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Uttarkashi Tunnel Accident: गबर सिंह बढ़ा रहे हौंसला, घटनास्थल पर ITBP तैनात, जानिए हादसे से जुड़ी खबरें - उत्तरकाशी टनल हादसा

Uttarkashi Tunnel Accident उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के सिलक्यारा में 7 राज्यों के 40 मजदूर पांच दिनों से फंसे हुए हैं. आज घटना का पांचवा दिन है, लेकिन अभी तक एक भी मजदूर को बाहर नहीं निकाला जा सका है. राहत की बात ये है कि अंदर गबर सिंह नेगी और सबा अहमद भी हैं. गबर सिंह नेगी इससे पहले भी टनल में फंस चुके हैं, ऐसे में वो अन्य लोगों का हौंसला हफजाई कर रहे हैं.

Uttarkashi Tunnel Accident
सिलक्यारा टनल में आईटीबीपी तैनात
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Nov 16, 2023, 8:42 PM IST

Updated : Nov 16, 2023, 9:11 PM IST

उत्तरकाशीः सिलक्यारा टनल में फंसे गबर सिंह नेगी और सबा अहमद अपने साथी मजदूरों का लगातार हौंसला बढ़ा रहे हैं. सुपरवाइजर पद पर तैनात गबर सिंह नेगी इससे पहले भी एक बार सुरंग के अंदर फंस चुके हैं. ऐसे में उनका अनुभव टनल के अंदर काम आ रहा है. वहीं, टनल में आईटीबीपी और एनडीआरएफ ने मोर्चा संभाल लिया है.

पहले भी टनल में फंस चुके गबर सिंह नेगी, अनुभव आ रहा कामः पाइप फीटर उपेंद्र कुमार ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि गबर सिंह नेगी हिमाचल में जेपी कंस्ट्रक्शन के एक प्रोजेक्ट में पहले भी कुछ दिनों के लिए सुरंग के अंदर फंसे थे, जिन्हें ऐसे हालातों से निपटने का अनुभव है. उपेंद्र कुमार का कहना है कि सुपरवाइजर गबर सिंह और फोरमैन सबा अहमद जब तक अंदर हैं, तब तक किसी को कुछ नहीं होगा. दोनों ही साथी मजदूरों की लगातार हौंसला अफजाई कर रहे हैं.

Uttarkashi Tunnel Accident
टनल में फंसे लोगों को निकालने का काम जारी

आईटीबीपी और एनडीआरएफ ने संभाला मोर्चाः सिलक्यारा टनल में फंसे मजदूरों को बचाने के लिए चलाए जा रहे अभियान में सुरक्षा व्यवस्था का जिम्मा आईटीबीपी और एनडीआरएफ ने संभाल लिया है. सुरंग के मुहाने पर की गई बैरिकेडिंग पर पहले उत्तराखंड पुलिस और एसडीआरएफ के जवान तैनात थे, जिन्हें अब सुरंग से करीब 150 मीटर दूर बैरिकेडिंग पर लगाया गया है.
ये भी पढ़ेंः उत्तरकाशी टनल हादसे में 100 घंटे से ज्यादा समय से फंसे हैं 40 मजदूर, युद्धस्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन, जानें अपडेट

वहीं, सिलक्यारा टनल से लगी मुख्य बैरिकेडिंग पर आईटीबीपी यानी भारत तिब्बत सीमा पुलिस ने मोर्चा संभाल लिया है. जो बिना पास के किसी को भी सुरंग के अंदर प्रवेश करने नहीं दे रहे हैं. वहीं, मीडिया कर्मियों के लिए भी 150 मीटर दूर अस्थायी मीडिया गैलरी तैयार की गई है.

खाने की आपूर्ति के लिए डाले जा रहे 125 एमएम के पाइपः सिलक्यारा सुरंग में फंसे 40 मजदूरों तक खाने की आपूर्ति के लिए 125 एमएम व्यास के 11 पाइप डाले जा रहे हैं. ताकि, अंदर फंसे लोगों तक ज्यादा मात्रा में खाद्य सामग्री पहुंचाई जा सके. इससे पहले खाद्य सामग्री 80 एमएम व्यास के पाइप से भेजी जा रही थी.

