उत्तरकाशी: हर्षिल घाटी के सेब काश्तकारों ने देहरादून में 24 सितंबर से आयोजित होने जा रहे अंतरराष्ट्रीय सेब महोत्सव का विरोध शुरू कर दिया है. सेब काश्तकारों का कहना है कि प्रदेश सरकार की उपेक्षा के चलते हर्षिल घाटी के सेब काश्तकारों को नुकसान उठाना पड़ रहा है. सेब काश्तकारों का कहना है कि हर्षिल वैली के झाला में 2017 में 8 करोड़ की लागत से बना कोल्ड स्टोरेज बंद पड़ा है. सेब की तुड़ान शुरू हो गई है लेकिन कोल्ड स्टोरेज बंद होने के कारण काश्तकारों को सेब के दाम नहीं मिल पा रहे हैं.
हर्षिल घाटी के सेब काश्तकारों ने अंतरराष्ट्रीय सेब महोत्सव में हर्षिल घाटी के सेब नहीं देने का निर्णय लिया है. काश्तकारों के निर्णय के बाद जिला उद्यान अधिकारी डॉ. रजनीश ने सेब काश्तकारों के साथ बैठक की. उन्होंने बताया कि कोल्ड स्टोरेज के संचालन के लिए शासन को पत्राचार किया गया है लेकिन कुछ हल नहीं निकल पाया है.
सेब काश्तकारों ने सरकार की ओर से कोल्ड स्टोरेज को लेकर कोई निर्णय नहीं लिये जाने के कारण कृषि मंत्री के खिलाफ नारेबाजी की. साथ ही चेतावनी दी कि अगर 22 सितंबर शाम तक सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया तो हर्षिल घाटी के सभी सेब काश्तकार अंतरराष्ट्रीय सेब महोत्सव में नहीं जाएंगे.
हर्षिल घाटी के सेब काश्तकारों ने बताया कि उत्तरकाशी जनपद में प्रति वर्ष करीब 20 हजार मीट्रिक टन सेब का उत्पादन होता है, जिसमें से करीब 6 हजार मीट्रिक टन सेब का उत्पादन हर्षिल घाटी में होता है. इस साल मई माह में बर्फबारी होने के कारण कारण हर्षिल घाटी में उत्पादन पर असर पड़ा है. समय पर दवाइयां न मिलने और जंगली जानवरों ने भी सेब के उत्पादन को नुकसान पहुंचा है लेकिन उसके बाद भी प्रदेश सरकार हर्षिल घाटी के सेब काश्तकारों के साथ छलावा कर रही है.
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सेब काश्तकारों ने कहा कि पहले कोविड की मार और उसके बाद अब सरकार ने सेब काश्तकारों पर दोहरी मार मारकर उनकी आजीविका के साथ खिलवाड़ किया है. इस सम्बंध में जिला उद्यान अधिकारी डॉ रजनीश ने मीडिया के सामने कुछ भी बोलने से मना कर दिया.