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जंगल में लगी आग बुझाने पहुंचा सिर्फ एक कर्मचारी, विभाग की खुली पोल

एक बार फिर वन विभाग की फायर सीजन को लेकर की गई तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं. बताया जा रहा है कि आग बुझाने पहुंचा कर्मचारी बिना संसाधनों के ही आग बुझाने के लिए पहुंचा था.

जंगल में लगी आग
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Published : May 27, 2019, 6:19 AM IST

Updated : May 27, 2019, 6:40 AM IST

उत्तरकाशी: फायर सीजन के लिए वन विभाग के लाख दावे हवा-हवाई साबित हो रहे हैं. आग से निपटने के लिए खरीदे गए संसाधन मात्र मास्टर कंट्रोल रूम की शोभा बढ़ा रहे हैं. जिले में वनाअग्नि की एक घटना ने वन विभाग की तैयारियों की एक बार फिर से पोल खोल दी है.

जंगल में लगी आग बुझाने पहुंचा सिर्फ एक कर्मचारी

दरअसल, बीते रविवार शाम को नगर क्षेत्र के ज्ञानशू के समीप जंगल में एक जगह आग लग गई. सूचना पर नजदीक स्थित साल्ड कंट्रोल रूम से एक मात्र वन कर्मचारी ही आग बुझाने के लिए मौके पर पहुंचा. वन कर्मचारी को अकेला देख वहां पर घूम रहे दो ग्रामीण किशोरों ने वन कर्मचारी की मदद की. बताया जा रहा है कि अगर किशोर मदद नहीं करते तो आग ऊपर सड़क तक पहुंच जाती.

इस घटना ने एक बार फिर वन विभाग की फायर सीजन को लेकर की गई तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं. बताया जा रहा है कि आग बुझाने पहुंचा कर्मचारी बिना संसाधनों के ही आग बुझाने के लिए पहुंचा था.

वन विभाग के उच्च अधिकारियों की मानें तो उत्तरकाशी वन प्रभाग ने 7 लाख की लागत से वनों में लगी आग से निपटने के लिए संसाधन खरीदे हैं. लेकिन वह संसाधन मात्र वन विभाग के कंट्रोल रूमों की ही शोभा बढ़ा रहे हैं. वन विभाग की यह लापरवाही वन संपदा को बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है.

उत्तरकाशी: फायर सीजन के लिए वन विभाग के लाख दावे हवा-हवाई साबित हो रहे हैं. आग से निपटने के लिए खरीदे गए संसाधन मात्र मास्टर कंट्रोल रूम की शोभा बढ़ा रहे हैं. जिले में वनाअग्नि की एक घटना ने वन विभाग की तैयारियों की एक बार फिर से पोल खोल दी है.

जंगल में लगी आग बुझाने पहुंचा सिर्फ एक कर्मचारी

दरअसल, बीते रविवार शाम को नगर क्षेत्र के ज्ञानशू के समीप जंगल में एक जगह आग लग गई. सूचना पर नजदीक स्थित साल्ड कंट्रोल रूम से एक मात्र वन कर्मचारी ही आग बुझाने के लिए मौके पर पहुंचा. वन कर्मचारी को अकेला देख वहां पर घूम रहे दो ग्रामीण किशोरों ने वन कर्मचारी की मदद की. बताया जा रहा है कि अगर किशोर मदद नहीं करते तो आग ऊपर सड़क तक पहुंच जाती.

इस घटना ने एक बार फिर वन विभाग की फायर सीजन को लेकर की गई तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं. बताया जा रहा है कि आग बुझाने पहुंचा कर्मचारी बिना संसाधनों के ही आग बुझाने के लिए पहुंचा था.

वन विभाग के उच्च अधिकारियों की मानें तो उत्तरकाशी वन प्रभाग ने 7 लाख की लागत से वनों में लगी आग से निपटने के लिए संसाधन खरीदे हैं. लेकिन वह संसाधन मात्र वन विभाग के कंट्रोल रूमों की ही शोभा बढ़ा रहे हैं. वन विभाग की यह लापरवाही वन संपदा को बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है.

Intro:हेडलाइन- कंट्रोल रूम में संसाधन,फील्ड में कर्मचारी मजबूर। उत्तरकाशी। फायर सीजन के लिए वन विभाग के संसाधन मात्र मास्टर कंट्रोल रूम सहित सहायक कंट्रोल रूम की शोभा बढ़ा रहे हैं। लेकिन फील्ड में कर्मचारी मजबूर ही नजर आ रहे हैं। हद तो तब हो गई,जब जंगल मे आग लगने की सूचना पर एक कर्मचारी मौके पर पहुंचे और उनका साथ अगर दो ग्रामीण किशोर न देते तो आग साल्ड मोटर मार्ग तक पहुंच गई थी। जो कि आवाजाही कर रहे लोगों के लिए खतरा साबित हो सकती थी। वन विभाग के कर्मचारी भी अपनी इस मजबूरी पर कुछ नहीं बोल पाए। हालांकि आग पर समय रहते काबू पा लिया गया। लेकिन वन विभाग की तैयारियों की एक बार फिर पोल खुल कर रह गई है। Etv Bharat के कैमरे में वन विभाग की आधी अधूरी तैयारियों की पूरी हकीकत सामने आई है।


Body:वीओ- 1, रविवार शाम को नगर क्षेत्र के ज्ञानशू के समीप साल्ड रोड के आसपास के वनों में आग लग गई। सूचना मिलने पर नजदीक साल्ड कंट्रोल रूम से एक मात्र कर्मचारी ही आग बुझाने के लिए मौके पर पहुंचे। वन कर्मचारी को अकेला देख वहां पर घूम रहे दो ग्रामीण किशोर वन कर्मचारी की मदद को आगे आये और उन्होंने वन विभाग के कर्मचारी के साथ आग बुझाने में मदद की। अगर किशोर मदद नहीं करते तो आग ऊपर सड़क तक पहुंच गई थी। वहीं इस आग ने एक बार फिर वन विभाग की फायर सीजन को लेकर तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए। क्योंकि आग बुझाने पहुंचा कर्मचारी बिना संसाधनों के आग बुझाने के लिए पहुंचा था। जिस कारण वह स्वयं पहाड़ी में फिसलते हुए बाल- बाल बचा।


Conclusion:वीओ-2, वन विभाग के उच्च अधिकारियों की माने तो उत्तरकाशी वन प्रभाग ने 7 लाख की लागत से वनों की आग से निपटने के लिए संसाधनों खरीदे हैं। लेकिन वह संसाधन मात्र वन विभाग के कंट्रोल रूमों की शोभा बढ़ा रहे हैं। वह संसाधन कंट्रोल रूम से बाहर नहीं निकल रहे हैं। अगर मौसम साथ न दे,तो वन विभाग की यह लापरवाही वन संपदा को बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है। शासन प्रशासन स्तर पर फायर सीजन के लिए कई प्रकार की योजनाएं बन रही हैं। लेकिन वह योजनाएं मात्र फाइलों और प्रशासनिक बैठकों तक ही सीमित रह गई है। शायद वह विभाग किसी बड़ी वनाग्नि का इंतजार कर रही है। उसके बाद ही कंट्रोल रूमों में रखे संसधानों का प्रयोग किया जाएगा।
Last Updated : May 27, 2019, 6:40 AM IST
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