उत्तरकाशीः गंगोत्री धाम मंदिर समिति ने नमामि गंगे योजना पर सवाल खड़े किए हैं. मंदिर समिति के अध्यक्ष ने कहा कि नमामि गंगा परियोजना का अर्थ क्या है अभी तक यह समझ से परे है. क्योंकि अभी तक न तो गंगा साफ हुई है और न ही घाटों की स्थिति सुधरी है.मंदिर समिति के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल का कहना है कि योजना से गंगा और उसके श्रद्धालुओं को अछूता रखा गया है.
आपदा के 6 वर्षों बाद भी अभी तक गंगोत्री धाम में गंगा स्नान घाटों का निर्माण नहीं हो पाया है. जिस कारण इन दिनों उफान पर बह रही गंगा में गंगोत्री धाम में श्रद्धालु जान जोखिम में डाल कर गंगा स्नान कर रहे हैं. बता दें कि साल 2012-13 की आपदा के दौरान गंगा के तेज उफान के बाद गंगोत्री धाम में सभी घाट तबाह हो गए थे.
तब से लेकर गंगा घाटों के निर्माण पर शासन प्रशासन सहित सिंचाई विभाग दर्जनों योजनाओं सहित हर वर्ष लाखों का खर्च कर लीपापोती कर रहा है, लेकिन घाटों की स्थिति में कोई बदलाव नहीं आ पाया है.
वहीं, विगत 6 वर्षों में मात्र घाटों पर कुछ लोहे की चैन सुरक्षा के लिए लगाई गईं हैं. जो कि इन दिनों गंगा के तेज उफान में डूब चुकी हैं और गंगोत्री धाम में श्रद्धालु जान जोखिम में डालकर गंगा स्नान कर रहे हैं. जो बरसात के दौरान जोखिम भरा हो सकता है.
यह भी पढ़ेंः प्रधानमंत्री तक पहुंची 'गैरसैंण' की गूंज, पीएमओ ने प्रदेश सरकार को लिखा पत्र
गंगोत्री धाम मंदिर समिति के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल का कहना है कि आपदा के बाद जब गंगोत्री धाम में घाट तबाह हो गए थे तब से लेकर लगातार गंगोत्री धाम में स्नान घाटों के निर्माण की मांग की जा रही है, लेकिन शासन-प्रशासन अभी तक अनदेखी कर रहा है.
सेमवाल का कहना है कि नमामि गंगे की योजना का अर्थ ही उन्हें अभी तक समझ नहीं आया है. जिस गंगा के नाम पर योजना बनाई गई है तो उसी योजना में गंगा के मुख्य धाम की अनदेखी की जा रही है.
साथ ही अब बरसाती मौसम भी शुरू हो गया है तो बरसात में गंगोत्री धाम में स्नान घाटों में खतरा और बढ़ सकता है. जबकि, पूर्व में हुए हादसों से अभी तक प्रशासन और सिंचाई विभाग की नींद नहीं टूट रही है.