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उत्तरकाशी में कड़ाके की ठंड, हर्षिल घाटी में पेड़ों पर जमी बर्फ

उत्तरकाशी में ठंड का सितम जारी है. यहां दिन पर दिन ठंड बढ़ती जा रही है, जिससे लोग परेशान हैं. वहीं, ठंड से बचने के लिए लोग अलाव का सहारा ले रहे हैं.

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उत्तरकाशी में कड़ाके की ठंड
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Published : Dec 26, 2020, 7:20 PM IST

Updated : Dec 26, 2020, 10:45 PM IST

उत्तरकाशी: गत एक सप्ताह से मौसम साफ होने के बावजूद भी उत्तरकाशी जनपद में कड़ाके की ठंड का प्रकोप चल रहा है. सूखी ठंड और बर्फीली हवाओं के चलते उत्तरकाशी जनपद में तापमान में भारी गिरावट देखने को मिल रही है. स्थानीय लोगों की मानें तो गत वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष ठंड अधिक हो रही है. वहीं हर्षिल घाटी में तापमान में भारी गिरावट के कारण पेड़ों पर पानी भी बर्फ के रूप में जम गया है.

हर्षिल घाटी में पेड़ों पर जमी बर्फ

पढ़ें- चमोली में पड़ रही कड़ाके की ठंड, नीती घाटी में बर्फ की तरह जमे नदी-झरने

पहाड़ों में हुई बर्फबारी के बाद ठंड का अधिक प्रकोप देखने को मिल रहा है. वहीं, तापमान में भारी गिरावट आने के बाद हर्षिल घाटी और उच्च हिमालयी क्षेत्रों में जल धाराएं जम गई हैं. इसके साथ ही पेड़ों पर बर्फ के रूप में जमा पानी कई फीट का आकार ले चुका है. निचले इलाकों में कड़ाके की ठंड के बाद जनपद मुख्यालय सहित कस्बों के बाजार भी जल्दी बन्द हो रहे हैं. ठंड से बचने के लिए लोग अलाव का सहारा ले रहे हैं.

कड़ाके की ठंड के कारण हर्षिल घाटी सहित मोरी, बड़कोट के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फ से ढकी सड़कों पर पाला गिरने के कारण बर्फ अब कांच की तरह कठोर हो गई है. इस पर वाहनों के फिसलने का खतरा बना हुआ है. वहीं पर्यटकों को बर्फ के ऊपर पाले से पटी सड़कों पर वाहन चलाना टेढ़ी खीर नजर आ रहा है.

उत्तरकाशी: गत एक सप्ताह से मौसम साफ होने के बावजूद भी उत्तरकाशी जनपद में कड़ाके की ठंड का प्रकोप चल रहा है. सूखी ठंड और बर्फीली हवाओं के चलते उत्तरकाशी जनपद में तापमान में भारी गिरावट देखने को मिल रही है. स्थानीय लोगों की मानें तो गत वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष ठंड अधिक हो रही है. वहीं हर्षिल घाटी में तापमान में भारी गिरावट के कारण पेड़ों पर पानी भी बर्फ के रूप में जम गया है.

हर्षिल घाटी में पेड़ों पर जमी बर्फ

पढ़ें- चमोली में पड़ रही कड़ाके की ठंड, नीती घाटी में बर्फ की तरह जमे नदी-झरने

पहाड़ों में हुई बर्फबारी के बाद ठंड का अधिक प्रकोप देखने को मिल रहा है. वहीं, तापमान में भारी गिरावट आने के बाद हर्षिल घाटी और उच्च हिमालयी क्षेत्रों में जल धाराएं जम गई हैं. इसके साथ ही पेड़ों पर बर्फ के रूप में जमा पानी कई फीट का आकार ले चुका है. निचले इलाकों में कड़ाके की ठंड के बाद जनपद मुख्यालय सहित कस्बों के बाजार भी जल्दी बन्द हो रहे हैं. ठंड से बचने के लिए लोग अलाव का सहारा ले रहे हैं.

कड़ाके की ठंड के कारण हर्षिल घाटी सहित मोरी, बड़कोट के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फ से ढकी सड़कों पर पाला गिरने के कारण बर्फ अब कांच की तरह कठोर हो गई है. इस पर वाहनों के फिसलने का खतरा बना हुआ है. वहीं पर्यटकों को बर्फ के ऊपर पाले से पटी सड़कों पर वाहन चलाना टेढ़ी खीर नजर आ रहा है.

Last Updated : Dec 26, 2020, 10:45 PM IST
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