोटी, ढकाडा और पुजेली में जहां क्रय समिति के अध्यक्ष खंड शिक्षा अधिकारी ने बिना किसी अनुमति के स्कूलों के लिए ऐसे सामान खरीद रहे हैं, जिसकी की स्कूलों को जरुरत ही नहीं है, या स्कूलों में वह सामान पहले ही उपलब्ध है. वहीं, जब यह सामान स्कूलों में पहुंचा, तो स्कूलों के अध्यापक और प्रधानाचार्य ये देख कर चौंक पड़े और इस खरीदी गई स्कूली सामग्री पर कई सवाल भी खड़े किए. उधर, इस मामले में अब क्रय समिति के अध्यक्ष व खंड शिक्षा अधिकारी की भूमिका संदेह के घेरे में है, जहां एक ओर खंड शिक्षा अधिकारी, क्रय समिति की भूमिका अहम मान रहे हैं तो वहीं, क्रय समिति के सदस्य मामले से अंजान बने हुए हैं.

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ऐसे में अब ये सवाल उठना लाजमी है कि जब विभागीय अधिकारी ही अपने विभागीय नियमों को दर किनार कर काम करेंगे, तो सरकार की योजनाएं धरातल पर कैसे उतारेगी. वहीं, जो सरकार की आदर्श विद्यालय बनाने की जो योजना है, वो कैसे सफल हो पाएगी.

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