उत्तरकाशी: भटवाड़ी विकासखंड के दूरस्थ गांव कुज्जन से 4,304 मीटर की ऊंचाई पर स्थित गिडारा बुग्याल के लिए करीब 10 किमी के ट्रैक का आज शुभारंभ किया गया. ग्राम प्रधान महेश पंवार ने होबो ट्रैकिंग एजेंसी की ओर से कोलकाता के 4 ट्रैकर्स को कुज्जन से गिडारा बुग्याल के लिए हरी झंडी दिखाकर रवाना किया.
ग्राम प्रधान का कहना है कि इस ट्रैक को विकसित करने का संघर्ष काम आया है. आज रोजगार की दिशा में ये अहम पहल है. ग्राम प्रधान महेश पंवार ने बताया कि दो दिन पहले कोलकाता के चार ट्रैकर्स स्थानीय होबो ट्रैकिंग एजेंसी के गाइड मनोज पंवार के साथ गांव में पहुंचे. जहां पर ग्रामीणों ने ट्रैकर्स का स्वागत किया. स्थानीय ट्रैकिंग एजेंसी के मनोज पंवार के नेतृत्व में कुज्जन गांव से गिडारा बुग्याल के लिए पहली बार 10 किमी ट्रैक की ट्रैकिंग का शुभारंभ किया गया. यह ट्रैक 5 से 6 दिन में पूरा होगा.
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इस ट्रैक में पर्यटक कुपडा, लंका, गेरू और उचलाडू जैसे खूबसूरत पड़ाव पार करने के बाद 4,304 मीटर की ऊंचाई पर स्थित खूबसूरत गिडारा बुग्याल पहुंचेंगे. इस ट्रैक को विकसित करने के लिए ग्रामीण लम्बे समय से प्रयासरत थे. आज ग्रामीणों का यह सपना साकार होने जा रहा है. साथ ही इससे गांव के युवाओं के लिए भी रोजगार के नए आयाम स्थापित होंगे.
बता दें गिडारा बुग्याल समुद्र तल से तकरीबन तीन हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. इस ट्रैक के शुरू होने से यह क्षेत्र पर्यटन सर्किट से जुड़ पाएगा. गिडारा व दयारा बुग्याल आस-पास ही हैं. दयारा बुग्याल का ट्रैक रैथल या फिर बार्सू गांव से है. गिडारा बुग्याल का ट्रैक भंगेली गांव से होकर जाता है.
उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से भंगेली गांव 55 किलोमीटर है. इस गांव से 10 किलोमीटर का ट्रैक गिडारा बुग्याल के लिए है. लेकिन, आज तक प्रचार-प्रसार के अभाव में गिडारा बुग्याल पर्यटकों की पहुंच से दूर था. अब इस ट्रैक के शुरू होने से यहां के दिन बहुरेंगे ऐसी उम्मीद है.
क्या होते हैं बुग्याल: उत्तराखण्ड के गढ़वाल हिमालय में हिम शिखरों की तलहटी में जहां टिम्बर रेखा (यानी पेड़ों की पंक्तियां) समाप्त हो जाती हैं, वहां से हरे मखमली घास के मैदान आरम्भ होने लगते हैं. आमतौर पर ये 8 से 10 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित होते हैं. गढ़वाल हिमालय में इन मैदानों को बुग्याल कहा जाता है.
हिम रेखा और वृक्ष रेखा के बीच होते हैं बुग्याल: बुग्याल हिम रेखा और वृक्ष रेखा के बीच का क्षेत्र होता है. स्थानीय लोगों और मवेशियों के लिए ये चरागाह का काम देते हैं तो बंजारों, घुमन्तुओं और ट्रैकिंग के शौकीनों के लिए आराम की जगह व कैम्पसाइट का. गर्मियों की मखमली घास पर सर्दियों में जब बर्फ की सफेद चादर बिछ जाती है तो ये बुग्याल स्कीइंग और अन्य बर्फानी खेलों का अड्डा बन जाते हैं.
घुमक्कड़ों के लिए आदर्श जगह: गढ़वाल के लगभग हर ट्रैकिंग रूट पर इस प्रकार के बुग्याल मिल जाएंगे. कई बुग्याल तो इतने लोकप्रिय हो चुके हैं कि अपने आप में पर्यटकों का आकर्षण बन चुके हैं. जब बर्फ पिघल चुकी होती है तो बरसात में नहाए वातावरण में हरियाली छाई रहती है. पर्वत और घाटियां भांति-भांति के फूलों और वनस्पतियों से लकदक रहती हैं. अपनी विविधता, जटिलता और सुंदरता के कारण ही ये बुग्याल घुमक्कड़ी के शौकीनों के लिए हमेशा से आकर्षण का केन्द्र रहे हैं. मीलों तक फैले मखमली घास के इन ढलुआ मैदानों पर विश्वभर से प्रकृति प्रेमी सैर करने पहुंचते हैं.
हर मौसम में नया रंगा दिखाते हैं बुग्याल: इनकी सुंदरता यही है कि हर मौसम में इन पर नया रंग दिखता है. बरसात के बाद इन ढलुआ मैदानों पर जगह-जगह रंग-बिरंगे फूल खिल आते हैं. बुग्यालों में पौधे एक निश्चित ऊंचाई तक ही बढ़ते हैं. जलवायु के अनुसार ये अधिक ऊंचाई वाले नहीं होते. यही कारण है कि इन पर चलना बिल्कुल गद्दे पर चलना जैसे लगता है.
कैसे पहुंचें बुग्याल का आनंद लेने: इन बुग्यालों तक पहुंचने के लिए आप देश के किसी भी कोने से बस या रेल से ऋषिकेश या कोटद्वार पहुंच सकते हैं. ऋषिकेश और कोटद्वार पहुंचकर आप बस या टैक्सी से चमोली, टिहरी और उत्तरकाशी पहुंच सकते हैं. आप हवाई मार्ग से भी ऋषिकेश के निकट जौलीग्रांट हवाई अड्डा उतर सकते हैं. इन छोटे पहाड़ी नगरों तक पहुंचने के लिए बस या टैक्सी सरलता से मिल जाती हैं. इन छोटे पहाड़ी नगरों में पहुंच कर आप यहा के परिवेश के बारे में जानकारी ले सकते हैं. इन्हीं जगहों से ट्रैकिंग के द्वारा बुग्यालों की स्वप्निल दुनिया की सैर की जाती है. यह रोमांच की यात्रा है.
कब आएं बुग्यालों की सैर पर: इन क्षेत्रों में बारिश के मौसम में जाना ठीक नहीं है. हरियाली और फूलों का मजा लेना हो तो मई-जून का समय सबसे बढ़िया है. सितंबर-अक्टूबर में बारिश के बाद पूरी प्रकृति धुली-धुली सी लगती है. इस समय तक बुग्यालों का रंग बदल चुका होता है. उसके बाद बर्फ पड़नी आरंभ हो जाती है. कई रास्ते बंद हो जाते हैं तो कई बुग्याल स्कीइंग के द्वारा सर्दियों में भी अपनी रौनक बनाए रहते हैं. मौसम के अनुसार ही आपको भी अपनी तैयारी करनी होगी.