बीते बुधवार तड़के खाद्य सामग्री भेजने के लिए ज्यादा व्यास के पाइप डालने की कार्रवाई शुरू की गई. अब 125 एमएम व्यास के 11 पाइप डाले जाने हैं. बता दें कि टनल में फंसे मजदूरों को खाने के लिए हर दो घंटे के अंतराल पर मुरमुरे, भुने चने और भीगे चने, पॉपकॉर्न, बादाम, काजू आदि दिए जा रहे हैं.

भूमिगत बिजली लाइन से टनल में हो रहा उजाला: सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों को बिजली की भूमिगत लाइन से राहत मिली है. यहां बिजली की भूमिगत लाइन नहीं होती तो सुरंग में अंधेरा छाया रहता. जिसमें मजदूरों के लिए पांच दिन का समय काटना आसान नहीं होता. बिजली चली गई होती तो वो आस पास भी नहीं देख पाते.
ये भी पढ़ेंः उत्तरकाशी टनल हादसे का पांचवां दिन, सुरंग में फंसे महादेव ने मामा से की बातचीत, सुनें ऑडियो

जब सुरंग में भूस्खलन हुआ तो ऑक्सीजन आपूर्ति का पाइप बंद हो गया, लेकिन भूमिगत लाइन होने की वजह से मलबा गिरने के बाद भी दूसरी ओर बिजली की सप्लाई बरकरार है.इसका पता तब चला था, जब दूसरे छोर पर फंसे मजदूरों ने पानी का पंप चलाया. इसी से उनके दूसरे छोर पर सुरक्षित होने और बिजली आपूर्ति बाधित न होने की जानकारी मिली.

वहीं, सुरंग में नाइट शिफ्ट में काम कर चुके कुंवर बहादुर ने बताया कि सुरंग में बिजली की भूमिगत लाइन है. इसी कारण ये लोग पूरी तरह सुरक्षित है. यदि यह भूमिगत न होकर बाहर से होती तो ऑक्सीजन के पाइप की तरह दब गई होती. जिसके चलते मजदूरों का अंधेरे में इतने दिन गुजारना आसान नहीं होता. वहीं, अंदर मजदूरों ने वीडियो न बनाने की अपील की है. उनका कहना है कि वीडियो देख उनके परिवार वाले पैनिक हो रहे हैं.

उत्तरकाशीः सिलक्यारा टनल में फंसे गबर सिंह नेगी और सबा अहमद अपने साथी मजदूरों का लगातार हौंसला बढ़ा रहे हैं. सुपरवाइजर पद पर तैनात गबर सिंह नेगी इससे पहले भी एक बार सुरंग के अंदर फंस चुके हैं. ऐसे में उनका अनुभव टनल के अंदर काम आ रहा है. वहीं, टनल में आईटीबीपी और एनडीआरएफ ने मोर्चा संभाल लिया है.

पहले भी टनल में फंस चुके गबर सिंह नेगी, अनुभव आ रहा कामः पाइप फीटर उपेंद्र कुमार ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि गबर सिंह नेगी हिमाचल में जेपी कंस्ट्रक्शन के एक प्रोजेक्ट में पहले भी कुछ दिनों के लिए सुरंग के अंदर फंसे थे, जिन्हें ऐसे हालातों से निपटने का अनुभव है. उपेंद्र कुमार का कहना है कि सुपरवाइजर गबर सिंह और फोरमैन सबा अहमद जब तक अंदर हैं, तब तक किसी को कुछ नहीं होगा. दोनों ही साथी मजदूरों की लगातार हौंसला अफजाई कर रहे हैं.

Uttarkashi Tunnel Accident
टनल में फंसे लोगों को निकालने का काम जारी

आईटीबीपी और एनडीआरएफ ने संभाला मोर्चाः सिलक्यारा टनल में फंसे मजदूरों को बचाने के लिए चलाए जा रहे अभियान में सुरक्षा व्यवस्था का जिम्मा आईटीबीपी और एनडीआरएफ ने संभाल लिया है. सुरंग के मुहाने पर की गई बैरिकेडिंग पर पहले उत्तराखंड पुलिस और एसडीआरएफ के जवान तैनात थे, जिन्हें अब सुरंग से करीब 150 मीटर दूर बैरिकेडिंग पर लगाया गया है.
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वहीं, सिलक्यारा टनल से लगी मुख्य बैरिकेडिंग पर आईटीबीपी यानी भारत तिब्बत सीमा पुलिस ने मोर्चा संभाल लिया है. जो बिना पास के किसी को भी सुरंग के अंदर प्रवेश करने नहीं दे रहे हैं. वहीं, मीडिया कर्मियों के लिए भी 150 मीटर दूर अस्थायी मीडिया गैलरी तैयार की गई है.

खाने की आपूर्ति के लिए डाले जा रहे 125 एमएम के पाइपः सिलक्यारा सुरंग में फंसे 40 मजदूरों तक खाने की आपूर्ति के लिए 125 एमएम व्यास के 11 पाइप डाले जा रहे हैं. ताकि, अंदर फंसे लोगों तक ज्यादा मात्रा में खाद्य सामग्री पहुंचाई जा सके. इससे पहले खाद्य सामग्री 80 एमएम व्यास के पाइप से भेजी जा रही थी.

बीते बुधवार तड़के खाद्य सामग्री भेजने के लिए ज्यादा व्यास के पाइप डालने की कार्रवाई शुरू की गई. अब 125 एमएम व्यास के 11 पाइप डाले जाने हैं. बता दें कि टनल में फंसे मजदूरों को खाने के लिए हर दो घंटे के अंतराल पर मुरमुरे, भुने चने और भीगे चने, पॉपकॉर्न, बादाम, काजू आदि दिए जा रहे हैं.

भूमिगत बिजली लाइन से टनल में हो रहा उजाला: सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों को बिजली की भूमिगत लाइन से राहत मिली है. यहां बिजली की भूमिगत लाइन नहीं होती तो सुरंग में अंधेरा छाया रहता. जिसमें मजदूरों के लिए पांच दिन का समय काटना आसान नहीं होता. बिजली चली गई होती तो वो आस पास भी नहीं देख पाते.
ये भी पढ़ेंः उत्तरकाशी टनल हादसे का पांचवां दिन, सुरंग में फंसे महादेव ने मामा से की बातचीत, सुनें ऑडियो

जब सुरंग में भूस्खलन हुआ तो ऑक्सीजन आपूर्ति का पाइप बंद हो गया, लेकिन भूमिगत लाइन होने की वजह से मलबा गिरने के बाद भी दूसरी ओर बिजली की सप्लाई बरकरार है.इसका पता तब चला था, जब दूसरे छोर पर फंसे मजदूरों ने पानी का पंप चलाया. इसी से उनके दूसरे छोर पर सुरक्षित होने और बिजली आपूर्ति बाधित न होने की जानकारी मिली.

वहीं, सुरंग में नाइट शिफ्ट में काम कर चुके कुंवर बहादुर ने बताया कि सुरंग में बिजली की भूमिगत लाइन है. इसी कारण ये लोग पूरी तरह सुरक्षित है. यदि यह भूमिगत न होकर बाहर से होती तो ऑक्सीजन के पाइप की तरह दब गई होती. जिसके चलते मजदूरों का अंधेरे में इतने दिन गुजारना आसान नहीं होता. वहीं, अंदर मजदूरों ने वीडियो न बनाने की अपील की है. उनका कहना है कि वीडियो देख उनके परिवार वाले पैनिक हो रहे हैं.

Last Updated : Nov 16, 2023, 9:11 PM IST
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